राजधानी में इस साल सभी तरह के अपराधों में कमी आई है। करोना वैश्विक महामारी के चलते महिलाओं और पुरुषों के अधिकतर समय घर में रहने की वजह से अपराध का ग्राफ नीचे की ओर खिसका है। खासकर महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध जैसे दुष्कर्म से लेकर छेड़छाड़ ,अपहरण और दहेज प्रताड़ना के मामलों में रिकॉर्ड कमी दर्ज की गई है, जो दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस साल 15 अक्टूबर तक के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के साथ होने वाले सभी तरह के अपराधों में कमी आई है। इनमें जहां साल 2019 में दुष्कर्म के कुल 1804 घटनाएं हुई थी वहीं इस साल सिर्फ 1330 मामले दर्ज किए गए। जबकि पिछले साल छेड़खानी के 2401 मामले सामने आए थे जबकि इस साल यह आंकड़ा सिर्फ 1676 है। पिछले साल अपहरण के 2828 मामले प्रकाश में आए थे
जबकि इस साल सिर्फ 2124 का आंकड़ा ही सामने आया। दहेज प्रताड़ना के 2897 मामले पिछले साल उजागर किए गए थे लेकिन इस साल इसकी संख्या सिर्फ 1752 है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि दुष्कर्म की घटनाएं जहां 25 फीसदी कम हुई हैं तो छेड़छाड़ की घटनाओं में 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई । इतना ही नहीं अपहरण से लेकर दहेज हत्या के मामलों में भी गिरावट देखने को मिली है।
दहेज प्रताड़ना जुड़े अनेक तरह के मामलों में तो करीब 40 फीसदी की कमी हुई है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि आंकड़े बताते हैं कि इस साल महिलाएं पिछले अन्य साल के मुकाबले सड़क से लेकर घर में महफूज रही है। इसकी मुख्य वजह यह रही कि कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगाया गया और अधिकतर समय महिलाएं घर पर ही मौजूद रही थी।
लॉकडाउन की वजह से लगभग दो माह तक महिलाएं घर से बाहर नहीं निकली और ऐसे में बाहर उनके साथ होने वाले अपराधों में कमी देखी गई । वैसे दिल्ली पुलिस का दावा है कि उन्होंने लॉकडाउन से लेकर इस साल दिल्ली की चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था कायम रखी, जिसके चलते महिलाओं के प्रति अपराध कम हुए लेकिन सूत्रों का दावा है कि कोरोना के चलते अधिकतर शिकायत ऑनलाइन ली गई और अधिकतर महिलाएं इस तरह की शिकायत पुलिस तक पहुंचाने में अक्षम साबित हुई। लेकिन कई ऐसी महिलाएं जिन्होंने शिकायत करने में कामयाबी हासिल की उनकी शिकायत दर्ज भी की गई।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि सभी थानों में महिला हेल्प डेस्क बनाये गए हैं ताकि महिलाएं बिना घबराएं अपनी शिकायत कर सकें और महिलाओं ने इसका भरपूर फायदा उठाया है । इसी तरह करोना वैश्विक महामारी के चलते इस साल अन्य तरह के अपराध का ग्राफ नीचे की ओर आया है लेकिन दंगे और हत्या की कोशिश मामले में खासा इजाफा हुआ है ।
वैसे इस साल हत्या, डकैती, लूट फिरौती के लिए अपहरण के मामलों में रिकॉर्ड कमी दर्ज की गई है। लेकिन इसके बावजूद पिछले साल के मुकाबले संगीन अपराध के मामलों में इस साल तेजी आई है, जबकि गैर संगीन अपराध तथा कुल आईपीसी के मामलों में गिरावट देखी गई।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस साल 15 अक्टूबर तक के आंकड़े बताते हैं कि इस साल डकैती के कुल 8 मामले दर्ज हुए जबकि यह आंकड़ा पिछले साल 12 का था। पिछले 10 साल के आंकड़े पर गौर करें तो साल 2014 में डकैती के कुल 82 मामले दर्ज किए गए थे। इस साल हत्या के कुल 374 मामले दर्ज किए गए जबकि पिछले साल 414 मामले दर्ज किए गए थे जबकि पिछले 10 साल में सर्वाधिक साल 2014 में यह आंकड़ा 586 था।
इस साल हत्या की कोशिश का 457 मामला दर्ज हुआ जबकि पिछले साल सिर्फ 385 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले 10 साल में सर्वाधिक हत्या की कोशिश का मामला साल 2014 और 2015 में लगभग एक समान 770 दर्ज हुआ था। इस साल लूट के कुल 1503 मुकदमे दर्ज हुए जबकि पिछले साल 1637 मामले दर्ज हुए थे ।
इस साल दंगे का ग्राफ तेजी से बढ़ा क्योंकि पिछले साल कुल 5 मुकदमे दर्ज हुए थे लेकिन इस साल 687 मामले दर्ज किए गए । नागरिक कानून के विरोध में पूर्वोत्तर दिल्ली में इसी साल फरवरी माह में हुए भीषण दंगे के चलते कुल 53 लोगों की जान भी गंवानी पड़ी जबकि कई लोग जख्मी हुए।
दंगे में शामिल होने के कारण आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन समेत जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और सरजील इमाम जैसे कई अन्य आरोपियों को पकड़ा गया और इन दिनों सारे आरोपी जेल में बंद है । फिरौती के लिए अपहरण के इस साल कुल 10 मामले दर्ज हुए जबकि यह आंकड़ा पिछले साल 11 का था।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस साल कुल संगीन अपराधों की संख्या की बढ़ोतरी हुई और 4369 दर्ज हुआ जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 4268 था । पिछले साल गैर संगीन अपराध के मामले 233444 दर्ज हुए थे लेकिन इस साल गिरावट होकर सिर्फ 191990 मामले दर्ज किए गए।
इसी तरह कुल आईपीसी के मामलों में भी इस साल गिरावट दर्ज की गई है और इस साल सिर्फ 196359 मुकदमे दर्ज हुए जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 237712 था। इस साल सड़क हादसे में सड़के भी कम लाल हुई क्योंकि सड़क हादसे में इस साल 851 राहगीरों की जान गई जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 1089 था। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस साल अपराध के ग्राफ में गिरावट की मुख्य वजह लॉक डाउन रही क्योंकि 2 महीनों से अधिक समय तक लोग घर से बाहर नहीं निकल पाए थे।