भारत में धर्मांतरण या धर्म परिवर्तन का मुद्दा हमेशा से ही एक बहुत ही संवेदनशील और विवादास्पद मुद्दा रहा है. दक्षिण भारत में और भारत के तटवर्ती इलाकों में हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की मुहिम न जाने कब से चल रही है. धड़्ल्ले से धर्मपरिवर्तन हो रहे हैं. इस हद तक हो चुके हैं कि उन जगहों के डेमोग्राफिक्स बिल्कुल बदल चुके हैं.
लेकिन इससे भी अधिक हैरानी की बात तो यह है कि इतना सब होने के बावजूद भी मीडिया में हमें जबरन धर्मांतरण के विषय में दूर दूर तक कोई भी न्यूज़ देखने सुनने को नहीं मिलती. तमिल नाडू, आंध्र प्रदेश, केरेला जैसे राज्यों में क्रिशियन मिशनरीज़ इतनी अधिक सक्रिय हैं, समाज सेवा के नाम पर कितने ही गरीब हिंदुओं का खुल्लम खुल्ला धर्म परिवर्तन कराया जाता है. और फिर भी लेफ्ट लिबरल मीडिया इस मामले पर बिलकुल चुप्पी साधे हुए है.
यदि आप अंग्रेज़ी में क्रिस्चियन कंवर्ज़ंस इंडिया गूगल भी करेंगे तो आपके हाथ कोई जानकरी नही लगेगी. क्योंकि इस सब से जुड़ी किसी भी जानकारी को पब्लिक डोमेन में आने ही नही दिया जाता. उसे पहले ही फिल्टर कर दिया जाता है.
लेकिन हाल ही में आंध्र प्रदेश के सांसद रघु राम कृष्ण राजू ने पीग़ुरूज़ यू ट्यूब चैनल से अपनी बातचीत के दौरान आंध्र प्रदेश में धड़्ल्ले से चल रहे क्रिश्यन कंवर्ज़ंस के बारे में कुछ चौंका देने वाले तथ्य सांझा किये हैं. रघु राम कृष्ण राजू अपनी साफगोई और बेबाक अंदाज़ को लेकर कई बार अपनी पार्टी वाई एस आर कांग्रेस की आलोचना का पात्र बने हैं. यहां तक कि इन्ही की पार्टी के कुछ लोग इन्हे जान से मारने तक की धमकी दे चुके हैं.
रघु राम कृष्ण राजू ने करीब 2-3 महीने पहले टाइम्स नाओ न्यूज़ चैनल के एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए भी यह बात स्वीकारी थी कि आंध्र प्रदेश में ईसाई मिशनरियों द्वारा हिंदुओं के धर्मानतरण का एजेंडा खुल्लम खुल्ला चल रहा है. उन्होने यह भी कहा कि इसका उनकी सरकार से कोई लेना देना नही है. यह उससे भी कहीं पहले से चल रहा है और सिर्फ आंध्र प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में चल रहा है.
पीगुरूज़ यू ट्यूब चैनल के साथ अपनी बातचीत के दौरान आंध्र प्रदेश सांसद रघु राम कृष्ण राजू ने बताया कि आंफीशियल रिकार्ड्स के अनुसार आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्म के अनुयायियों का आंकड़ा वहां की जनसंख्या का मात्र 1.8 प्रतिशत है. लेकिन वास्तविकता में यह आंकड़ा 25 प्रतिशत है. इसके अलावा उन्होने यह भी कहा कि जो हिंदू घर्म के पुजारी हैं और जो ईसाई धर्म के पुजारी यानि पैस्टर हैं, उनका अनुपात 1:0.85 है. यानि हर 100 पुजारियों के लिये लगभग उतने ही पैस्टर्ज़ हैं.
इसके अलावा रघु राम कृष्ण राजू ने आंध्र प्रदेश में गिरिजाघरों की बढ्ती संख्या के बारे में विस्तार से बताया कि किस प्रकार जिन जगहों में औपचारिक रिकार्ड्स के मुताबिक कोई भी ईसाई धर्म का पालन करने वाले लोग नहीं रहते, उन जगहों में भी कमसकम 6-7 गिरिजाघर हैं. इसके अलावा कितने ही ऐसे गांव हैं जहां सिर्फ 2,3 मंदिर हैं लेकिन 6, 7 गिरिजाघर हैं.
तो यदि रघु राम कृष्ण राज जी की बातों पर गौर करें तो अर्थ स्पष्ट है. कागज़ पर जो ईसाइयों की जनसंख्या है और जो वास्तविकता में उनकी जनसंख्या है, उसमे ज़मीन आसमान का अंतर है. और इसकी एकमात्र वजह है आंध्र प्रदेश के गांवों, शहरों में बड़े पैमाने पर होने वाला क्रिशियन कंवर्ज़न.
सके आगे पीगुरूज़ यू ट्यूब चैनल पर अपने साक्षात्कार के दौरान आंध्र प्रदेश के सांसद रघु राम कृष्ण इस मुद्दे के एक और अहम पहलू की ओर सबका ध्यान आकृष्ट करते हैं. और वह है दलिन हिंदुओं का धर्म परिवर्तन. यानि ईसाई मिशनारियों ने धर्म परिवर्तन की जो मुहिम छेड़ी है, उसमे वे सबसे ज़्यादा दलित हिंदुओं को टार्गेट करते हैं. और दलित हिंदू के जिस बड़े तबके ने ईसाई धर्म धारण कर लिया है, दलित हिंदुओं के लिये नौकरियों और सरकारी योजनाओं से जुड़े कई कामों में रोज़गार पाने के लिये जो आरक्षण होता है, उसका लाभ भी यही तबका ले जाता है. यानि ये लोग ईसाई धर्म तो स्वीकार लेते हैं लेकिन दलितों के लिये बनी आरक्षण योजनाओं का लाभ उठाने के लिये स्वयं को कागज़ पर हिंदू ही दिखाते हैं.
इसके अतिरिक्त क्रिशियन कंवर्ज़ंस के लिये मिशनरियों द्वारा तटवर्ती इलाकों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की बात भी उठाई कि किस प्रकार तटवर्ती इलाकों में हिंदू मछुआरों के धर्म परिवर्तन की मुहिम चल रही है.
जो बातें आंध्र प्रदेश सांसद रघु राम कृष्ण राजू ने बताई वो तो शायद एक बर्फ के पूरे पहाड़ की सतह भर मात्र होंगी. भारत में धर्म परिवर्तन के कटु सत्य से जुड़े कितने की पहलू हैं जिन्हे लेफ्ट लिबरल मीडिया लोगों के सामने ही नहीं आने देता.
समाज सेवा की आड़ में या फिर किसी भी प्रकार एक पूरे सुनीयोजित षड्यंत्र के अंतर्गत जो हिंदुओं का ईसाई धर्म में धर्म परिवर्तन होता है, इन सब मुद्दों को छिपाने के लिये लेफ्ट लिबरल मीडिया एक गेटकीपर का काम करता है. यही गेटकीपर इस प्रकार की जानकारी को न्यूज़ में आने नहीं देता. और लोगों का मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिये तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर ऐसी न्यूज़ की भरमार लाता है जिसमे यह दिखाया जा रह है कि आदिवासी लोगों का जबरन हिंदू धर्म में परिवर्तन हो रहा है.
अब आप सोचेंगे, ऐसा वह आखिर करता क्यों है? इसका जवाब है क्रिश्चियन मिशिनरी का एजेंडा आगे बढाने के लिये. जहां तक ईसाई धर्म की बात है तो इन चीज़ों में विदेशों से इतनी फंडिंग रहती है, इतना खुला और अनाप शनाप पैसा आता है जिसका कोई ओर या छोर नहीं. तो तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर समाज सेवी से लेकर सोशल एक्टिविस्ट और तथाकथित बुद्धिजीवी और पत्रकार सभी इसी एजेंडा की सेवा में लग जाते हैं.
और हिंदू धर्म को क्रूर और अत्याचारी दिखाना भी इसी एजेंडे का एक हिस्सा है. जब सारी न्यूज़ हिंदू धर्म द्वारा दूसरों पर की गई तथाकथित ज़्यादतियों पर केंद्रित होगी तो लोगों के मन में इस धर्म की छवि दिन ब दिन बिगड़्ती जायेगी. और फिर इस धर्म की शोषक के रूप में ऐसी छवि बना दी जायेगी कि इसके शोषित होने की बात पर कोई यकीन ही नहीं करेगा. और यदि कोई धर्मानतरण जैसा मुद्दा उठाता भी है, तो उसे नान सेक्यूलर कहके चुप करा दिया जायेगा कि कोई अगर अपना धर्म परिवर्तित करना चाहे तो यह तो उसका निजी मामला है,इसमे दखल देने का क्या मतलब. लेकिन नही बात अगर उलट कंवर्ज़न की हो यानि किसी और धर्म के व्यक्ति ने हिंदू धर्म अपनाया हो तो उस पर तुरंत न्यूज़ बन जाती है कि यह उससे ज़बरदस्ती कराया गया है!
तो यही है लेफ्ट लिबरल मीडिया का दोगुलापन.