संदीप देव । अमित शाह जी नवरात्र चल रहा है। कभी दुर्गा सप्तशती पढ़ी है आपने? ऋषि मार्कण्डेय द्वारा उद्घाटित मार्केंडेय पुराण में सप्तशती है। कदाचित आपको ज्ञान नहीं है कि मार्केंडेय ऋषि अष्ट चिरंजीवियों में आते हैं जो स्वामी दयानंदजी से हजारों साल पहले हुए। दुर्गा सप्तशती में मां को कितनी बार ‘नमस्कार’ किया गया है, कुछ पता है आपको? दयानंदजी जिन वेदों को केवल मानते हैं, उन वेदों में ‘नमस्ते’ कहां-कहां आया है, कभी पृष्ठ पलट कर देखा है आपने?
संघ के लोग सचमुच नहीं पढ़ते यह आपने पुनः साबित कर दिया माननीय गृहमंत्री अमित शाह जी। मां दुर्गा आपकी भूल को क्षमा करें और संघियों को सनातन धर्म ग्रंथों को पढ़ने की प्रेरणा दें, इस नवरात्र मां से यही मंगलकामना करता हूं!
अच्छा हुआ आप लोगों ने इतिहास में अभी तक संशोधन नहीं किया है, अन्यथा झूठा इतिहास लिखने में आपलोग कम्युनिस्टों को भी शायद मात दे देते!
चलिए दुर्गा सप्तशती का स्तोत्र आपको याद दिलाता हूं, शायद आपको ‘नमस्ते’ की याद आ जाए! 👇
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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