*ठग,धूर्त गोविन्दानन्द के विरुद्ध ज्योतिर्मठ शङ्कराचार्य जी की ओर से की गई विधिक कार्यवाही*
*कैमरा बैक को भी भेजी जाएगी लीगल नोटिस*
हमें बद्री विशाल – गढ़वाल समाचार, अमर उजाला, जनवार्ता आदि हिन्दी दैनिक समचपत्रों के 5 जून 2024 के संस्करणों तथा स्वामी गोविंदनंद सरस्वती नामक फेसबुक हैन्डल से ज्ञात हुआ कनारा बैंक की चौक शाखा में “ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय” के नाम से “ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय न्यास का जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर – बदरिकाश्रम हिमालय का जो खाता था उसे हिन्दू कानूनी अधिकार सरक्षण मंच के स्वामी गोविंदनंद सरस्वती के द्वारा 14 मई 2024 को की गई शिकायत के आधार पर 5 जून को फ्रीज कर दिया गया।
प्रतिरूपक ठग स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी महाराज के लिए अपमानजनक सम्बोधन का प्रयोग करते हुए समाचार पत्रों के संवाददाताओं को बताया कि “फर्जी दस्तावेजों के साथ स्वघोषित फर्जी बाबा अविमुक्तेश्वरनन्द द्वारा ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय के आधिकारिक खाते को धोखाधड़ी से अपने नाम पर स्थानांतरित कर उसमें से 60 लाख रुपये निकाल कर गबन कर लिया है। वाराणसी बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक ने खाते को फ्रीज कर दियाा और हस्ताक्षरित दस्तावेज मोहर के साथ स्वामी गोविंदनंद सरस्वती को सूप सौंप दिया है । बदरीविशाल समाचारपत्र ने गोविंदा नन्द सरस्वती के द्वारा प्रेस को जारी किये गए कनारा बैंक की वाराणसी शाखा तथा महर्षि देवेन्द्र रोड कोलकाता शाखा के शाखा प्रबंधकों के मध्य हुए आंतरिक पत्रव्यवहार को भी समाचार बॉक्स बनाकर समाचार के मध्य में प्रकाशित किया है । इस संबंद्ध हमारा पक्ष इस निम्न प्रकारेण है : –
‘गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी’ नामधारी के संबंध में :-
1. विदित हो कि गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी एक बहुरूपिया और ढोंगी व्यक्ति है जो यह भलीभांति जानते हुए भी कि वह ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी का दंडी संन्यासी नहीं हैं परंतु फर्जी दस्तावेजों को निर्मित करके अपने आधार पत्र संख्या 840652303973 में स्वयं को उनका “एस /ओ” लिखवाकर, जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी, ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम और उनसे तथा ज्योतिर्मठ से हितबद्ध धार्मिक वर्ग / समूह के हितों को ज्योतिष्पीठ सेवा समिति, तथा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के तर्ज पर श्री हनुमात जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास का फर्जी दस्तावेजों के द्वारा गठन करके इस प्रकार के प्रतिरूपण द्वारा छल करके जहां एक ओर आस्थावान हिंदुओं को बेमानी से संपत्ति परिदत्त करने के लिए उत्प्रेरित कर ठग रहा है वहीं दूसरी ओर ज्योतिर्मठ के धन जंगम संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति को प्राप्त करने के प्राधिकार के निमित्त कूट दस्तावेजों की विविध अधिकारियों से तात्पर्यित पत्राचार कर फर्जी सृजित किया है और दस्तावेजों व इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों की यह कूट रचना उसने इस आशय से भी किया है कि यह छल के प्रयोजन से उपयोग में लाई जाएगी।
2. जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज शारदा मठ – द्वारका के भी जगतगुरु शंकराचार्य थे। उन्होंने दिनांक 01.02.2017 को अपनी वसीयत / इच्छापत्र लिखा । उक्त इच्छा पत्र में उन्होंने लिखाहै कि अपने जीवन काल मेंउन्होंने अपने ब्रह्मचारी शिष्यों में से मात्र तीन शिष्यों को दंड संन्यास की दीक्षा दी थी । जिनमें से स्वामी सदानंद सरस्वती को उन्होंने अपने शारदा मठ द्वारका के उत्तराधिकारी जगतगुरु शंकराचार्य के रूप में तथा स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी को ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम के उत्तराधिकारी जगतगुरु शंकराचार्य के रूप में दंड संन्यास की दीक्षा दी थी। उन्होंने स्वामी रामरक्षानंदसरस्वती जी को अन्य कारणों से दंड संन्यास की दीक्षा दी थी जो कि उक्त वसीयत लिखने के पूर्व ही ब्रह्मलीन हो चुके थे। वह वसीयत रजिस्ट्रेशन एक्ट,1908 की धारा 41 के अंतर्गत पुस्तक संख्या ए 3 में खंड 18 के पृष्ठ 29 से 53 पर उपनिबंधक नरसिंहपुर, मध्य प्रदेश के कार्यालय में रजिस्ट्रीकृत की गई है। इसी तथ्य को उन जगद्गुरु जी ने अपने हस्ताक्षरित पत्र दिनांकित 01.07.2021 में भी दुहराया है।
3. श्री बंसीधर संस्कृत महाविद्यालय, वाराणसी के प्राचार्य आचार्य अवध राम पांडे ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में संलग्नक के रूप में प्रस्तुत किये गए अपने शपथ पत्र दिनांकित 18.07.2023 में यह कहा है कि उनके पुरोहितत्व के में, स्वामी गोविंदानंद सरस्वती को श्री स्वामी अमृतानंद सरस्वती जी द्वारा 10 फरवरी 2013 को दंड संन्यास दिया गया था।
4. 7 दिसम्बर 1973 को जब स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी ज्योतिर्मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य बने तब से दिनांक 11.09.2022 के दिन उनके ब्रह्मलीन होने तक उनके निजी सचिव रहे उनके नैष्ठिक ब्रह्मचारी शिष्यों – श्री सुबुद्धानंद ब्रह्मचारी तथा ब्रह्मचारी ध्यानानंद ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में संलग्नकों के रूप में प्रस्तुत किये गए अपने अपने पृथक पृथक शपथपत्र दिनांकित 25.07.2023 में कहा है कि स्वामी गोविंदनंद सरस्वती ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य जी का शिष्य नहीं है बल्कि वह श्री स्वामी अमृतानंद सरस्वती का शिष्य है; ब्रह्मलीन जगद्गुरु शंकराचार्य के मात्र दो ही दंडी सन्यासी शिष्य हैं वे हैं जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज तथा जगतगुरु शंकराचार्य शारदापीठाधीश्वर स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज।
संबंधित न्यास के संबंध में :
5. जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर – बदरिकाश्रम हिमालय स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने एक न्यास पत्र के द्वारा “ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय” नामक एक निजी न्यास का गठन किया जिसके वह एकमात्र न्यासी और संचालक थे । वह न्यास पत्र 1339 उप निबंधक (द्वितीय) इलाहाबाद के कार्यालय में फोटो स्टेट पनि पुस्तक संख्या 4 खंड 42 के पृष्ठ 381 से 390 पर दिनांक 29.09.1994 को रजिस्ट्रीकृत किया गया। उक्त न्यासपत्र के पैरा 6 में लिखा गया है कि –
“6. यह कि मैं संस्थापक न्यासी जिस व्यक्ति को जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर के रूप में मनोनीत करूंगा वही इस न्यास का न्यासी होगा और इस न्यास का संचालन उसी रीति से करेगा जिस रीति से मैं करता आया हूं।” ..
6. जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर – बदरिकाश्रम हिमालय स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने उक्त निजी न्यास का एक खाता, खाता संख्या 0253101007476 केनरा बैंक की एम० डी० रोड शाखा, १२ एम०डी० रोड, कोलकाता 70007, पश्चिम बंगाल, भारत में खोला था जिसका संचालन करने वाले एकमात्र न्यासी थे ।
7. जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज जी ने 13-15 अप्रैल 2003 को ब्रह्मचारी आनंदस्वरूप (पहले उमाशंकर पांडे के नाम से जाने जाते थे) को दंड संन्यास दिया और उन्हें नया नाम स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती दिया। तत्पश्चात ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज ने 12 सितंबर 2003 को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी के पक्ष में एक पंजीकृत/ निबंधित जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी निष्पादित करके उन्हें अपना अधिकृत प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया जो कि उप रजिस्ट्रार (द्वितीय) वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के कार्यालय में क्रमांक संख्या 355 पुस्तक संख्या IV खंड 07, पृष्ठ संख्या 165/170 में दिनांक 12 सितंबर, 2003 को रजिस्ट्रीकृत / निबंधित है । तब से महाराज श्री के ब्रह्मलीन होने तक तक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी, पूरे देश में उनके ज्योतिर्मठ – बदरिकाश्रम और उत्तर भारत के अन्य मठ, आश्रम और स्कूलों और अन्य संस्थानों के संबंध में अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत रहे । स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी की दंड संन्यास दीक्षा की खबर 18 अप्रैल 2003 को हिंदी साप्ताहिक सिवनी संकेत में प्रकाशित हुई थी।
8. जगतगुरु शंकराचार्य द्वयपीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज दिनांक 11.09.2022 को ब्रह्मलीन हो गए। उनके ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनकी वसीयत में दिए गए निर्देशों के अनुसार दिनांक 12.09.2022 को स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराज का जगतगुरु शंकराचार्य शारदामठ – द्वारका के पद पर तथा स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज का जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिर्मठ – बदरिकाश्रम के पद पर लाखों लोगों की उपस्थिति में विधिविधान से अभिषेक व पट्टाभिषेक कर के उन्हें उनके पीठों का शंकराचार्य नियुक्त कर दियाा गया ।
9. ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपनन्द के पश्चात उनके स्थान पर जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर बनने पर स्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी महाराज उक्त “ज्योर्तिमठ बदरिकाश्रम हिमालय” नामक न्यास के न्यास पत्र के अनुबंधों के अनुसार एकमात्र न्यासी तथा संचालक बन गए । और बाद मे उस खाता को नियमानुसार – ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य का मृत्यु प्रमाण पत्र, न्यासपत्र दिनांकित 29.09.1994 , पैन कार्ड ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय, रेजिस्टर्ड वसीयत दिनांकित 01.02.2017, पैन एवं आधार कार्ड स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती दस्तावेजों को संगलग्न करते हुए कनारा बैंक, चौक शाखा, आनंद बाजार, गोदोलिया, चौक, वाराणसी -221001, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थानांतरित करवाने के लिए आवेदन किया जिसके फलस्वरूप खाते का स्थानांतरण कोलकाता से वाराणसी हो गया ।
10. उक्त निजी न्यास के खाते को फ्रीज़ करवाने के लिए आरोपी संख्या 1, गोविंदनंद सरस्वती ने आरोपी संख्या 5 बैंक के मुख्यालय के अज्ञात अधिकारियों की मदद से ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम न्यास के उक्त खाते के विवरण को प्राप्त कर उनके सहयोग से आरोपी संख्या 4 और 3 से संपर्क किया और ईमेल के माध्यम से पत्राचार किया । फर्जी दस्तावेजों को प्रस्तुत करते हुए छल द्वारा स्वयं को ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य के दंडी सन्यासी शिष्य के रूप मे प्रतिरूपीत करते हुए झूठे एवं गढ़े हुए साक्ष्यों के आधार पर प्रवंचित करते हुए उनको खाताधारक के साथ किये गए गोपनीयता के संविदा का पालन करने से विरत कर उक्त खाते को दिनांक 05 जून 2024 के दिन से फ्रीज़ करवा दिया । इतना हि नही खाते के फ्रीज़ करणे के संबंध मे किये गए गोपनीय पत्र व्यवहार को भी आरोपी संख्या 3 और 4 ने खाता संचालक की बिना जानकारी और अनुमति के स्वामी गोविंदनंद सरस्वती को उपलब्ध करवा दिया ।
11. कनारा बैंक के आरोपी अधिकारियों ने आपराधिक न्यास भंग करते हुए खाताधारक की गोपनीय जानकारी को ठग गोविंदनंद सरस्वती को उपलब्ध करा दिया और साथ ही उसको एक पत्र देकर उसके आपराधिक कार्यों मे भागीदारी करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिर्मठ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम, ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम न्यास की ख्याति को व्यापक क्षति और संपती हानि कारित किया । लोक शांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से साशय अपमान किया । एक खास वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत किया उसके विरुद्ध अन्य वर्ग के मध्य घृणा और विद्वेष को फैलाया।
कानूनी कार्यवाही :
12. ‘गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी’ नामधारी ठग, कपटी, धोखेबाज , ढोंगी, जालसाज, एवं उसके विधि विरुद्ध बैंक खाता फ्रीज कर, निजी खाते से संबंधित आंतरिक पत्रव्यवहार को एक बहेतु उक्त नामधारी को उपलब्ध करवा कर प्रिन्ट,एलेक्ट्रॉनिक,सोशल मीडिया के माध्यम से धर्मसम्राट अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य ज्योतिर्मठ ज्योतिष्पीठाधीश्वर महस्वामी अविमुक्तेश्वरनन्द सरस्वती जी महाराज, शिवावतर जगद्गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा 2505 वर्ष पूर्व स्थापित ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम, ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय न्यास, इन जगद्गुरु शंकराचार्य तथा इनके ज्योतिर्मठ में आस्था रखने वाले सभी श्रद्धालुओं के विरुद्ध धारा 295 ए, 406, 409, 419, 420, 427, 465, 467, 468, 469, 471, 474, 500, 504, 505, 34, 109 और 120-बी भारतीय दंड संहिता, 1860 तथा धारा 66-डी 72 एवं 72ए सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अंतर्गत आपराधिक कृत्यों के प्रति दंडात्मक कार्यवाही आरंभ करने के क्रम में 7 जून 2024 के दिन वाराणसी के चौक थाने में 1. गोविंदानंद सरस्वती स्वामी 2. हिन्दू लीगल राइट प्रोटेक्सन फोरम 3. अंशुल चौहान, वरिष्ठ प्रबंधक केनरा बैंक, चौक शाखा 4. शाखा प्रबंधक, केनरा बैंक, एम० डी० रोड शाखा, कोलकाता 5. केनरा बैंक वजरिए मुख्यकार्याधिकारी & मुख्य कार्य अधिकारी के विरुद्ध उपर्युक्त धाराओं में एफ आई आर दर्ज करने हेतु लिखित परिवादपत्र दियाा गया है।
आगामी कार्यवाही :-
13. कनारा बैंक एवं उसके अधिकारियों ने विधि विरुद्ध खाता फ्रीज कर आंतरिक पत्रव्यवहार को एक बहेतू व्यक्ति को देकर धर्म सम्राट जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज , ज्योतिर्मठ की ख्याति और संपत्ति को जो अपूर्णीय क्षति पहुंचाते हुए, सेवा में कमी तथा व्यावसायिक / वाणिज्यिक संविदा की शर्तों का एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हुए किये गए कपटपूर्ण अपकृत्यों एवं दीवानी अपकृत्यों की भरिपाई, क्षतिपूर्ति तथा मुआवजे तथा प्रतिबंधात्मक उपचार हेतु सक्षम न्यायालय / आयोग एवं भारतीय रिजर्व बैंक में समुचित विधिक प्रक्रियाएँ प्रारंभ करने हेतु जगद्गुरु शंकराचार्य विधि प्रकोष्ठ के महान्यायविद् को निर्देश दे दिए गए हैं।
साभार :- https://himalayakiaawaaz.in