संदीप देव । कल Rameshwar Mishra Pankaj सर के साथ मनु स्मृति पर चर्चा थी। चर्चा काफी सार्थक रही। चर्चा के दौरान उन्होंने शास्त्रोक्त रूप से एक बड़ी अच्छी बात कही। उन्होंने कहा कि जवाब केवल तीन लोगों को देना चाहिए – जिज्ञासु, मित्र और शिष्य- यही तीन जवाब पाने के अधिकारी हैं। इसके अलावा जो कुतर्की हैं, वह या तो दंड के भागी हैं, अथवा ऐसों से मुंह फेर लेना चाहिए। ऐसों को जवाब नहीं देना चाहिए, ऐसा शास्त्र कहते हैं।
कहीं और भी पढ़ा था कि जो पढ़ता नहीं, उसे एक भी शब्द लिखने का अधिकार नहीं है। लेकिन आज तो बिना पढ़े और बिना जानकारी वाले लोगों की टिप्पणियां सर्वाधिक देखने को मिलती है!
पंकज सर ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया पर भेड़चाल है। कोई कुछ पढ़ता नहीं और कुछ भी लिखकर जवाब मांगता फिरता है। उन्होंने श्लोक से बताया कि ऐसे लोगों के प्रति शास्त्र कितना कठोर हैं और शास्त्र यहां तक कहते हैं कि ऐसे लोगों की जिह्वा खींच लेनी चाहिए। हालांकि यह संभव नहीं, अतः ऐसों से पूरी तरह मुंह फेर लेना ही उचित है।
यह बात सही है। बिना प्रोफाइल फोटो वाले, अपना एकाउंट आदि लॉक रखने वाले, नाम भी सही है अथवा नहीं, ऐसी संभावना वाले लोगों को जवाब क्यों दिया जाए? और ऐसे लोगों को भी जवाब क्यों दिया जाए जो गूगल-काल में भी दिए गये फैक्ट को सर्च न करने की कसम खाए बैठे हों और केवल अनर्गल प्रलाप करते हों।
ऐसों को या तो ब्लाक कीजिए या इग्नोर कीजिए। जब शास्त्र भी ऐसे लोगों की उपेक्षा की सलाह दे रहे हों तो ऐसे लोगों पर अपना कीमती समय नष्ट न किया जाए।
धन्यवाद सर कल शास्त्रीय रूप से मूढ़मतियों से दूर रहने की सलाह देने के लिए। भगवान श्रीकृष्ण ने भी तो गालीबाज शिशुपाल को जवाब नहीं ही दिया था और अति होने पर अंत में दंड ही दिया था। शास्त्रों के अनुसार जीवन जीना धर्म है! शास्त्रज्ञ सनातनी हिंदू बनिए, वही सर्वाधिक कल्याण का रास्ता है। जय श्रीकृष्ण 🙏