संदीप देव । 1990 में कारसेवकों पर जब गोली चल रही थी तो मुलायम सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेन्द्र मिश्र कंट्रोल रूम में बैठे थे, खुद वो ANI को दिए अपने साक्षात्कार में यह हंसते हुए (नीचे के वीडियो में १३ सेकेंड पर देखो) स्वीकार कर रहे हैं! उस समय मुलायम सरकार के सबसे बड़े अधिकारी के नाते उस गोली कांड की जवाबदेही से वो कैसे बच सकते हैं?
एक 1949 में फैजाबाद के कलेक्टर के.के. नायर थे, जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा मंदिर से मूर्ति हटवाने के आदेश को सिरे से ठुकरा दिया और एक नौकरशाह नृपेन्द्र थे जिन्होंने मुलायम के आदेश का पालन किया और आज हंसते हुए उस गोली कांड और मुलायम सिंह यादव सरकार के कृत्य को जस्टिफाई कर रहे हैं!
रामभक्त कारसेवकों को किस नृशंसता से गोली मारा गया, उस समय का अखबार जरा पढ़ो। या वह भी पढ़कर मैं बता दूं! कोठारी बंधुओं को घर से खींचकर सिर में गाली मारी गई। कारसेवकों की लाशों को बोरे में ठूंस कर फेंका गया! हे राम! 😪
मोदी सरकार ने मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण देकर और नृपेन्द्र मिश्र को राम मंदिर ट्रस्ट का सर्वोसर्वा बनाकर राम भक्तों के जख्म को जैसे कुरेदने का काम किया है! जो सरकार हिंदुओं के वोटों से बनी है, राम मंदिर की लड़ाई में जो पार्टी शामिल रही है, उस पार्टी की सरकार को कम से कम राम भक्तों का सम्मान करते हुए मुलायम और नृपेन्द्र, दोनों को सम्मानित नहीं करना चाहिए था!
मैं यह वीडियो इसलिए दे रहा हूं कि कभी नेता को तो कभी नौकरशाह को अपना ‘अब्बा’ बनाने वाले कुछ ‘अब्बासी हिंदू’ प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को टैग कर मुझ पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे कि संदीप देव ने नृपेन्द्र मिश्र पर झूठा आरोप लगाया है!
मेरी पत्रकारिता वस्तुनिष्ठ होती है। किसी व्यक्ति के प्रति मेरे मन में कोई राग-द्वेष नहीं है, इसलिए मेरी पत्रकारिता न लेफ्ट है, न राइट, वह सिर्फ तथ्य आधारित और सनातन मूल्यों वाली है। अतः मुझ पर सवाल उठाने से पहले सोच लिया करो कि मैं अपनी रिपोर्टिंग का एक साथ कई साक्ष्य दे दूंगा।
अरे कम से कम हिंदू तो रहो! राम मंदिर के लिए कारसेवा में मारे गये अपने हिंदू भाइयों के लिए तो पार्टीबाजी से दूर रहकर हिंदू बनकर सोचो? हाय रे हिंदू तेरी किस्मत!
#SandeepDeo