प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जैसे ही एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बेंगलुरू दफ्तर पर छापेमारी की वैसे ही इसने सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया, लेकिन कभी ये नहीं बताया कि आखिर उनके खिलाफ छापेमारी हुई क्यों? चलिए हम आपको बताते हैं। एक गैर सरकारी संस्था होने के नाते इसे विदेश से महज 1.69 करोड़ रुपये लेने तक की अनुमति है जबकि इसने विदेश से 36 करोड़ रुपये ले लिए। इतना ही नहीं इसने पैसों की हेराफेरी के लिए एफसीआए कानून को धत्ता बताते हुए इसने दो-दो कंपनियां खोल ली है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया नाम के इस एनजीओ के बारे में सुरक्षा एजेंसियों से लेकर जांच एजेंसियों तक से कई नकारात्मक रिपोर्ट मिलने के बाद ही ईडी ने यह कदम उठाया है। लेकिन इडी ने सबसे पहले ग्रीनपीस के अलग-अलग बैंकों के 12 खातों को सील करने के बाद ही एमनेस्टी इंटरनेशल इंडिया के दफ्तर पर छापेमारी की है।
मुख्य बिंदु
* सुरक्षा एजेंसियों की नकारात्मक रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के तहत नहीं किया था रजिस्ट्रेशन
* ईडी ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बेंगलुरू दफ्तर पर छापेमारी से पहले ग्रीनपीस के अलग-अलग बैंक के 12 एकाउंट को किया था सीज
गौरतलब है कि इडी ने देश में कई एनजीओ को फंडिंग करने वाले गैर सरकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के गैरकानूनी कारनामे को देखते हुए उसके बेंगलुरू दफ्तर में छापेमारी की थी। ईडी की छापेमारी करने के साथ ही देश विरोधी गतिविधयों में संलिप्त इस गैरसरकारी संगठन के कई कारनामें सामने आ गए हैं। जो अभी तक कांग्रेस सरकार के संरक्षण के तहत परदे के पीछे छिपा हुआ था।
सामाजिक मसलों के लिए काम करने वाले एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया एनजीओ ने कभी यह नहीं बताया कि आखिर भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के तहत रजिस्ट्रेशन करने से क्यों मना कर दिया? उसने कभी यह भी नहीं बताया कि आखिर गैर सरकारी संस्था होने के बावजूद उसे कंपनी बनाने की क्या जरूरत थी? लेकिन जैसे ही अपने दफ्तर पर छापेमारी हुई इसने यह ढोल पीटना शुरू कर दिया कि मोदी सरकार गैर सरकारी संगठनों को डराने का प्रयास कर रही है।
चलिए हम बताते हैं पूरे साक्ष्य के साथ। दरअसल भारत सरकार के गृहमंत्रालय ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट (एआईआईएफटी) को विदेशी योगदान विनिमयन अधिनियम (एफआरसीए) के तहत रजिस्ट्रेशन करने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि देश विरोधी गतिविधिया चलाने की जानकारी मिल गई थी। देश की सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी गतिविधियों को लेकर नकारात्मक रिपोर्ट दी थी। 1.69 करोड़ रुपये से ज्यादा विदेशी चंदा नहीं लेने की अनुमति के बावजूद उसने 36 करोड़ रुपये ले लिए। इसके लिए उसने देश के एफसीआर कानून को भी धता बता दिया। इतना ही नहीं पैसों के हेरफेर के लिए उसने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एआईआईपीएल) नाम से कंपनी बना ली और वाणिज्यिक रास्ते से विदेशी निवेश के रूप में कुल 36 करोड़ रुपये ले लिए। इन 36 करोड़ रुपये में से 10 करोड़ रुपये को दीर्घ अवधि लोन के रुप में दिखाया गया, जबकि उसे तुरंत ही बैंक में फिक्स डिपॉजिट कर दिया गया।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के काले कारनामों के बारे में देश की सुरक्षा एजेंसिया काफी दिनों से चेतावनी देती रही है। सुरक्षा एजेंसियों ने ही बताया था कि एमनेस्टी इंटरनेशनल देश में अपनी गतिविधियों के विस्तार करने के लिए विदेशी योगदान विनिमयन अधिनियम का उल्लंघन कर विदेशी निवेश के माध्यम से अपनी इकाइयों को काफी फंड भेजता रहा है। तभी तो ईडी ने छापेमारी कर उनकी करतूतों का खुलासा किया है। अभी तो इस गैर सरकारी संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के काले कारनामों की कई और जानकारी बाहर आना शेष है ।
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URL: Amnesty International bringing foreign money illegally through FDI
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