कम्युनिस्ट पार्टी का सबसे बड़ा पावर ब्रोकर है, ‘द हिंदू’ अखबार का संपादक एन.राम। संजय बारू ने The Accedental Primminister में इसकी दलाली का जिक्र किया है, जो अभी आयी फिल्म में भी दिखाया गया है। उसी अखबार के एक अन्य संपादक का पति हथियार दलाल है, और उसने राफेल के प्रतिद्वंद्वी ‘यूरो-फाइटर’ से मोटी दलाली खायी है। यही कारण है कि ‘द हिंदू’ का संपादक एन.राम राफेल पर एक नयी मनगढंत कहानी ले आया है, ताकि ‘यूरो-फाइटर’ के पक्ष में राफेल डील को रद्द कराने की आखिरी कोशिश की जा सके।
संसद के अंदर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा था कि कांग्रेस ‘यूरो-फाइटर’ की लड़ाई लड़ रही है। सबसे खास बात कि ‘यूरो-फाइटर’ का दलाल वही क्रिश्चियन मिशेल है, जो अगस्ता वेस्टलैंड का भी दलाल है, और जिसमें पूरा गांधी परिवार और कांग्रेस के बड़े नेता फंसे हुए हैं। क्रिश्चियन मिशेल को यूएई से प्रत्यर्पण कर भारत में लाने में मोदी सरकार को सफलता मिल चुकी है, और धीरे-धीरे वह सारा राज उगलता जा रहा है, और यह गांधी परिवार और उसके ‘पेटीकोट पत्रकारों’ को डरा रहा है। इन ‘पेटीकोट पत्रकारों’ को अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में रिपोर्ट करने के लिए मिशेल द्वारा 45 करोड़ रुपये घूस देने का खुलासा पहले ही हो चुका है।
संसद और सुप्रीम कोर्ट से मार खाने के बाद ‘यूरो-फाइटर’ के सारे दलाल ‘द हिंदू’ के एन.राम के आसरे बैठे हैं। वो इसलिए कि एन.राम और ‘द हिंदू’ ने एक ‘फेक विश्केवसनीयता’ का आडंबर खड़ा कर रखा है। साथ ही, ब्लैकमेल का पावर भी इस अखबार का बड़ा है। आखिर मे़ यह कम्युनिस्टों को संसद से सड़क तक उतार देता है। इसीलिए एन.राम ने एक फेक न्यूज अपने अखबार में छापा है कि मोदी सरकार ने प्रति राफेल डेसाल्ट कंपनी को ज्यादा कीमत अदा की है। आपको यहां यह भी बता दूं कि अगस्ता वेस्टलैंड पर भी मिशेल के साक्षात्कार को गांधी परिवार के पक्ष में सबसे पहले ‘द हिंदू’ ने ही प्रकाशित किया था। आरोप है कि ‘द हिंदू’ अखबार के उस संपादक के पति ने अगस्ता में भी बड़ी दलाली खायी थी। इंडिया स्पीक्स ने खबर और वीडियो के जरिए करीब साल-डेढ़ साल पहले ही पाठकों को इसकी जानकारी दे दी थी।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट और संसथ से मात खाने के बाद ‘यूरो-फाइटर’ के सारे दलाल ‘द हिंदू’ के बैनर तले इकट्ठा हुए हैं तो इसमें जरा भी आश्चर्य नहीं। ‘द हिंदू’ में एन.राम के फेक न्यूज के बाद कांग्रेस के सबसे बड़े दलाल और सपरिवार जमानत पर चल रहे पी.चिदंबरम की प्रेस वार्ता ने स्पष्ट कर दिया कि सारे हथियार दलाल हारी हुई लड़ाई में एक आखिरी धक्का लगाने के लिए फिर से एकजुट हुए हैं!
अब आते हैं, उन हिजड़ों पर जिन्हें दूसरे की शादी में ‘पेटीकोट’ उठाकर नाचने का शौक होता है। इसमें एनडीटीवी और उसका एंकर रवीश कुमार सबसे आगे है। चिदंबरम के हवाला एवं एयरसेल-मैक्सिस की रिश्वत मनी,२जी में दलाली के बाद 450 करोड़ का बैंक मनी, जो एनपीए हो चुका है; से चलने वाला एनडीटीवी वफादार कुत्ते की तरह कांग्रेस के लिए लड़ाई लड़ रहा है। तो वहीं एनडीटीवी का वफादार कुत्ता रवीश कुमार अपने मालिक प्रणय राय और अपने कांग्रेसी भाई के लिए भौंक रहा है। इन भौंकने वालों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं।
‘पेटीकोट’ उठाकर भौंकने वालों में लुटियन्स दलाल शेखर गुप्ता व उसके वेब ‘प्रिंट’ के अलावा नक्सली सिद्धार्थ वरदराजन व उसका वेब ‘द वायर’ भी शामिल है। सिद्धार्थ भी ‘द हिंदू’ वाले एन.राम की ही पत्रकारिता की पैदाइश है। एन.राम ने उसे ‘द हिंदू’ का संपादक बनाया था।
यानी सारे यूपीएससी वालों को ‘अर्बन नक्सल’ बनाने के लिए जिस ‘द हिंदू’ अखबार को पढ़ने की नसीहत दी जाती है, वह कहीं न कहीं भारत में हथियारों की दलाली से जुड़ा एक लॉबिस्ट है। और इसकी सबसे बड़ी ताकत कम्युनिस्ट पार्टी है, जिसे एन.राम अपने हित में कभी भी सड़क से संसद तक कोहराम मचाने के लिए उतार देता है। कम्युनिस्ट पार्टी की फंडिंग की जांच हो तो एन.राम का सारा काला चिट्ठा खुल जाएगा। लेकिन यहीं पेंच है, क्योंकि पोलिटिकल पार्टियों को RTI से बाहर रखने, उसकी फंडिंग को गुप्त रखने में भाजपा, कांग्रेस, कम्युनिस्ट-सब एक सुर में सहमत हैं। इसीलिए एन राम जैसे ‘पेटीकोट’ पत्रकारों के धंधे को शेल्टर मिला हुआ है।
URL : are ‘The Hindu’ newspaper and its editor indulge in biggest arms dealing ?
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