
मलेशिया में मिला एक अद्भुत शिवलिंग!
विपुल विजय रेगे। आदि पर्व की महाभारत जैसे विशाल ग्रन्थ की मूल प्रस्तावना है। इसमें महाभारत के पर्वों और उनके विषयों का संक्षिप्त संग्रह है। कथा-प्रवेश के बाद च्यवन का जन्म, पुलोमा दानव का भस्म होना, जनमेजय के सर्पसत्र की सूचना, नागों का वंश,, देवों-दानवों द्वारा समुद्र मंथन आदि का संक्षिप्त वर्णन किया गया है।
समुद्र मंथन हुआ और अमृत निकला!
मुस्लिम देश मलेशिया की लाऊ पहाड़ी पर एक मंदिर है। इसे Candi Sukuh ( कंडी सुकुह) कहा जाता है। सुकुह मंदिर में जो जाता है, उसका मज़ाक बनाता है! इसे बनाने वालों पर भद्दी टिपण्णियां करता है। ये मंदिर खजुराहो की थीम पर बना है। इसे ‘सेक्स एजुकेशन’ से जोड़कर देखा जाता है। मंदिर में एक दीवार पर महाभारत का आदिपर्व अंकित किया हुआ है।सन 2016 की शुरुआत में यहाँ पुरातत्व विभाग मरम्मत का कार्य करवा रहा था। इसी दीवार की नींव से पुराविदों ने जो ख़ज़ाना पाया, उसे देखकर इस मंदिर के बारे में उनकी राय हमेशा के लिए बदल गई।
तांबे के एक बर्तन से जुड़ा एक पारदर्शी शिवलिंग। इसके भीतर एक ख़ास ‘द्रव’ भरा हुआ है। सघन जाँच के बाद पाया गया कि इसमें भरा द्रव कई सदी पुराना है और अब भी सूखा नहीं है। तांबे के बर्तन से इसकी बड़ी बारीक़ जुड़ाई की गई है ताकि इसे किसी भी तरह खोला न जा सके। ध्यान रहे ये जिस दीवार में पाया गया, उस पर ‘अमृत मंथन’ का विवरण अंकित है। मंदिर में खजुराहो की तरह ‘काम में लिप्त’ मूर्तियां और मात्र एक दीवार पर आदिपर्व का होना कौतुहल पैदा करता है।
इस पारदर्शी शिवलिंग को सुरक्षित रखने के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया?
क्या ये मंदिर तंत्र से सम्बन्ध रखता है?
क्या ‘काम-वासना’ के जरिये मंदिर का निर्माण करने वाले ‘जीवनचक्र’ की ओर गूढ़ संकेत कर रहे थे?
क्या इस शिवलिंग में उसी अमृत का अंश भरा है जो समुद्र मंथन के बाद निकाला गया था?
क्या ये इतना अमूल्य था कि इसे छुपाने के लिए ऐसी गूढ़ सांकेतिक व्यवस्था की गई?
इस लिंग की कॉर्बन डेटिंग लगभग बारहवीं सदी की बताई जा रही है। इस काल में मलेशिया सम्पूर्ण हिन्दू राष्ट्र था। यहाँ मजापहित राजवंश का साम्राज्य था। इस वंश के मंदिर व अन्य निर्माण देखकर लगता है कि ये स्वर्णिम काल रहा होगा। पंद्रहवी सदी में जब इस्लाम से खतरा हुआ तो इस नायाब वस्तु को इस मंदिर में छुपा दिया गया। इस लिंग के साथ और भी कई कीमती रत्न मिले हैं।
आक्रांताओं के भय से इस शिवलिंग को छुपाना जरुरी हो गया था क्योंकि बाद में उन्होंने मलेशिया में मजापहित साम्राज्य के कई मंदिर और भवन नष्ट कर दिए। जिसने भी ये चमत्कारिक शिवलिंग दीवार में छुपाया, वो जानता था कि ये किसी हमलावर के हाथ लग गया और उसने जान लिया कि इसमें भरा ‘द्रव” क्या है तो बड़ी मुश्किल हो सकती है।
इसे कहते हैं अद्भुत इंजीनियरिंग। शिवलिंग के भीतर सदियों से भरा द्रव सुरक्षित है। किन हाथों ने ये काम किया होगा और क्यों किया होगा? सदियों पूर्व स्फटिक के ऐसे खोखले लिंग बनाना कैसे सम्भव हुआ होगा। और ये सारे तामझाम ‘साधारण पानी’ को सुरक्षित रखने के लिए तो नहीं किये होंगे। क्या वो अमृत है। यदि उसे आज के वातावरण में लाया जाए तो क्या वो नष्ट हो जाएगा। सवाल और बस सवाल?
साभार: विपुल विजय रेगे की फेसबुक वॉल से।
ज्ञान अनमोल हैं, परंतु उसे आप तक पहुंचाने में लगने वाले समय, शोध, संसाधन और श्रम (S4) का मू्ल्य है। आप मात्र 100₹/माह Subscription Fee देकर इस ज्ञान-यज्ञ में भागीदार बन सकते हैं! धन्यवाद!
Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Bank Details:
KAPOT MEDIA NETWORK LLP
HDFC Current A/C- 07082000002469 & IFSC: HDFC0000708
Branch: GR.FL, DCM Building 16, Barakhamba Road, New Delhi- 110001
SWIFT CODE (BIC) : HDFCINBB
Paytm/UPI/Google Pay/ पे / Pay Zap/AmazonPay के लिए - 9312665127
WhatsApp के लिए मोबाइल नं- 8826291284