विपुल रेगे। ट्रांसजेंडर विषय पर फिल्म बनाने से अधिक आवश्यक है, इस पर एक डाक्यूमेंट्री का निर्माण किया जाए। बॉलीवुड अभी ऐसे विरल विषयों पर गहनता के साथ फ़िल्में बनाने में असमर्थ है। ट्रांसजेंडर यानि परलैंगिकता हर समाज की स्वाभाविक समस्या है। विश्व के सभी देशों में ट्रांसजेंडर्स पाए जाते हैं। उनकी समस्याओं को लेकर सरकारें भी जागरुक हुई है। हालाँकि इस विषय पर एक फुल लेंथ बॉलीवुड फिल्म बनाना एक असहज सा प्रयास लगता है। व्यावसायिक सफलता के लिए ट्रांसजेंडर पर मसाला फिल्म बनाने को हम एक समस्या को बॉक्स ऑफिस पर भुनाने की कोशिश के रुप में देख सकते हैं।
रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने समलैंगिकता पर एक बड़ा ही प्रभावी व्याख्यान दिया था। इस फिल्म के परिपेक्ष्य में उसे जानना आवश्यक है। पुतिन कहते हैं ‘बच्चों को इन सबमे घसीटना ठीक नहीं है। उन्हें बड़ा हो जाने दो और स्वयं तय करने दो कि उनकी लैंगिकता क्या है।’ पुतिन लिबरल्स द्वारा समलैंगिकों की श्रेणियां निकाले जाने से नाराज़ थे। इसके बाद उनका ये बयान बड़ा चर्चित हुआ था।
यदि अभिषेक कपूर ट्रांसजेंडर विषय पर फिल्म बनाकर समाज को शिक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं तो उनको पुतिन की बात अवश्य सुननी चाहिए। ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ एक बॉडी बिल्डर मनु और एक ट्रांसजेंडर मानवी की प्रेमकथा है। मानवी पहले एक लड़का थी लेकिन उसके अंदर स्त्रियोचित गुण थे। वह आपरेशन करवाकर एक लड़की बन जाती है।
मानवी जब मनु को इस बारे में बताती है तो नाराज होकर वह उसे छोड़ देता है। परिस्थितियां बदलती हैं और मनु इस बात को समझता है कि मानवी बचपन से ही स्वयं को एक स्त्री के रुप में अनुभव करती है। निर्देशक अभिषेक कपूर की नीयत इस फिल्म को लेकर झलकती है। वे एक विरल विषय पर एक प्रेमकथा बना रहे थे। इस गंभीर विषय को उन्होंने बड़ी आसानी से सेक्स और नारी स्वतंत्रता की ओर मोड़ दिया।
ये कतई आवश्यक नहीं था कि ट्रांसजेंडर विषय पर फिल्म बनाते हुए आप सेक्स दृश्यों को शामिल करें। एक निर्देशक होने के नाते वे अपनी बात इसके बगैर भी कह सकते थे। मानवी फिल्म की सबसे मुख्य पात्र थी और इसके लिए वाणी कपूर को लिया जाना निर्देशक की सबसे बड़ी गलती रही। इस किरदार के लिए वे एक वास्तविक ट्रांसजेंडर को मानवी के किरदार के लिए ले सकते थे।
यदि वे ऐसा करते तो ये फिल्म बनाना उनका निष्ठावान प्रयास कहा जाता। हालाँकि वे ऐसा नहीं चाहते थे कि समाज में इस पर एक आदर्श चर्चा हो। वे बॉक्स ऑफिस पर भव्य सफलता चाहते थे और वह भी उन्हें नहीं मिल सकी। आयुष्यमान खुराना एक बड़े सितारे हैं। आज की तारीख में वे सलमान खान से भी अधिक सफल सितारे माने जाते हैं। उनकी फिल्मों में आधे से अधिक सामाजिक विषयों पर बनी है।
उन्होंने अपने अभिनय के बल पर दर्शकों में गहरी पैठ बनाई है। मनु के किरदार को उन्होंने निष्ठापूर्वक निभाया है लेकिन वह सारी मेहनत बेकार गई। जब मूल विषय ही प्रदूषित हो चुका हो तो अच्छे अभिनय से कुछ ख़ास अंतर नहीं पड़ेगा। इस किरदार से उनकी फैन फॉलोइंग ज़रा भी नहीं घटेगी और न उनसे दर्शक नाराज़ होंगे। हालाँकि अपनी स्टार पोजीशन को देखते हुए उन्हें ऐसे किरदार करने से बचना चाहिए।
ये बात सर्वविदित है कि सलमान खान ने अपनी किसी फिल्म में कोई चुंबन दृश्य नहीं दिया। वे इसलिए ऐसा नहीं करते क्योंकि उनकी फिल्मों के दर्शक सभी आयु वर्ग के होते हैं। आयुष्यमान को ये बात सलमान से सीखनी चाहिए कि आपकी ऑन स्क्रीन इमेज और ऑफ स्क्रीन इमेज में बस सूत बराबर ही फर्क होता है।
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