ED की जांच में ‘राफेल डील’ में राबर्ट वाड्रा व प्रियंका वाड्रा के साथ राहुल गांधी का नाम भी सामने आया है। इस डील में राफेल की कंपनी दासौ ने राॅबर्ट वाड्रा के पार्टनर व Arms Dealer संजय भंडारी को ऑफसेट पार्टनर बनाने से मना कर दिया, जिस कारण राहुल का राफेल राग शुरू हुआ। वैसे संजय भंडारी-वाड्रा-राफेल डील का खेल #Indiaspeaksdaily पर पहले समझा चुका हूं। लेकिन इस मामले में ओपइंडिया और रिपब्लिक भारत ने एक नया खुलासा किया है, जो हरियाणा के लैंड डील से जुड़ा है। इस लैंड डील का सीधा रिश्ता राफेल डील से जुड़ा है, जिसके न मिलने पर पूरा गांधी-वाड्रा परिवार बौखलाया हुआ है। आइए ओपइंडिया और रिपब्लिक भारत ने जो खुलासा किया है, उसे बिंदुवार समझते हैं
1) राहुल ने एचएल पहवा से एक ज़मीन खरीदी, ये 6.5 एकड़ ज़मीन हरियाणा के हसनपुर में है। आरोप है कि ये ज़मीन कम दामों पर खरीदी गई। ज़मीन का ये सौदा 26 लाख 47 हज़ार रुपये का था।
2) इस सौदे के लिए पेमेंट दो चेक के ज़रिए की गई। पहली बार 12 जनवरी 2008 को चेक से 24 लाख रुपये की पेमेंट की गई जबकि दूसरी पेमेंट के लिए 17 मार्च 2008 को 2 लाख 47 हज़ार रुपये का चेक दिया गया।
3) इसके अलावा पहवा ने 3 मार्च 2008 को रॉबर्ट वाड्रा को भी 36 लाख 9 हज़ार रुपये में एक ज़मीन बेची। इस सौदे की डीड में ज़मीन बेचने वाले के तौर पर तो एचएल पहवा का नाम है, लेकिन खरीदने वाले की जगह रॉबर्ट वाड्रा का नाम नहीं बल्कि महेश नागर के हस्ताक्षर हैं। डील में लिखा गया है कि ये ज़मीन रॉबर्ट वाड्रा ने महेश नागर के ज़रिए खरीदी है।
4) पहवा इस जमीन को 33,22,003 रुपये में बेचना चाहते थे। लेकिन इसे राहुल गांधी को 26,47,000 रुपए में बेचने के लिए राजी हो गए।
5) इसी तरह 28 अप्रैल 2006 को प्रियंका गांधी ने भी पहवा से 15 लाख रुपये में एक ज़मीन खरीदी। जिसके लिए दो चेक के ज़रिए पेमेंट की गई। OpIndia के मुताबिक प्रियंका ने बाद में इसी ज़मीन को 84 लाख 15 हज़ार 6 रुपये में बेच दी।
6) गौर करने वाली बात ये है कि पहवा ने ज़मीन वापस खरीदने के लिए पेमेंट 5 किस्तों में की और इसके लिए फंड की कमी का हवाला दिया गया, कई बार तो ज़मीनें नेगेटिव कैश बैलेंस होने के बावजूद खरीदी गई लेकिन ED की जांच में हैरान करने वाला खुलासा ये हुआ है कि पहवा को एनआरआई बिज़नेसमैन सीसी थंपी से 54 करोड़ रुपये मिले।
7) पहवा ने इन ज़मीनों को खरीदने के लिए सीसी थंपी से रकम ली। थंपी, संजय भंडारी का करीबी दोस्त है और दोनों के रिश्ते पहले से जांच के दायरे में हैं। इतना ही नहीं ED को वाड्रा की लंदन वाली प्रॉपर्टी के तार भी थंपी और भंडारी से जुड़ते दिख रहे हैं। संजय भंडारी पर ये भी आरोप लगते रहे हैं कि उसने यूपीए के दौरान राफेल का ऑफसेट पार्टनर बनने की कोशिश की थी, लेकिन राफेल ने संजय को सीधे ना कह दिया था।
8) संजय भंडारी वही शख्स है जिसके खिलाफ जांच चल रही है और जिसे रॉबर्ट वाड्रा का करीबी माना जाता है। OpIndia की रिपोर्ट से साफ है कि राहुल गांधी ने पहवा से ज़मीन खरीदी और प्रियंका और रॉबर्ट वाड्रा ने भी इसी व्यक्ति से ज़मीनें खरीदीं। बाद में पहवा ने मोटे दामों पर रॉबर्ट-प्रियंका से ज़मीनें वापस खरीद लीं।
9) अगर OpIndia की रिपोर्ट को सही माना जाए तो जिस संजय भंडारी पर डील में रिश्वतखोरी के आरोप है वो सीसी थंपी का करीबी है और सीसी थंपी वही शख्स है जो गांधी और वाड्रा परिवार के साथ ज़मीनों का सौदा करता रहा है।
इतना ही नहीं संजय भंडारी ने यूपीए काल में राफेल का ऑफसेट पार्टनर बनने की कोशिश भी की थी। यानी कहीं ना कहीं ये सारा खेल कुछ बड़े नामों, देश के सबसे बड़े राजनैतिक परिवार, और हथियारों के सौदागरों के बीच का लग रहा है। जिसका सच जल्द सामने आ जाएगा।
No place for middlemen.
No tolerance for corruption.
No fake beneficiaries swindling away recourses.
This is a New India. We have worked hard to remove corruption and punish the corrupt.
Do read this fine piece by @arunjaitley Ji. https://t.co/uK4lWpREHx
— Narendra Modi (@narendramodi) March 13, 2019
लैंड डील के दस्तावेज यानी रजिस्ट्री के कागज पर राहुल गांधी व प्रियंका वाड्रा की तस्वीर सामने आने पर कांग्रेस ने भी यह मान लिया है कि गांधी परिवार ने लैंड डील किया था। लेकिन उसका तर्क है कि राहुल गांधी ने खरीद कर अपनी बहन प्रियंका को उपहार में दिया था।