आईएसडी नेटवर्क। महाशक्ति अमेरिका ने गत शुक्रवार को अठारह हज़ार किलो के बम का परीक्षण कर विश्व को चौंका दिया। महादेश ने इसे ‘फुल शिप शॉक ट्रायल’ का नाम दिया है। कई देश मान रहे हैं कि ये परीक्षण कर अमेरिका ने दुनिया के अन्य देशों को अपनी शक्ति दिखाई है। इस बम का प्रभाव इतना भयंकर रहा कि समुद्र में 3.9 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया।
जानकारी के अनुसार अमेरिका ने अपने एयरक्रॉफ्ट कैरियर गेराल्ड फोर्ड के पास ये विस्फोट किया। ये विस्फोट पानी के अंदर से किया गया था। जैसे ही बम फटा, इसके वैसे ही मशरूम क्लाउड्स बने, जैसे जापान पर परमाणु बम हमले के दौरान बने थे। अमेरिकी नौसेना ने इस परीक्षण को लोरिडा के डयटोना बीच से 100 मील की दूरी पर किया। इस बम परीक्षण का वीडियो सामने आते ही विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं आने लगी।
विशेषज्ञों ने इसे असामान्य परीक्षण करार दिया है। उधर अमेरिका का कहना है कि ये पूरी तरह सुरक्षित बम विस्फोट था। अमेरिका ने कहा हमने इस विस्फोट के द्वारा भविष्य के युद्ध में एयरक्रॉफ्ट कैरियर की क्षमताओं को परखा गया। उसके अनुसार इस बम विस्फोट का पर्यावरण पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ये परीक्षण कर अमेरिका ने चीन को कड़ा संदेश दे दिया है। उल्लेखनीय है कि चीन समुद्र में अपनी सामरिक शक्ति को लगातार बढ़ा रहा है। इससे अमेरिका और भारत जैसे देश चिंतित हैं। अमेरिका ने अपने पहले हाइड्रोजन बम का परीक्षण सन 1952 में किया था। कहा जाता है कि उस बम की तीव्रता हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से अधिक शक्तिशाली थी।
अब तक किसी देश ने अमेरिका के बम परीक्षण पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका दूसरे देशों द्वारा किये गए परीक्षणों पर आपत्ति लेता रहता है। सन 1998 में भारत द्वारा किये गए पोखरण परीक्षण के बाद अमेरिका ने कड़ी आपत्ति ली थी।