सूचना व प्रसारण मंत्रालय किस कदर नशे में ग़ाफ़िल है कि बॉलीवुड द्वारा देश की वायुसेना के अपमान की खबर भी उसे बाहर से पता चलती है। ताज़ा प्रकरण में बॉलीवुड के गंदे हाथ एक बार फिर वायुसेना की सम्मानजनक वर्दी तक सहूलियत से पहुँचने में सफल रहे हैं।
विक्रमादित्य मोटवाने द्वारा निर्देशित फिल्म ‘एके वर्सेज एके’ में अनिल कपूर ने लगभग आधी से अधिक फिल्म में वायुसेना की वर्दी पहनी है। ये वर्दी पहनकर अनिल कपूर सांता कैप लगाए दिखाई देते हैं और एक सीन में स्टेज पर ठुमके लगा रहे हैं।
मुझे बार-बार याद दिलाना पड़ता है कि एक माह पूर्व ओटीटी पर नियंत्रण करने की शक्तियां राष्ट्रपति महोदय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को सौंप चुके हैं। अब तक मिस्टर जावड़ेकर की टीम ने ओटीटी के किसी कंटेंट पर आपत्ति दर्ज करते हुए कार्रवाई नहीं की है।
यहाँ मंत्रालय को संज्ञान लेना चाहिए था लेकिन वायुसेना आपत्ति लेती है। इसका अर्थ है वायुसेना की निगरानी टीम बहुत सजग है। जब भारतीय वायुसेना की टीम सजग हो सकती है तो जावड़ेकर जी की टीम को ऐसा काम करने के लिए क्या हॉर्लिक्स पिलाना होगा? आदिपुरुष को लेकर इतना विवाद हुआ।
अब तक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस फिल्म के निर्देशक ओम राउत को स्क्रीनप्ले लेकर उपस्थित होने का नोटिस जारी क्यों नहीं किया। क्या मंत्रालय सैफ अली खान की माफ़ी से ही संतुष्ट हो गया। क्या मंत्रालय इस बात की जाँच नहीं करेगा कि भारत के जन-जन के रक्त में प्रवाहित श्री राम पर बनने वाली फिल्म की पटकथा कैसी है।
क्या ये पता नहीं लगाया जाएगा कि सैफ अली खान के घृणित बयान का फिल्म की पटकथा से कोई संबंध है या नहीं। क्या हम भूल जाए कि करण जौहर अपनी फिल्म ‘गुंजन सक्सेना’ में वायुसेना का अपमानजनक चित्रण कर साफ़ बच निकले हैं।
क्या हम भूल जाए कि एकता कपूर की एक फिल्म में सेना की वर्दी के साथ क्या गुल खिलाया गया था। इनमे से किसी पर मंत्रालय की ओर से कोई ठोस एक्शन तो छोड़िये, चेतावनी तक जारी नहीं की गई है। और अब ये फिल्म, जिसमे अनिल कपूर वायुसेना की गर्वीली वर्दी पर सांता कैप पहनते हैं।
इस मामले में भारतीय वायुसेना के अधिकार सीमित हैं। वायुसेना अधिक से अधिक एफआईआर दर्ज करवा सकती है और कोर्ट में जा सकती है। एफआईआर से नेटफ्लिक्स और इस फिल्म के निर्देशक का कुछ भी नहीं बिगड़ेगा।
याद कीजिये कुछ दिन पूर्व मध्यप्रदेश के गृहमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने नेटफ्लिक्स के विरुद्ध एफआईआर करवाई थी। मीरा नायर की फिल्म ‘अ सूटेबल बॉय’ की महेश्वर शूटिंग के दौरान मंदिर प्रांगण में आपत्तिजनक दृश्य फिल्माया गया था। इस पर बहुत विवाद हुआ था। इस पटल पर लिख दिया गया था कि नरोत्तम जी इससे अधिक कुछ नहीं कर सकेंगे।
गिरफ्तारी की बात तो भूल ही जाइये। इस मंत्रालय की चिर निष्क्रियता से अब हमारे पौराणिक नायकों और सम्माननीय सेना की छवि पर आघात हो रहे हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कार्रवाई को बॉलीवुड नहीं भूलने वाला है। वह आगे ऐसी फिल्मों के ढेर लगा देने वाला है।
अनिल कपूर ने तो राजकुमार संतोषी की ‘पुकार’ में वायुसेना अधिकारी का चरित्र संपूर्ण गरिमा के साथ निभाया था। फिर यहाँ उन्हें क्या हो गया। क्या अनुराग कश्यप की संगत में वे भूल गए कि सेना की वर्दी के साथ मंच पर ठुमके लगाना सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाने के बराबर है।
इस अक्षम्य धृष्टता के लिए क्यों न अनुराग कश्यप और अनिल कपूर को हथकड़ी लगाकर जेल भेजा जाए। जहाँ ये दोनों ‘एके वर्सेज एके’ के दूसरे भाग की तैयारी सुलभता से कर सके। सेना के अपमान के लिए सबक सिखाने का अब यही एक रास्ता बचता है।