वैसे तो जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से आए आतंकवादियों और अलगाववादियों की समस्या काफी पुरानी है, लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों का जम्मू में पैठ जमाना और भी खतरनाक है। ऊपर से जम्मू कश्मीर के वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष निर्मल सिंह जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने सेना के लिए खतरा उत्पन्न कर दिया है। नगरौटा स्थित सेना के आयुध भंडार के पास ही जमीन खरीदकर वहां घर बनाना सेना के लिए खतरा बताया जा रहा है। वहां घर बना रहे हैं जम्मू-कश्मरी के पूर्व उप मुख्यमंत्री और वर्तमान स्पीकर निर्मल सिंह। इसी संदर्भ में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने निर्मल सिंह को पत्र लिखकर नाराजगी जताते हुए उनके घर को अवैध बताया है। लेकिन सेना की आपत्ति को दरकिनार करते हुए निर्मल सिंह ने इसे राजनीति से प्रेरित विवाद बताया है।
मुख्य बिंदु
* जम्मू के स्थायी निवासियों के लिए धीरे धीरे खतरा बनते जा रहे हैं रोहिंग्या मुसलमान
* राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा होने के बावजूद न तो रोहिंग्याओं और न अवैध घर पर हो रही कार्रवाई
* राष्ट्रीय सुरक्षा के कारण केंद्र सरकार को स्वत: संज्ञान लेकर करना चाहिए हस्तक्षेप
उसी प्रकार निर्मल सिंह ने कहा है कि उनके पास ऐसा कोई कानून निर्देश नहीं आया है कि वे वहां अपना घर नहीं बना सकते। अब जब प्रदेश के मंत्री ही सेना की आपत्ति को नहीं मान रहे तो फिर सेना की और वहां कौन सुनेगा। रोहिंग्या मुसलमानों के मामले की तरह ही इस मामले में प्रदेश सरकार सेना की आपत्ति खारिज करती है तो केंद्र सरकार को दोनों मामलों में हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि मामला सेना और देश की सुरक्षा से जुड़ा है।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा के स्पीकर निर्मल सिंह और उपमुख्यमंत्री कवींद्र सिंह ने हिमगिरी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी से नगरोटा में जमीन खरीदी है। निर्मल सिंह ने अपनी उस जमीन पर घर बना लिया है। लेकिन यह जमीन नगरोटा स्थित भारतीय सेना के आयुध भंडार के काफी करीब है। यहां किसी प्रकार का कोई निर्माण भारतीय सेना के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इसलिए भारतीय सेना के अधिकारी सरनजीत सिंह ने आपत्ति जताते हुए निर्मल सिंह को एक पत्र लिखकर निर्माण कार्य रुकवाने का अनुरोध किया है। 19 मार्च 2018 को लिखी चिट्टी में बताया है कि आयुध डिपो के पास घर बनाने के अपने फैसले पर फिर से विचार करें और इसे रोक दें। क्योंकि इससे आयुध डिपो पर ही नहीं बल्कि यहां रहने वालों पर भी खतरा बढ़ जाएगा।
हालांकि इस मामले में स्थानीय प्रशासन को पहले ही हस्तक्षेप करना चाहिए। लेकिन स्थानीय प्रशासन ने न तो अभी तक स्थानीय लोगों के लिए खतरा बन चुके रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने को लेकर कोई हस्तक्षेप किया है न ही निर्मल सिंह के बन रहे घर को लेकर कोई हस्तक्षेप किया है। जबकि यह निर्माम आयुध भंडार की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। अंत में सेना के लेफ्टिनेंट सरनजीत सिंह को सीधे तत्कालीन उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह को ही चिट्ठी लिखना पड़ा।
दरअसल यह जमीन हिमगिरी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलपमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से साल 2000 में ही खरीदी गई थी। मालूम हो कि इस कंपनी में जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता और वरिष्ठ नेता जुगल किशोर भी शेयरहोल्डर हैं। घर के निर्माण और सेना की आपत्ति को लेकर जब निर्मल सिंह से पूछा गया तो निर्मल सिंह ने इस सारे मामले को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि घर के निर्माण नहीं करने को लेकर अभी तक उन्हें कोई कानूनी निर्देश नहीं दिया गया है । जहां तक सुरक्षा को लेकर आपत्ति की बात है तो यह सेना का मत हो सकता है लेकिन उनकी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।
स्पष्ट है कि जब प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री रहते हुए निर्मल सिंह ने जम्मू में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तो तो वे अपने घरों के खिलाफ कैसे कोई कानूनी निर्देश पास होने देते। ध्यान रहे कि दोनों मामले देश की सुरक्षा से जुड़े हैं। इस पर केंद्र सरकार को स्वयं संज्ञान लेकर हस्तक्षेप करना चाहिए।
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