आईएसडी नेटवर्क। अर्नब गोस्वामी को शुक्रवार शाम तक ज़मानत मिल सकती है। शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में एक बार फिर इस केस की सुनवाई की जाएगी। गुरुवार को जज ने सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि वे विस्तार से इस मामले को सुनना चाहते हैं। बुधवार को रिपब्लिक भारत मीडिया नेटवर्क के प्रधान सम्पादक अर्नब गोस्वामी को अलीबाग कोर्ट ने एक इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या के मामले में चौदह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
पिछले दो दिन में भारत के बहुत से शहरों में अर्नब को रिहा करने की मांग को लेकर बड़े प्रदर्शन हुए हैं। अर्नब की गिरफ्तारी के बाद केंद्र सरकार के मंत्रियों ने भी अर्नब को रिहा करने की मांग उद्धव सरकार से की है। अर्नब की ओर से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से मांग करते हुए कहा कि अर्नब गोस्वामी को तत्काल राहत प्रदान की जाए। उन्होंने कहा अंतरिम ज़मानत देने से महाराष्ट्र पर आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
अर्नब पर आरोप है कि उन्होंने 83 लाख का भुगतान नहीं किया, जिसके कारण अन्वय नाइक ने आत्महत्या कर ली। जबकि अर्नब के वकीलों की ओर से कहा गया है कि ये राशि अन्वय के खाते में जमा करा दी गई थी लेकिन खाता बंद हो जाने के कारण पैसा पुनः कंपनी के अकाउंट में वापस आ गया था।
हालाँकि अर्नब गोस्वामी की कंपनी ने न्यायालय को बताया है कि 90 प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है। 10 प्रतिशत भुगतान बाकी है। ये भुगतान भी करीब 39 लाख रुपये है, न कि 83 लाख। ये पैसा भी अधूरा काम छोड़ने के कारण रोका गया था।
अर्नब के एक और वकील आबाद पोंडा ने आत्महत्या का पुराना केस फिर से खोले जाने का विरोध करते कहा कि बंद हो चुके मामले को फिर से खोला जाना स्थापित फौजदारी सिद्धांतों के विरुद्ध जाता है।
पता चला है कि अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी के लिए महाराष्ट्र शासन की ओर से विशेष योजना तैयार की गई थी। महाराष्ट्र के गृह विभाग ने कोंकण रेंज के आईजी संजय मोहिते के निर्देशन में चालीस सदस्यीय टीम का गठन किया गया था।
इस ऑपरेशन में ये तक तय किया गया था कि अर्नब के घर का दरवाज़ा कौन खटखटाएगा और कौन उनसे बात करेगा। हालांकि गरिमा विपरीत की गई इस कार्रवाई की देशभर में तीखी आलोचना की जा रही है। जिस तरह से अर्नब को घसीटकर थाने ले जाया गया, उससे ठाकरे सरकार के विरुद्ध आंदोलन का वातावरण निर्मित हो गया है।