लल्लनटॉप का यह उदाहरण देखिए। या फिर TOI, NBT आदि का हेल्थ कॉलम पलटिए। मीडिया में सेक्स हेल्थ और सेक्स एजुकेशन पर लिखना, चर्चा आदि बेहद आम और खबर का एक पहलू भर होता है। शारीरिक, मानसिक और सेक्सुअल हेल्थ के लिए बाकायदा एक हेल्थ रिपोर्टर नियुक्त किया जाता है। दैनिक जागरण और नयी दुनिया अखबार में में लंबे समय तक हेल्थ रिपोर्टर रहा हूं।
मेरे द्वारा पूर्व में हेल्थ रिपोर्टर के रूप में अखबारों में डाक्टरों से बात कर यौन शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर काफी खबरें लिखी गई हैं, जो पहले पेज तक पर छपी हैं। फिर 2009-10 में मैंने भारत में महिलाओं पर हिंदी भाषा में पहली वेबसाइट आधी आबादी नाम से लॉंच किया। यह महिलाओं-पुरुषों और डाक्टर के बीच एक फोरम का काम करता था। चूंकि महिलाएं ऐसे प्रश्नों को पूछने में झिझकती हैं तो वह फोरम पर ऐसे प्रश्न डाल देती थी, जिसका जवाब संबंधित डाक्टर को मेल से भेजा जाता था और उनका जवाब आने पर सवाल-जवाब को आधी आबादी पर पब्लिश किया जाता था। उस पब्लिश मैटर को ट्वीटर आदि पर भी वेयर किया जाता था।
एक पार्टी और संगठन विशेष के लोग व समर्थक मेरे द्वारा उस पार्टी के म्लेच्छ तृप्तिकरण आदि योजना पर सवाल उठाने पर मेरे उस पुराने ट्वीट को फैलाते रहते हें ताकि मेरा मुंह बंद हो जाए। यही काम एकम में बैठे उस संबंधित पार्टी के दलालों ने भी किया। अब इसे लेकर मुझ पर उप्र में FIR दर्ज कराया गया है ताकि मैं डर कर उस पार्टी के पसमांदा तृप्तीकरण योजनाओं और हिंदू विरोधी कदमों को जो एक्सपोज करता हूं, वह करना बंद कर दूं।
अब उसी पार्टी का एक समर्थक ‘टोपी’ धारी और नाम से ‘अर्द्ध म्लेच्छ’ जो अपने घर को कोठे में तब्दील कर चुका है, यह झूठ फैलाने में जुटा है कि मैं पोर्न साईट चलाता था। अब जो अपने घर को ही कोठा बना चुका है, उसे तो हर जगह पोर्न ही नजर आएगा न?
मैं सेक्स विषय पर बोलने, लिखने आदि को लेकर कभी शर्म व झिझक का शिकार या डिफेंसिव नहीं हुआ, क्योंकि हमारे धर्म में इसे एक शास्त्र कहा गया है, जिसे सबसे पहले स्वयं सृष्टि रचयिता ब्रह्मा ने लिखा और उपनिषद काल के ऋषि श्वेतकेतु से होते हुए यही ज्ञान आचार्य वात्स्यायन तक पहुंचा, जिन्होंने ‘कामसूत्र’ की रचना की, जो क्लासिक है। खजुराहो जैसा मंदिर इस देश ने विश्व को दिया। काम सृजन की मूल ऊर्जा है और उसका उदात्तीकरण ही मूलाधार से सहस्रार की यात्रा है।
हां, अब्राहमिक मजहब और रिलीजन में सेक्स हमेशा से दमन और कुंठा का माध्यम रहा है, इसीलिए उनके इतिहास में हजारों महिलाओं को जिंदा जलाने की क्रूरतापूर्ण घटनाओं से लेकर उन्हें स्त्रियों को यौन दासी बनाने तक की घटनाएं हुई हैं। भारत का भी एक समलैंगिकता समर्थक संगठन और उसके समर्थक ऐसी ही यौन कुंठा का शिकार है।
अब वह ‘अर्द्ध म्लेच्छ’ एकम में आए उस पार्टी विशेष के दलालों के साथ मिलकर मुझे चुप कराने के लिए अपने यौन कुंठित समर्थकों से मुझ पर FIR कराया है! वह भूल गया कि मैं पत्रकार हूं और उस जैसों को रगड़ने की कानूनी क्षमता रखता हूं।
अतः मेरा जवाब उस कोठा चलाने वाले अर्द्ध म्लेच्छ (और उसकी आड़ में छुपा एकम का उप्र का गेंडा और उसकी मुंह टेढ़ी एक्टिविस्ट सहचरी जो उन ट्वीटों का PDF बनाकर सबको भेजती रहती है) को विशेष रूप से है जो हिंदू लड़कियों को म्लेच्छ लड़कों के सामने परोसने पर एक्सपोज हो चुका है! वह अर्द्ध म्लेच्छ 2014 से पहले पाकिस्तान के करांची स्थित कोठे पर ‘टोपी’ पहनकर मुजरा करने खूब जाता था, इसका साक्ष्य भी है।
2008-09 के आसपास पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से सांठगांठ के आरोपी एक बड़े NGO ने 2014 के बाद उस करांची रिटर्न ‘टोपी’ को राष्ट्रवादी-हिंदूवादी के रूप में प्रमोट करना शुरु किया! इसके एवज में उस ‘कोठे की टोपी’ ने उस NGO के नेताओं के आगे भी हिंदू लड़कियों को परोसने का काम किया है। आजकल उसका घर ही कोठा बना हुआ है!
पहले भी मथुरा थाने में मेरे ऊपर FIR दर्ज कराया गया था, इसी पार्टी के एक दलाल द्वारा। वह FIR मैंने निरस्त कराई थी। न मेरा तब कुछ बिगड़ा, न मेरा अब कुछ बिगड़ेगा। करारा जवाब मिलेगा! प्रतीक्षा करो!