अयोध्या से एक संत ने व्यक्त की अपनी पीड़ा और हिंदुत्व के नारों में दम तोड़ती पतित पावनी माँ गंगा के विनाश की सच्चाई – विश्वगुरु बनने का स्वप्न दिखाने वाले नरेंद्र भाई मोदी जी ने जिसके लिये आजतक कुछ नहीं किया । जबकि वे राष्ट्रीय राजनीति में “माँ गंगा ने बुलाया“ था तब आये थे , ध्यान से पूरा पढ़ें :
पहले पवन विजय के शब्दों में माँ गंगा की दुर्दशा के भयावह तथ्य जानें फिर संत की पीड़ा जाने 👇🏽
गंगा दशहरा की शुभकामनाएं देते हुए ध्यान में रखियेगा,
1.गंगाजी में गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक प्रतिदिन 144.2 मिलियन क्यूबिक मलजल प्रवाहित किया जाता है।
- गंगाजी में लगभग 3840 नाले गिरते है।
- गंगाजी तट पर स्थापित औद्योगिक इकाईया प्रतिदिन 430 मिलियन लीटर जहरीले अपशिष्ट का उत्सर्जन करती है जो सीधे गंगा में बहा दिया जाता है।
- लगभग 172.5 हजार टन कीटनाशक रसायन और खाद हर वर्ष गंगाजी में पहुँचता है।
- वर्तमान समय में गंगाजी में डालफिन लुप्तप्राय है. उत्तर प्रदेश में मात्र 100 बची हैं।
- गंगाजी किनारे तीन किलोमीटर के दायरे में धोबीघाट पाए जाते है जो चालीस से साठ प्रतिशत फास्फोरस डिटर्जेंट के माध्यम से पहुचा रहे है।
- गंगा बेसिन में केवल 14.3 परसेंट वन शेष बचे हैं।
गंगाजी की प्रमुख धाराओं की वर्तमान स्थिति भी समझ लीजिए,
- गणेश गंगा (पातालगंगा )—- सूखी
- गरुड्गंगा —— सूखी
- ऋषी गंगा —– जलस्तर में तेजी से गिरावट
- रूद्र गंगा —— विलुप्त
- धवल गंगा —— जलस्तर में तेजी से गिरावट
- विरही गंगा —— जलस्तर में तेजी से गिरावट
- खंडव गंगा —– विलुप्त
- आकाश गंगा —— जलस्तर में तेजी से गिरावट
- नवग्राम गंगा —— विलुप्त
- शीर्ष गंगा —– विलुप्त
- कोट गंगा —– विलुप्त
- गूलर गंगा —– जलस्तर में तेजी से गिरावट
- हेम गंगा —– सूखी
- हेमवती गंगा —- विलुप्त
- हनुमान गंगा —- जलस्तर में तेजी से गिरावट
- सिध्तारंग गंगा —- जलस्तर में तेजी से गिरावट
- शुद्ध्तारंगिनी गंगा —- विलुप्त
- धेनु गंगा —– विलुप्त
- सोम गंगा —– विलुप्त
- अमृत गंगा —– जलस्तर में तेजी से गिरावट
- कंचन गंगा —– वनस्पति के तीव्र दोहन से गादयुक्त हो गयी है
- लक्ष्मण गंगा —— जलस्तर में तेजी से गिरावट
- दुग्ध गंगा —– विलुप्त
- घृत गंगा —– विलुप्त
- रामगंगा —– तेजी से सूख रही
- केदार गंगा जलस्तर में तेजी से गिरावट
2014 से पहले गंगाजी स्थाई रूप से रुग्ण थीं, 2014 के बाद गंगाजी को समयानुसार साफ/ धाराओं को मुक्त कर वाह वाही लूटी जाती है। कोई स्थायी मॉडल अभी विकसित नही हुआ है जो संतोषजनक हो। गंगाजी के किनारे होटल्स और टेनरियों की भीड़ ने गंगा को अति दूषित कर रखा है। हरिद्वार के आगे गंगाजी सहायक नदियों के भरोसे हो जाती हैं। यही हाल अन्य नदियों का है। दिल्ली में यमुनाजी मर गयी है, नदी के नाम पर सीवर बह रहा है।
कैसे कहूँ कि गंगा माई तोहार ऊंची अररिया
(साभार: पवन विजय)
उन संत की पीड़ा 👇🏽
पूरी दुनिया की नदियों की मां कही जाने वाली पतित पावनी मां गंगा जी के हेतु पवन विजय जी का लेख बहुत ही शोधपूर्ण और ज्ञानप्रद है । भाई जी को बहुत बहुत आभार और साधुवाद ।
“ मैं गंगा का बेटा हूं , मुझे मां गंगा ने बुलाया है “ । ये कहने वाला गंगा का लाडला बेटा गद्दी पर 9 साल से बैठा है । उसके निवास से मात्र 5 km दूर बहने वाली मौसी यमुना जी उनको नहीं दिखती ।
सारा दिन ‘राधे राधे कृष्णा कृष्णा’ जपने वाले मथुरा वृंदावन धाम के लाखों साधु संतो को भी यमुना नहीं दिखती । जिसमे उन्होंने 3 दशक पूर्व ही स्नान करना बंद कर दिया था।
यमुना जी की निर्मलता और स्वच्छता के प्रति केंद्रीय नदी आयोग जिम्मेदार है,जिसपर केंद्र का नियंत्रण है । तो फिर मोदी जी उनकी सफ़ाई के काम को क्या केजरीवाल रोकता है ?
हम पिछले 3 दशक पूर्व तक यमुनाजी में खूब स्नान करते थे ।लेकिन अब स्नान तो दूर छींटा तक मारने का दिल नहीं करता । चांद सूरज तारों की बात और विश्व विराट स्वरूप की बानगी में पता नहीं और कितनी कड़वी दवाई पीनी पड़ेगी ।
बाल्मिकी रामायण में वर्णित है, कोई भी पढ़ लेना कि जिस राजा के राज में निरपराध जनता के आंसू जमीन पर पड़े तो वो राजा नरकगामी होता है। यहां तो गाय ,गंगा के साथ गायत्रियों की प्रतिष्ठा भी जंतर-मंतर पर धक्के खा रही है । फिर इस राजा का क्या हाल होगा ? लच्छेदार भाषणों से माना कि मोदी जी आप एक पारी ओर खेल जाओगे, क्योंकि सामने के पप्पुओं और हप्पुओं को देखकर यही होना है । लेकिन राम को मुंह तो सभी को दिखाना पड़ेगा, गोस्वामी तुलसीदास जी ने कलयुग के लक्षणों को लिखा है ।
आजकल चहुं ओर यही हो रहा हैं। जनता ने मंदिरों को मनौती मांगने का स्थान बना रखा है और नेताओं ने मंदिरों से सत्ता हथियाने का । लेकिन याद रखो भगवान की लाठी में आवाज नहीं होती । वो सब पर समान रूप से बजेगी । किसी पर दो दिन पहले या किसी पर चार दिन बाद लेकिन बजेगी जरूर । धर्म का चोला ओढ़कर बैठे द्रोणाचार्य और भीष्म पितामह तक इससे नहीं बचे फिर तुम्हारे पास तो केवल कुछ बढ़िया सूट ही हैं, कर्ण जैसे कवच कुंडल कहां हैं ?
प्रभु राम सबकी खबर ले लेंगे !
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