By using this site, you agree to the Privacy Policy and Terms of Use.
Accept
India Speak DailyIndia Speak Daily
  • समाचार
    • देश-विदेश
    • राजनीतिक खबर
    • मुद्दा
    • संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही
    • सरकारें
    • अपराध
    • भ्रष्टाचार
    • जन समस्या
    • English content
  • मीडिया
    • मेनस्ट्रीम जर्नलिज्म
    • सोशल मीडिया
    • फिफ्थ कॉलम
    • फेक न्यूज भंडाफोड़
  • राजनीतिक विचारधारा
    • अस्मितावाद
    • जातिवाद / अवसरवाद
    • पंचमक्कारवाद
    • व्यक्तिवाद / परिवारवाद
    • राजनीतिक व्यक्तित्व / विचारधारा
    • संघवाद
  • इतिहास
    • स्वर्णिम भारत
    • गुलाम भारत
    • आजाद भारत
    • विश्व इतिहास
    • अनोखा इतिहास
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • सनातन हिंदू धर्म
    • पूरब का दर्शन और पंथ
    • परंपरा, पर्व और प्रारब्ध
    • अब्राहम रिलिजन
    • उपदेश एवं उपदेशक
  • पॉप कल्चर
    • इवेंट एंड एक्टिविटी
    • मूवी रिव्यू
    • बॉलीवुड न्यूज़
    • सेलिब्रिटी
    • लाइफ स्टाइल एंड फैशन
    • रिलेशनशिप
    • फूड कल्चर
    • प्रोडक्ट रिव्यू
    • गॉसिप
  • BLOG
    • व्यक्तित्व विकास
      • मनोविश्लेषण
    • कुछ नया
    • भाषा और साहित्य
    • स्वयंसेवी प्रयास
    • ग्रामीण भारत
    • कला और संस्कृति
    • पर्यटन
    • नारी जगत
    • स्वस्थ्य भारत
    • विचार
    • पुस्तकें
    • SDEO Blog
    • Your Story
  • JOIN US
Reading: वैदिक विमान- जब दुनिया ठीक से नेकर सिलना नहीं जानती थी, भारतीय ग्रंथों में सैंकडो बार वायु-मार्ग और विमान शब्द का हुआ था प्रयोग!
Share
Notification
Latest News
देश की इसने कर दी दुर्गति
भाषा और साहित्य
गिर गाय के घी से सेहत में सुधार!
Blog SDeo blog
Delegation diplomacy: Gujarat Model
English content
पूरा-भारत कश्मीर बन रहा
भाषा और साहित्य
धन्य हैं “ठाकुर देवकी-नंदन”
भाषा और साहित्य
Aa
Aa
India Speak DailyIndia Speak Daily
  • ISD Podcast
  • ISD TV
  • ISD videos
  • JOIN US
  • समाचार
    • देश-विदेश
    • राजनीतिक खबर
    • मुद्दा
    • संसद, न्यायपालिका और नौकरशाही
    • सरकारें
    • अपराध
    • भ्रष्टाचार
    • जन समस्या
    • English content
  • मीडिया
    • मेनस्ट्रीम जर्नलिज्म
    • सोशल मीडिया
    • फिफ्थ कॉलम
    • फेक न्यूज भंडाफोड़
  • राजनीतिक विचारधारा
    • अस्मितावाद
    • जातिवाद / अवसरवाद
    • पंचमक्कारवाद
    • व्यक्तिवाद / परिवारवाद
    • राजनीतिक व्यक्तित्व / विचारधारा
    • संघवाद
  • इतिहास
    • स्वर्णिम भारत
    • गुलाम भारत
    • आजाद भारत
    • विश्व इतिहास
    • अनोखा इतिहास
  • धर्म
    • अध्यात्म
    • सनातन हिंदू धर्म
    • पूरब का दर्शन और पंथ
    • परंपरा, पर्व और प्रारब्ध
    • अब्राहम रिलिजन
    • उपदेश एवं उपदेशक
  • पॉप कल्चर
    • इवेंट एंड एक्टिविटी
    • मूवी रिव्यू
    • बॉलीवुड न्यूज़
    • सेलिब्रिटी
    • लाइफ स्टाइल एंड फैशन
    • रिलेशनशिप
    • फूड कल्चर
    • प्रोडक्ट रिव्यू
    • गॉसिप
  • BLOG
    • व्यक्तित्व विकास
    • कुछ नया
    • भाषा और साहित्य
    • स्वयंसेवी प्रयास
    • ग्रामीण भारत
    • कला और संस्कृति
    • पर्यटन
    • नारी जगत
    • स्वस्थ्य भारत
    • विचार
    • पुस्तकें
    • SDEO Blog
    • Your Story
  • JOIN US
Have an existing account? Sign In
Follow US
  • Website Design & Developed By: WebNet Creatives
© 2022 Foxiz News Network. Ruby Design Company. All Rights Reserved.
India Speak Daily > Blog > Blog > व्यक्तित्व विकास > विचार > वैदिक विमान- जब दुनिया ठीक से नेकर सिलना नहीं जानती थी, भारतीय ग्रंथों में सैंकडो बार वायु-मार्ग और विमान शब्द का हुआ था प्रयोग!
विचारस्वर्णिम भारत

वैदिक विमान- जब दुनिया ठीक से नेकर सिलना नहीं जानती थी, भारतीय ग्रंथों में सैंकडो बार वायु-मार्ग और विमान शब्द का हुआ था प्रयोग!

Rajeev Ranjan Prasad
Last updated: 2018/08/10 at 9:06 AM
By Rajeev Ranjan Prasad 2.1k Views 12 Min Read
Share
12 Min Read
Ancient Indian Aviation (Courtesy Photo)
SHARE

वैमानिक शास्त्र में मेरी जिज्ञासा थी। इसका कारण पुष्पक विमान नहीं बल्कि वामपंथी खेमे के पत्र-पत्रिकाओं व वेबसाईट पर प्रकाशित वे आलेख थे जिनमें से कुछ के शीर्षक हैं “चालीस साल पहले ही खुल गयी थी वैमानिक शास्त्र की पोल” अथवा “एक भारतीय ने विमान उडाने की कोशिश की थी, आविष्कार नहीं”। इस तरह के अन्य आलेख भी हैं जिनकी परतों को उधेडिये तो आप पायेंगे कि आरोप-प्रत्यारोप किस्म की भाषा में एक नकार है, तथ्य तो खैर मैं लाल झंडे के नीचे कही गयी बातों में कम ही तलाश करता हूँ।

द वायर में वासुदेवन मुकुंथ का एक आलेख प्रकाशित हुआ है जिसमें वे लिखते हैं “इंजीनियरों को उस भारतीय की कहानी पढ़ाई जानी चाहिए, जिसने राइट बंधुओं से आठ साल पहले हवाई जहाज उड़ाने का कारनामा कर दिखाया था, वास्तव में उस मोमबत्ती को ही बुझाने की कोशिश करने की तरह है। भारतीय श्रेष्ठता की चाहत ने उनकी आंखों पर इस तरह पट्टी बांध दी है कि एक भारतीय द्वारा 1895 ईस्वी में हवाई जहाज उड़ाने की बात पर उनका टेप रिकॉर्डर अटक गया है जबकि मुमकिन है कि ऐसी किसी घटना का कोई अस्तित्व ही न हो”

यहाँ यह वेबसाइट शिवकर बापूजी तलपडे का जिक्र कर रही है जिनके विषय में जानकारी मिलती है कि उन्होंने प्राचीन शस्त्रों में वर्णित विवरण को आधार बना कर एक विमान का डिजाईन तैयार किया तथा उसे आंशिक रूप से हवा में रखने में भी उन्हें सहायता प्राप्त हुई थी। इस उद्धरण में लेखक द्वारा प्रयोग किये गये मुमकिन शब्द पर जोर दीजिये। जिस बात पर आश्वस्ति नहीं है, जिसके लिये आपके समक्ष समानांतर शोध नहीं हैं, उसके लिये भी झाडने को भाषण और छापने को अखबार हैं? मुमकिन है कि द वायर कोई फर्जी वेबसाइट है या किसी एजेंडे के तहत कार्य करती है, मुमकिन है कि वासुदेवन मुकुंथ नाम का कोई व्यक्ति ही न हो, मुमकिन तो कुछ भी हो सकता है न? हर किसी की मुमकिन को ही क्या खारिज करने का आधार बनाया जाये?

वैमानिक शास्त्र की वास्तविकता क्या है? शिवकर बापूजी तलपडे भी ‘मुमकिन हैं या वास्तविकता’ इसे जानने के लिये मैंने कुछ संदर्भों को टटोला। खारिज करने वालों ने कतिपय वैज्ञानिक जैसे लगने वाले तर्क रखे हैं लेकिन वे बहुत गोलमोल हैं, आप नकार की राजनीति अथवा साजिश को उसमें से सूंघ सकते हैं। नकारशास्त्री कहते हैं कि तलपडे द्वारा निर्मित वायुयान में मरकारी वोर्टक्स इंजन का प्रयोग किया गया था। अर्थात यह मर्करी (पारे) का एक ड्रम था जो सूर्य की रौशनी के सम्पर्क में आने पर हाईड्रोजन छोडता था जिससे जहाज उपर की ओर उडता था। अब दो तरह की बाते रखी गयी हैं पहली यह कि पारा सूर्य की रौशनी के साथ किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं करता। यह बात काटी न जा सके इसलिये आगे जोडा गया है कि सूर्य की रोशनी से प्रेरित कुछ रासायनिक प्रक्रियाओं मे भागीदारी कर सकता है, वह ऑक्सीजन के साथ बहुत थोडी मात्रा में प्रतिक्रिया करता है (अब दो में से एक ही बात सही हो सकती है)।

More Read

ये किसी के समर्थन या विरोध की बात नहीं है। ये हम सबके अस्तित्व की बात है।
हिन्दू के नाम पर धोखा दशकों से!
तुम्हारे पास ‘विकल्प नहीं है चुपचाप साथ रहो !’
पीड़ित की पीड़ा का न हिसाब और न अध्ययन

रेखांकित किया गया है कि वायुयान को उडाने के लिये जिस हाईड्रोजन की बात की गयी है वह आया कहाँ से? इस पूरे विवरण में ध्यान देने योग्य बात है कि हम किसी हवन-मंत्र की बात नहीं कर रहे हैं। एक शोधार्थी ने किसी प्राचीन ग्रंथ की सहायता से प्रयोग किया और दावा है कि पंद्रह सौ फीट की ऊँचाई तक वह अपने बनाये विमान को उडाने में कामयाब हो गया था। प्रयोक्ता द्वारा उद्धरित ग्रंथ विमान उसकी संरचना की जानकारी देता है, सम्बंधित रासायनों की जानकारी प्रदान करता है। शिवकर बापूजी तलपडे ने ग्रंथ में दिये गये विवरणों को आधारित कर डिजाईन तैयार किया, अपना यंत्र बनाया, अपने प्रयोग किये यहाँ तक कि कालांतर में ‘प्राचीन विमान कला का शोध’ नाम से एक पुस्तक भी लिखी। उन्होंने जब अपना विमान उडाया तब उसे देखने वाले कुछ प्रत्यक्षदर्शी भी थे। विमान कुछ देर हवा में रह कर जमीन पर गिरा और टूट गया तथापि क्या इस प्रयास को असफल कहा जाना चाहिये? दि वायर में यह लेख निर्णय भी दे देता है कि “इन और दूसरी कहानियों को पूरी तरह से खारिज किया जा चुका है- खासकर पश्चिम की वैज्ञानिक परंपराओं के द्वारा।” पश्चिम की वैज्ञानिक परम्परायें खारिज और वाजिब के सार्टिफिकेट बांटती ही रहती हैं, आपने अपनी ही पुस्तकों पर कितना शोध किया?

गहरे पानी उतरिये तो ज्ञात होगा कि वैमानिक शास्त्र वह अकेला ग्रंथ नहीं है जो विमान की संकल्पना, उसके प्रकार एवं प्रक्रिया प्रस्तुत करता था। शिवकर बापूजी तलपडे के प्राथमिक शोध का आधार ऋग्वेद एवं यजुर्वेद के भाष्य ग्रंथ थे। जब तलपडे को यह विश्वास हो गया कि अपने प्रयोगों में वे महत्वपूर्ण सफलता अर्जित कर सकते हैं तब उन्होंने राजा-रजवाडों और ब्रिटिश सरकार से अपने शोध में सहायता की अपेक्षा की। साम्राज्यवादी ब्रिटेन की सरकार और उसके अधीन आने वाले राजे रजवाडे अपने उपनिवेश के किसी शोधार्थी को सहायता क्यों प्रदान करते? उन्हें उपयुक्त आर्थिक मदद कहीं से प्राप्त नहीं हुई। इसके बाद भी वे निजी प्रयास करते रहे तथा जीवन के अंतिम दिनों में ‘मरुत्सखा’ नाम के एक विमान का निर्माण करने की कोशिश में थे, यद्यपि उनका दूसरा प्रयास सफल नहीं हो सका।

एक आलेख में वर्तमान के किसी शोध का हवाला दिया गया जो कथित रूप से चालीस वर्ष पूर्व हुआ था। मैं शोधार्थी पर प्रश्न नहीं उठा रहा लेकिन अगस्त्य के एक श्लोक से विद्युत उत्पन्न करने की प्रक्रिया का स्मरण यहाँ हो आता है। श्लोक पर शोध करने वालों ने शिखिग्रीवा शब्द का अर्थ मोर की गर्दन लगाया था जबकि नीला थोथा प्रयोग किया जाना था। हम इतना भी आगे नहीं बढ गये कि हजारो साल पहले लिखी गयी पंक्तियो के सही अनुवाद करने में सक्षम हों। तलपडे के विमान यंत्र में हाईड्रोजन कैसे उत्पन्न हुआ इसके लिये आज हम किसी “शिखिग्रीवा” में अटक गये होंगे और हमारी झेंप मिटाने का प्रगतिशील तरीका है खारिज करो।

वैमानिक शास्त्र को खारिज करने वालों ने बिना संदर्भ यह घोषित किया कि यह ग्रंथ भारद्वाज ऋषि द्वारा नहीं अपितु सुब्बाराया शास्त्री स्वारा 1900 के आसपास लिखा गया है। चलिये सारे तर्क-कुतर्क को मान लिया जाये तब भी राइट बंधु ने पहला जहाज 1903 में उडाया जबकि तलपडे का प्रयास 1895 का है अर्थात लगभग एक दशक पूर्व। इसका अर्थ यह भी है कि उन्होंने विमान निर्माण और उसकी प्रक्रियाओं का जो अनुसरण किया वे ग्रंथ और भी पुरातन थे। वैमानिक शास्त्र कब किखा गया इसपर बहस इतिहासकारों का विषय है तथापि उपलब्ध ग्रंथ (सौभाग्य से पीडीएफ के रूप में यह इंटरनेट पर भी उपलब्ध है) में विमान बनाने के सैंकडो सिद्धांत प्रतिपादित किये गये हैं (अगले आलेखों में हम इस ग्रंथ पर स-विस्तार चर्चा करेंगे)।

राइट बंधु ने पहला विमान उडाया इस मान्यता से किसी को इनकार नहीं क्योंकि जो घटनाक्रम दस्तावेजीकृत हुआ वही प्रामाणित है। इसके बाद भी हम नकारना क्यों चाहते हैं कि विमान की संकल्पना ही नहीं उसके निर्माण के विशुद्ध भारतीय प्रयासों पर इक्का-दुक्का ग्रंथ नहीं अपितु पूरी परम्परा ही मौजूद जान पडती है। हमारी कृतियों के पुन: अनुवाद, पठन-पाठन अथवा उनपर शोध के प्रति भद्दे तरीके का इनकार क्यों है? स्वयं पर कथित रूप से प्रगतिशील होने का लेबल लगाने वाले लोग प्राचीन अंवेषणों से कन्नी काट कर क्यों निकल जाना चाहते हैं? जब दुनिया ठीक से नेकर सिलना नहीं जानती थी उस दौर के ग्रंथों में सैंकडो बार वायु-मार्ग और विमान शब्द का प्रयोग हुआ है, क्यों?

जब कथित रूप से वर्तमान को ज्ञात पहला विमान आकाश में उडा भी नहीं था उससे पहले वैमानिकी पर लिखे गये पाँच हजार श्लोकों को बिना विषद अध्ययन के कपोलकल्पना कहने वाले व्यक्तियों को नहीं उनकी विचारधाराओं को समझिये तो सभी उत्तर स्वत: सामने आ जायेंगे। हमे राइट बंधु ही पढने चाहिये लेकिन भारत की नयी पीढी को अपना वैमानिक शास्त्र भी जानना-समझना चाहिये। उडान की किसी कपोल कल्पना को ही अमेरिका में साकार किया गया था और तब विमान बने।

यह ठीक है कि जब तक प्राचीन ग्रंथों में दिये गये प्रयोगों को निष्कर्ष तक नहीं पहुँचाया जाता उसे वैज्ञानिक मान्यता नहीं दी जा सकती। तथापि ये कथित कल्पनायें और प्रयास क्या भारतीय विज्ञान विकास के गौरवशाली इतिहास का पृष्ठ नहीं हैं? खारिज-खारिज का खेल मत खेलिये आपकी अभिरुचि दास कैपिटल में है तो वही पढिये तथा पुरानी पुस्तकों को बिना अपनी खोखली और हास्यास्पद टिप्पणियों के किसी शिवकर बापूजी तलपडे के लिये छोड दीजिये। हम मंगल पर पहुँच गये हैं अत: प्राचीन वैमानिकी आज वैसे भी अप्रासंगिक है तथापि वह किसी अध्येता के लिये संदर्भ क्यों नहीं बनायी जा सकती? मेरा तो कहना है कि एक बार के लिये ही चरक से ले कर अर्यभट्ट तक और आयुर्वैदिक ग्रंथों से ले कर वैमानिक शास्त्र तक सब कुछ किसी गड्ढे में दबा ही दें और औरंगजेब बन जायें। कल्पनाजीवी लोगों का देश था भारत, यही सही…जाने भी दो यारो। क्रमशः…

भारतीय शिक्षा प्रणाली पर अन्य लेखों के लिए पढें:

मैक्समूलर का वेदों को दुष्प्रचारित करने का षड्यंत्र, चिट्ठियों ने खोला राज!

साम्राज्यवादी ब्रिटेन की नकल करती हमारी अध्ययन परिपाटी में मौलिकता कम है और शोर अधिक!

महर्षि अगत्स्य का विद्युत शास्त्र!

शिक्षा में हुई चूक का परिणाम है जो शल्यचिकित्सा के जनक को पश्चिम का मुंह ताकना पड़ रहा है?

राजा और रंक के भेद को मिटा कर ही भारतीय शिक्षा प्रणाली हो सकती है दुरुस्त!

वर्तमान शिक्षा प्रणाली ऐसी पौध तैयार कर रही है जिसमें न कल्पनाएं हैं न नैसर्गिक प्रतिभा!

समान शिक्षा की अवधारणा ही देश में समान सोच का बीजारोपण कर सकती है।

अंग्रेजों ने क्यों और कैसे किया भारत की गुरुकुल प्रणाली को नष्ट?

URL: Indian Education System and the Ghost of Lord Macaulay-8

keywords: Education, Vedic Spacecraft, Vedic Planes, Ancient Indian Aviation, Ancient Indian Aircraft Technology, indian education system, Education in India, indian gurukul system, वैदिक अंतरिक्ष यान, प्राचीन भारतीय विमानन, प्राचीन भारतीय विमान प्रौद्योगिकी. भारतीय गुरुकुल प्रणाली,

Related

TAGGED: Ancient india, Education, Indian education system
Rajeev Ranjan Prasad August 10, 2018
Share this Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Print
Rajeev Ranjan Prasad
Posted by Rajeev Ranjan Prasad
Follow:
राजीव रंजन प्रसाद ने स्नात्कोत्तर (भूविज्ञान), एम.टेक (सुदूर संवेदन), पर्यावरण प्रबन्धन एवं सतत विकास में स्नात्कोत्तर डिप्लोमा की डिग्रियाँ हासिल की हैं। राजीव, 1982 से लेखनरत हैं। इन्होंने कविता, कहानी, निबन्ध, रिपोर्ताज, यात्रावृतांत, समालोचना के अलावा नाटक लेखन भी किया है साथ ही अनेकों तकनीकी तथा साहित्यिक संग्रहों में रचना सहयोग प्रदान किया है। राजीव की रचनायें अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं तथा आकाशवाणी जगदलपुर से प्रसारित हुई हैं। इन्होंने अव्यावसायिक लघु-पत्रिका "प्रतिध्वनि" का 1991 तक सम्पादन किया था। लेखक ने 1989-1992 तक ईप्टा से जुड कर बैलाडिला क्षेत्र में अनेकों नाटकों में अभिनय किया है। 1995 - 2001 के दौरान उनके निर्देशित चर्चित नाटकों में किसके हाँथ लगाम, खबरदार-एक दिन, और सुबह हो गयी, अश्वत्थामाओं के युग में आदि प्रमुख हैं। राजीव की अब तक प्रकाशित पुस्तकें हैं - आमचो बस्तर (उपन्यास), ढोलकल (उपन्यास), बस्तर – 1857 (उपन्यास), बस्तरनामा (विमर्श), दंतक्षेत्र (विमर्श), बस्तर के जननायक (शोध आलेखों का संकलन), मौन मगध में (यात्रा वृतांत), मैं फिर लौटूंगा अश्वत्थामा (यात्रा वृतांत), बस्तर- पर्यटन और संभावनायें (पर्यटन विषयक), तू मछली को नहीं जानती (कविता संग्रह), प्रगतिशील कृषि के स्वर्णाक्षर – डॉ. नारायण चावड़ा (जीवनी/ कृषि शोध), खण्डहर (नाटक)। राजीव को महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा कृति “मौन मगध में” के लिये इन्दिरागाँधी राजभाषा पुरस्कार (वर्ष 2014) प्राप्त हुआ है। उनकी कृति “बस्तरनामा” को पर्यटन मंत्रालय के प्रतिष्ठित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार के लिये चयनित किया गया है। अन्य पुरस्कारों/सम्मानों में संगवारी सम्मान 2013, प्रवक्ता सम्मान (2014), साहित्यसेवी सम्मान (2015) मिनीमाताअ सम्मान (2016) आदि प्रमुख हैं।
Previous Article भागलपुर के कांग्रेस व‍िधायक की बेटी ब‍िक‍िनी में हुई वायरल!
Next Article एडिटर गिल्ड का अध्यक्ष ही जब फेक न्यूज मेकर हो तो स्वाभाविक है फेक न्यूज़ फैलाने वाले पुण्य प्रसून वाजपेयी का साथ तो देगा ही!
1 Comment 1 Comment
  • Avatar RAHUL says:
    June 9, 2022 at 6:21 pm

    अगर दुनिया के सामने अपनी हसी नहीं उडवानी है तो पहले अपने शास्त्र में से विमान कैसे बनाते है ये बताओ , ये बताओ वो विमान कैसे चलता था ? इधन क्या था उसका ?

    Loading...
    Reply

Share your CommentCancel reply

Stay Connected

Facebook Like
Twitter Follow
Instagram Follow
Youtube Subscribe
Telegram Follow
- Advertisement -
Ad image

Latest News

देश की इसने कर दी दुर्गति
गिर गाय के घी से सेहत में सुधार!
Delegation diplomacy: Gujarat Model
पूरा-भारत कश्मीर बन रहा

You Might Also Like

विचार

ये किसी के समर्थन या विरोध की बात नहीं है। ये हम सबके अस्तित्व की बात है।

May 3, 2025
विचारसंघवाद

हिन्दू के नाम पर धोखा दशकों से!

April 24, 2025
विचारसंघवाद

तुम्हारे पास ‘विकल्प नहीं है चुपचाप साथ रहो !’

April 24, 2025
विचारसंघवाद

पीड़ित की पीड़ा का न हिसाब और न अध्ययन

April 23, 2025
//

India Speaks Daily is a leading Views portal in Bharat, motivating and influencing thousands of Sanatanis, and the number is rising.

Popular Categories

  • ISD Podcast
  • ISD TV
  • ISD videos
  • JOIN US

Quick Links

  • Refund & Cancellation Policy
  • Privacy Policy
  • Contact Us
  • Terms of Service
  • Advertise With ISD
- Download App -
Ad image

Copyright © 2015 - 2025 - Kapot Media Network LLP. All Rights Reserved.

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Register Lost your password?
%d