विपुल रेगे। बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने ‘आनंद मठ’ नामक उपन्यास सन 1882 में लिखा था। ये वही समय था, जब भारत सत्तावन का संग्राम हारकर एक गहरी निराशा में डूब चुका था। हमारा सशस्त्र विद्रोह कुचल दिया गया था। इस उपन्यास में सन 1773 में हुए सन्यासी विद्रोह का भी वर्णन किया गया था। अब नई शताब्दी में वह कथा पुनर्जीवित हो गई है। ख्यात निर्देशक एस.एस.राजामौली के शिष्य अश्विन गंगाराजू उस सन्यासी विद्रोह पर फिल्म लेकर आ रहे हैं। फिल्म का पोस्टर प्रदर्शित होते ही दर्शकों में इस पर चर्चा शुरु हो गई है।
राजामौली के शिष्य अश्विन गंगाराजू ने अपनी फिल्म का खाका खींचने से पूर्व सन 1952 में प्रदर्शित हुई ‘आनंद मठ’ अवश्य ही देखी होगी। इस फिल्म को हेमेन गुप्ता ने निर्देशित किया था। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर केंद्रीय भूमिका में थे। ‘आनंद मठ’ बहुत सफल फिल्म सिद्ध हुई क्योंकि न केवल लोगों की भावनाएं इसके साथ जुड़ी हुई थी, बल्कि बंकिम चंद्र चटोपाध्याय का उपन्यास भी बंगाल और शेष भारत में बहुत पढ़ा गया था। इसने भारतीय जनमानस पर गहरा प्रभाव डाला था।
‘आनंद मठ’ इतना सफल उपन्यास है कि 1882 के बाद सन 1906, 1941 और 2005 तक इसके संस्करण विभिन्न भाषाओँ में छपते रहे हैं। इसकी कथा ही 1770 में पड़े भीषण अकाल से शुरु होती है। ये अकाल मानवीय इतिहास में एक कसैली स्मृति बन ठहर गया है। सन 1769 से लेकर 1773 तक एक करोड़ लोग भूख से मारे गए थे। इस अकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी ने उदारता नहीं दिखाई, जिसके चलते अकाल के विनाशकारी प्रभाव भारत के लोगों को झेलने पड़े थे।
अश्विन गंगाराजू की फिल्म इस अकाल पर केंद्रित है या आनंद मठ के अध्याय भी उसमे होंगे, अभी ये स्पष्ट नहीं है। मीडिया में अश्विन गंगाराजू को लेकर अतिरेक भरी बातें की जा रही हैं। अश्विन ने अब तक मात्र एक फिल्म निर्देशित की है और वह भी कुछ अधिक चर्चित नहीं हुई है। राजामौली का असिस्टेंट हो जाना कोई सफलता की गारंटी नहीं होती और न के.विजयेंद्र प्रसाद का स्क्रीनप्ले बॉक्स ऑफिस पर विजय दिलवा सकता है।
विजयेंद्र प्रसाद के स्क्रीनप्ले पर केवल राजामौली ही हिट फ़िल्में दे सके हैं। फिल्म समीक्षकों और पत्रकारों को इस फिल्म को सहज ढंग से लेना चाहिए। अभी तो बस एक पोस्टर ही रिलीज किया गया है और फिल्म के ब्लॉकबस्टर हो जाने की बातें होने लगी है। हालाँकि इतना तय है कि 1770 के लिए वास्तविक घटनाओं पर शोध किया जाएगा। 1952 में प्रदर्शित हुई आनंद मठ से भी प्रेरणा ली जाएगी। वर्तमान में तो बस इतना ही है कि फिल्म का पोस्टर जारी कर दिया गया है।