अर्चना कुमारी। सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के साइबर थाना की पुलिस टीम ने एक बड़े मामले का खुलासा किया । इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जिसकी पहचान प्रवीण कुमार और पीयूष कुमार श्रीवास्तव के रूप में हुई है। यह दोनों दिल्ली के मयूर विहार और उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। परवीन 12वीं पास है और पीयूष एमबीए की पढ़ाई कर चुका है।
इसके पास से तीन मोबाइल, 4 सिम, 4 बैंक अकाउंट ( जिसमें चीटिंग का अमाउंट लिया गया था ), 55 फर्जी विजिटिंग कार्ड ( जो Bjp नेशनल प्रेसिडेंट के OSD के नाम से बना हुआ था ) और लैपटॉप भी बरामद किया गया है। पीयूष एक एनजीओ रजिस्टर्ड कर रखा है। उसका भी फंड इकट्ठा करने के लिए वह अपने आपको नेशनल प्रेसिडेंट का ओएसडी बताता था और उनसे चीटिंग की वारदात को अंजाम देता था।
चीटिंग के मामले की शिकायत बीजेपी हेड क्वार्टर से पुलिस को 09 माई को मिली थी। बताया गया की कुछ लोग अपने आपको बीजेपी ऑफिशियल का एसोसिएट बताकर लोगों को चीट कर रहे हैं। जिसमें पार्टी के नेता, वर्कर, सरकारी ऑफिसर भी शिकार हुए हैं। फिर इस मामले की छानबीन साइबर थाना को दी गई। टेक्निकल टेक्निकल सर्विलांस की मदद से पूरे मामले की जांच शुरू की गई और इन दोनों को गिरफ्तार किया ।
यह दोनों लोगों को, नेताओं को, कांट्रेक्टर को और सरकारी ऑफिसर को भी बीजेपी ऑफिस का एसोसिएट बता करके उनसे चीटिंग की वारदात को अंजाम दे रहे थे। पुलिस ने इस मामले में जांच किया तो पता चला की यह लोग अपने आपको बीजेपी के सेंट्रल ऑफिस का क्लोज एसोसिएट बताते थे। दूसरे स्टेट के नेताओं को भी टारगेट करते थे। शिकायत में बीजेपी हेड क्वार्टर के द्वारा कुछ डिटेल भी पुलिस को सबूत के रूप में दिया गया था। उस शिकायत के बाद पुलिस टीम ने एफआईआर दर्ज करके छानबीन शुरू की थी।
पुलिस ने उस नंबर पर कॉल करके पहले प्रवीण कुमार के बारे में पता लगाया और फिर उसे मिलने के लिए मयूर विहार बुलाया। यह कहा गया की वो कांट्रेक्टर हैं और उन्हें कॉन्ट्रैक्ट के संबंध में बात करनी है। पुलिस की टीम वहां पर सादे कपड़े में तैनात थी, जैसे ही वह वहां पर पहुंचा पुलिस टीम ने प्रवीण कुमार को दबोच लिया। उससे जब पूछताछ हुई तो उसने बताया कि वह अपने एक और साथी के साथ मिलकर चीटिंग की वारदात को अंजाम दे रहा है।
उसका संपर्क नॉर्थ ईस्ट के कई नेताओं के साथ हुआ और फिर उसी दौरान उसके आईडिया आया कि वह अपने आप को सेंट्रल ऑफिस का एसोसिएट बता करके इस तरह से लाखों-करोड़ों काम आ सकता है। वह नेताओं को पार्टी फंड में अमाउंट देने के लिए और उसके बदले महत्वपूर्ण पद पर जिम्मेदारी देने का भरोसा दिलाता था। यह कभी होटल की बुकिंग, कभी एयर टिकट, कभी दूसरे एक्सपेंस के लिए लीडरों से पैसा लेता था। अपने आप को भरोसा दिलाने के लिए यह नॉर्थ ईस्ट के जाने-माने कुछ लीडर के साथ अपना फोटो भी रखता था। उस पैसे से अपनी लेविस लाइव जीता था।
फिर इसके बाद पुलिस ने पीयूष कुमार को भी लखनऊ से गिरफ्तार किया। पता चला कि ये लोग कई बड़ी कंपनियों से सीएसआर फंड के तहत अमाउंट ले चुके हैं। जिसमें कई नामी कंपनियां भी शामिल हैं। पीयूष एमबीए की पढ़ाई कर चुका है और यह भी एक मास्टरमाइंड है।