- कांग्रेस कार्यालय का किरानी भीम पंडित और रितेश तिवारी मिलकर चला रहा था रैकेट।
- झांसे में आए लोगों की होती थी कांग्रेस मुख्यालय में मीटिंग।
- कांग्रेस के बड़े नेताओं का तो इसमें हाथ नहीं क्राइम ब्रांच कर रही है जांच?
- गृहमंत्री अमित शाह को बदनाम करने की कांग्रेसी साजिश के एंगल से भी हो रही है जांच।
कांग्रेस कार्यालय में काम करने वाला एक व्यक्ति भीम पंडित हाई प्रोफाइल ठग रितेश तिवारी के साथ मिलकर ठगी का रैकेट चला रहा था। खुद को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निजी सचिव का करीबी बताकर ठगी करने वाले इस गैंग की मीटिंग अक्सर फार्म हाउस और 24, अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय में होती थी।
पुलिस का दावा है कि आरोपियों का परिचय कांग्रेस के नेताओं से है। ऐसे में जांच की जा रही है कि इस रैकेट को चलाने के पीछे कोई बड़ा कांग्रेसी नेता तो शामिल नहीं है।
सूत्रों ने दावा किया जिस तरह से कांग्रेस पार्टी की ओर से खासकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बारे में लगातार झूठी सूचनाएं प्रसारित करके घेरने का प्रयास किया जा रहा है इसको लेकर क्राइम ब्रांच अब यह जांच कर रही है की इन कांग्रेस नेताओं की मंशा केंद्र सरकार को बदनाम करनेे की तो नहींं थी।
पुलिस का कहना है कि ये सभी लोन दिलाने और अन्य काम कराने के नाम पर ठगी करते थे। रितेश तिवारी बसई धारापुर में फार्म हाउस किराए पर लेकर रहता था। रौब दिखाने के लिए उसने बाउंसर रखे हुए थे। इसके अलावा दो जिप्सी रखी हुई थी। बाउंसर पायलट गाड़ी में एस्कॉर्ट बनकर चलते थे।
लोगों को झांसे में लेने के बाद शातिर ठगों का यह गैंग संबंधित व्यक्ति को एक फॉर्म हाउस पर बुलाता था, जिसे किराए पर लेकर रखा गया था। वहां कई गार्ड रहते थे। महंगी गाड़ियां खड़ी रहती थीं। व्यक्ति के वहां पहुंचने पर उसकी बाकायदा जांच की जाती थी। मोबाइल फोन वगैरह बाहर ही रखवा कर तब उसे एंट्री दी जाती थी। इसे ठग अपना दफ्तर बताते थे।
इस तरह पांच लोगों का ये गैंग लोगों के साथ लोन दिलाने के नाम पर ठगी करने में सफल हो जाता था। इसके बाद झांसे में आए लोगों को चमक दमक दिखाने केेे लिए कांग्रेस कार्यालय बुलाकर मीटिंग की जाती थी।
पूछताछ में पता चला है कांग्रेस मुख्यालय में काम करने वाला भीम पंडित साल 2000 से काम कर रहा है और वह आरोपियों की पीड़ित के साथ कांग्रेस मुख्यालय में मुलाकात कराता था। इससे पीड़ित को लगता था कि इन लोगों की कांग्रेस नेताओं से अच्छी जान-पहचान है।
झांसे में आए लोगों को बताया जाता था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का निजी सचिव उनका बेहद करीबी है और वह कोई भी काम चुटकी बजाते करा सकता है । क्राइम ब्रांच का कहना है कि ग्रेजुएशन कर चुका रितेश तिवारी खुद को बड़ा सरकारी अफसर बताता था जबकि गिरोह में शामिल भास्कर नाथ अच्छी अंग्रेजी बोल कर झांसे में आए लोगों को ठगी का शिकार बनाता था।
पुलिस ने गिरोह के कब्जे से फारच्यूनर कार, कई मोबाइल फोन व दो जिप्सी बरामद की हैं। जबकि भीम पंडित और रितेश तिवारी के साथ जिन लोगों को पकड़ा गया है उनमें अजय जैन वित्तीय संस्था में काम करता है। भास्कर नाथ रिटायर सरकारी अफसर का बेटा है। इसके अलावा रोहिणी में रहने वाला अश्विनी प्रॉपर्टी डीलर है।
पुलिस ने बताया शिकायत देने वाले व्यक्ति ने बताया था कि उससे 25 करोड़ का लोन दिलाने का भरोसा देकर स्टैंप पेपर के खर्चे के नाम पर 12 लाख रुपए ठगे गये हैं। एक अन्य व्यक्ति ने 50 करोड़ का लोन दिलाने के नाम पर 32 लाख ठगी की शिकायत दी थी। जांच के दौरान पुलिस को पता चला रितेश तिवारी सिविल लाइंस इलाके का रहने वाला है, पुलिस को गिरोह के अन्य सदस्य अमित, गौरव नंदा और रवि की तलाश है।