अर्चना कुमारी। एक बार फिर से पंजाब की धरती सुलग रही है। कहा जाता है कि जब से आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में आई है तब से खालिस्तान समर्थक सड़कों पर हैं और पंजाब की जनता आतंक की सुगबुगाहट को लेकर चिंता में हैं। जिस तरह पंजाब के थाने पर हमला करके खालिस्तानी तूफान सिंह को छुड़ाया गया उसे साफ पता चलता है कि पंजाब में कानून व्यवस्था की हालत बद से बदतर होती जा रही है। पुलिस नतमस्तक है और खालिस्तानी गुरु ग्रंथ साहिब को सामने रखकर बेअदबी पर उतर आए हैं। खालिस्तानयों को ना तो पुलिस से कोई डर महसूस होता है और ना ही उन्हें कानून में कोई विश्वास है तभी तो वह थाने पर हमला करके अपने साथी को छुड़ा लाते हैं तथा देश के गृह मंत्री को भी धमकाने से नहीं चूकते। कहा जाता है कि जब से अमृतपाल दुबई से लौटा है, तब से भिंडरावाले पार्ट 2 का आगाज हो चुका है । पंजाब में तेजी से उभर रहे खालिस्तानी नेता अमृतपाल का कहना है कि 500 साल से हमारे पूर्वजों ने इस धरती पर अपना खून बहाया है। कुर्बानी देने वाले इतने लोग हैं कि हम उंगलियों पर गिना नहीं सकते। इस धरती के दावेदार हम हैं। इस दावे से हमें कोई पीछे नहीं हटा सकता। न इंदिरा हटा सकी थी और न ही मोदी या अमित शाह हटा सकता है।
दुनिया भर की फौजें आ जाएं, हम मरते मर जाएंगे, लेकिन अपना दावा नहीं छोड़ेंगे। खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह बृहस्पतिवार को हजारों लोगों के साथ अमृतसर के अजनाला थाने पर हमला कर दिया। इनके हाथों में बंदूकें, तलवारें और भाले थे। ये लोग संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। इनके हमले के बाद दबाव में आई पंजाब पुलिस ने आरोपी को रिहा करने का ऐलान कर दिया।
पंजाब पुलिस के मुखिया गौरव यादव का कहना है कि कानून तोड़ने वाले को बख्शा नहीं जाएगा लेकिन उनके पुलिस की मौजूदगी में ही खालिस्तान समर्थक लोगों का गुट कानून को हाथ में लेकर कैदी छुड़ाकर मौके से चले गए। बताया जाता है कि पंजाब में फिर से खालिस्तान को बुलंद करने वाले अमृतपाल सिंह काफी खूंखार प्रवृत्ति का रहा है और पंजाब के अमृतसर जिले में जल्लूपुर खेड़ा में साल 1993 में अमृतपाल सिंह का जन्म हुआ।
12वीं तक पढ़ाई करने के बाद साल 2012 में अमृतपाल काम के सिलसिले में दुबई चला गया। दुबई में वह ट्रांसपोर्ट बिजनेस का काम करने लगा। पिछले साल फरवरी में दीप सिद्धू की मौत के बाद ‘वारिस पंजाब दे’ को संभालने के लिए अमृतपाल वापस पंजाब लौट आया। 29 सितंबर 2022 को मोगा जिले के रोडे गांव में अमृतपाल को ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख घोषित किया गया। दरअसल, खालिस्तानी आतंकी रहे जरनैल सिंह भिंडरांवाला इसी रोडे गांव का रहने वाला था।
इस दौरान यहां पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे, जिन्होंने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को पंजाबी अभिनेता संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में बनाया था। दीप सिद्धू 26 जनवरी 2021 को लालकिले पर हुए उपद्रव के मामले में प्रमुख आरोपी था। इस संगठन का मकसद- युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना है।
इस संगठन के एक मकसद पर विवाद भी है वह है- पंजाब की ‘आजादी’ के लिए लड़ाई। अमृतपाल पिछले 5 सालों से सिखों से संबंधित मुद्दों पर मुखर होकर बोल रहा है। वह कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का भी हिस्सा बना, खासकर दीप सिद्धू से जुड़े आंदोलन का। दीप सिद्धू अपने भाषणों में कहता था कि कृषि कानूनों को निरस्त करने के बावजूद आंदोलन बंद नहीं होना चाहिए, बल्कि पंजाब में एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन की ओर ले जाना चाहिए।
अमृतपाल सिंह के अपने विचार भी ऐसे ही हैं, लेकिन उसने दीप सिद्धू से अलग राह पकड़ी है। रोचक बात है कि अमृतपाल और दीप सिद्धू जाहिर तौर पर कभी एक-दूसरे से नहीं मिले और दोनों के बीच सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए ही बातचीत हुई। उनके समर्थकों का दावा है कि दीप सिद्धू, अमृतपाल सिंह के करीबी थे। इसीलिए वह वारिस पंजाब दे के प्रमुख बनने के सबसे योग्य थे। दीप सिद्धू के कुछ सहयोगी जैसे पलविंदर सिंह तलवारा और परिवार के कुछ सदस्य अमृतपाल को प्रमुख बनाए जाने का विरोध करते हैं।पत्रकार भगत सिंह दोआबी का दावा है कि सिद्धू ने अमृतपाल को सोशल मीडिया पर ब्लॉक तक कर दिया था।
लुधियाना के वकील और दीप सिद्धू के भाई मनदीप सिंह सिद्धू एक बातचीत में बताते हैं कि हम अमृतपाल से पहले कभी नहीं मिले। दीप सिद्धू भी उससे कभी नहीं मिले। वह कुछ समय तक फोन पर दीप के संपर्क में रहा, लेकिन बाद में दीप ने उसे ब्लॉक कर दिया। हमें नहीं पता कि उसने खुद को मेरे भाई के संगठन का प्रमुख कैसे घोषित कर दिया। वह असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हमारे नाम का दुरुपयोग कर रहा है। उसने किसी तरह मेरे भाई के सोशल मीडिया अकाउंट्स को एक्सेस कर लिया और उन पर पोस्ट करना शुरू कर दिया।
मनदीप कहते हैं कि मेरे भाई ने इस संगठन को पंजाब के मुद्दों को उठाने और जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए बनाया था न कि खालिस्तान का प्रचार करने के लिए। अमृतपाल पंजाब में अशांति फैलाने की बात कर रहा है। वह मेरे भाई और खालिस्तान का नाम लेकर लोगों को बेवकूफ बना रहा है। मेरा भाई अलगाववादी नहीं था।
लेकिन पंजाब में तेजी से उभरा खालिस्तानी नेता अमृतपाल कहता है कि पंजाब पंजाबियों के लिए है और नौकरियों को सभी स्तरों पर स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व करने की जरूरत है। अमृतपाल के आलोचकों का कहना है कि वह जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तरह अपने भाषण से युवाओं को उग्रवाद की ओर ले जा सकता है और ऐसे रास्ते पर ले जा सकता है जहां युवाओं को गिरफ्तार किया जा सकता है या मार दिया जा सकता है। वह हिंदू विरोध की बात करता है।आरोपों पर अमृतपाल सिंह जवाब देता है कि क्या गुरु गोबिंद सिंह ने अपने बेटों की बलि नहीं दी थी? क्या होता अगर उन्होंने भी नतीजों के बारे में सोचा होता? तब सिखों का क्या होता? अमृतपाल कहता है, ‘मैं नहीं चाहता कि कोई मरे, लेकिन अगर किसी का बेटा सिख के लिए अपनी जान दे देता है तो वह गुरु का बेटा बन जाता है।’
कई राजनीतिक दलों ने अमृतपाल पर पंजाब को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। वहीं उसके कुछ आलोचकों का कहना है कि वह सिखों और अन्य समुदायों, विशेषकर हिंदुओं के बीच विभाजन को बढ़ा रहा है। अपनी पब्लिक रैलियों में वह यूपी और बिहार से हिंदुओं और जम्मू से गुर्जर मुस्लिमों के पलायन की बात भी करता है।
खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी धमकी दे चुका है। अमृतपाल ने रविवार को पंजाब के मोगा जिले के बुधसिंह वाला गांव में कहा था कि इंदिरा ने भी दबाने की कोशिश की थी, क्या हश्र हुआ? अब अमित शाह अपनी इच्छा पूरी कर के देख लें। अमृतपाल पंजाबी सिंगर दीप सिद्धू की बरसी में आया था। अमित शाह ने कुछ दिन पहले कहा था कि पंजाब में खालिस्तान समर्थकों पर हमारी नजर है। अमृतपाल से शाह के बयान को लेकर सवाल किया गया था। इस पर अमृतपाल ने कहा कि शाह को कह दो कि पंजाब का बच्चा-बच्चा खालिस्तान की बात करता है। जो करना है कर ले। हम अपना राज मांग रहे हैं, किसी दूसरे का नहीं।