सत्ता-लिप्सा की बहिनें हैं , चरित्रहीनता – बेईमानी ;
भ्रष्टाचार है इसका भाई , राजनीति की यही कहानी ।
लूट मची है देश के अंदर , तृप्तिकरण का बंदरबांट ;
ज्यों-ज्यों सत्ता-लिप्सा बढ़ती , त्यों-त्यों बढ़ती लूटपाट ।
गिरोह बंद जितने भी गुंडे , उनकी तो पौ – बारह है ;
वोट – बैंक की गुंडागीरी , चले महीने बारह है ।
राम – भरोसे देश चल रहा , नेता – अफसर मस्त हैं ;
किसी को कोई नहीं है चिंता , मौज-मस्ती अभ्यस्त हैं ।
पूरी – दुनिया का चक्कर काटें , अय्यासी का चक्कर है ;
अब्राहमिक जो विषकन्यायें हैं, उनको करती घनचक्कर हैं ।
उनके बनते रहते वीडियो , ब्लैकमेल सब होते हैं ;
अब्राहमिक-कन्वर्जन-माफिया , कन्वर्जन करते रहते हैं ।
हिंदू – धर्म के पक्के दुश्मन , सांप व नेवला दोनों हैं ;
दोनों का टारगेट है हिंदू , मिलकर मारे दोनों हैं ।
हिंदू का रक्षक कोई नहीं है , सब के सब ही भक्षक हैं ;
सारे रक्षक कठपुतली हैं , डोर खींचते तक्षक हैं ।
हिंदू को मूर्ख बनाते हैं , झूठा – इतिहास पढ़ाते हैं ;
काठ की हांडी जल न जाये , गंदी – शिक्षा देते हैं ।
शिक्षा,मीडिया और सिनेमा, सब हिंदू को भ्रमित कर रहा ;
पर अब आया सोशल-मीडिया , हिंदू को जागृत बना रहा ।
दीप से दीप जगे हिंदू का , सब के सब सच्चाई जानो ;
कौन दोस्त है, कौन है दुश्मन, ठीक तरह से इसको जानो ।
अब्बासी-हिंदू-नेता से बचना , सबसे अधिक ये घातक है ;
छुरा पीठ पर मारने वाला , कल्पनातीत ये पातक है ।
रावण यही कालनेमि है , बहुत बड़ा ये ढोंगी है ;
मंदिर तोड़ करे गलियारा , जैसे कि जेहादी है ।
सोशल – मीडिया जगा रहा है , सारे – हिंदू जग जाओ ;
सारे हिंदू “नोटा” करके , अब्बासी – हिंदू को हटाओ ।
अबकी बार जो सत्ता पाया , पूरा चौपट कर देगा ;
आठ – साल में जान ली आधी , अबकी पूरी ले लेगा ।
हिंदू ! अब तो होश में आओ , जान-माल-सम्मान बचाओ ;
अब बचने का मार्ग यही है, देश को “हिंदू-राष्ट्र” बनाओ ।
“हिंदू का ब्रह्मास्त्र” है “नोटा”, हर चुनाव में इसे चलाओ ;
अब्बासी-हिंदू को हराकर, “कट्टर-हिंदू-सरकार” बनाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”