विपुल रेगे। सात बड़ी फ्लॉप फ़िल्में देने के बाद आखिरकार अक्षय कुमार ने ‘राम सेतु’ से फ्लॉप के सिलसिले को रोक दिया है। ये एक साधारण फिल्म है, जिसे हनुमान के एक पात्र ने असाधारण बना कर रख दिया। धीमी गति से चलती फिल्म अपने अंतिम आधे घंटे में दर्शकों को न केवल रोमांचित करती है, बॉक्स ऑफिस को भी जगमगा देने की क्षमता रखती है।
‘राम सेतु’ श्री राम द्वारा बनाए गए पुल के साथ-साथ अक्षय कुमार का सिनेमाई माफीनामा भी है। पिछले दो वर्षों में अक्षय ने अपने बयानों और विवादास्पद फिल्मों से आमजन को बहुत दुःख पहुंचाया था। इस दीपावली अक्षय ने गलतियों का पश्चाताप ‘राम सेतु’ के जरिये कर दिया है। रिलीज के पहले दिन बड़े शहरों की अपेक्षा छोटे शहरों में दर्शक उत्साह से फिल्म देखने पहुंचे। पहले शो से बाहर निकले दर्शकों की प्रतिक्रियाएं काफी उत्साहजनक दिखाई दे रही है।
फिल्म की कहानी उस दौर में सेट की गई है, जब तत्कालीन केंद्र सरकार राम सेतु को तोड़ने का निर्णय ले चुकी थी। एक बड़ा बिजनेसमैन अपने लाभ के लिए राम सेतु को तोड़ना चाहता है। सरकार एक आर्कियोलॉजिस्ट को राम सेतु की जाँच कर रिपोर्ट देने के लिए कहती है। आर्कियोलॉजिस्ट नास्तिक है। उसे रामायण पर बिलकुल विश्वास नहीं है। सरकार के लालची मंत्री आर्कियोलॉजिस्ट आर्यन पर दबाव डालते हैं कि बिना जाँच किये ही रिपोर्ट बना दे।
रिपोर्ट आने के बाद देशभर में आर्यन का विरोध शुरु कर दिया जाता है। बिजनेसमैन आर्यन को नए सिरे से जाँच शुरु करने के लिए कहता है। जब आर्यन की जाँच शुरु होती है तो उसे ऐसा लगता है कि सेतु स्वयं नहीं बना, बल्कि उसे बनाया गया है। कहानी यहाँ से रोचक मोड़ लेती है। कहानी में एक नए पात्र एपी की एंट्री होती है। एपी के आने के बाद दर्शकों का उत्साह फिल्म में और भी बढ़ जाता है। आर्यन एक खोज श्रीलंका में भी करता है।
उसका ऐसा सोचना है कि यदि रावण की वास्तविकता सिद्ध कर दी जाए, तो राम की वास्तविकता अपने आप ही सिद्ध हो जाएगी। फिल्म का अंतिम आधा घंटा इसकी सफलता तय कर देता है। और फिल्म के अंतिम दस मिनट में कोर्ट रूम ड्रामा और एक अन्य रहस्य खुलता है। इस रहस्य को बरक़रार नहीं रखा जाता तो फिल्म उतनी रोचक नहीं बन सकती थी। इसी एक रहस्य में फिल्म की सफलता छुपी हुई है।
निर्देशक को साधुवाद कि उन्होंने अपनी फिल्म में एक ऐसा पात्र रखा है, जिसके प्रति प्रेम इस विश्व के कोने-कोने में व्याप्त है। यदि ये पात्र न होता तो फिल्म में कोई रोचकता ही नहीं रहती। अक्षय कुमार के लिए ‘राम सेतु’ कमबैक करने के लिए एक अच्छा प्लेटफॉर्म सिद्ध होगी। दीपावली के पावन अवसर पर अक्षय कुमार ने एक मनोरंजक फिल्म डिलीवर की है। फिल्म के अंत में जब कहानी कोर्ट रूम में जाती है तो डायलॉग्स सुनकर लगता है कि अक्षय कुमार ने अपनी गलतियों का प्रायश्चित्त कर लिया है।
ये परिवार के साथ देखने योग्य फिल्म है। ये फिल्म रामायण, राम और हनुमान के प्रति आपकी श्रद्धा को और बढ़ाती है।