विनीत नारायण । अब तक धर्म, व्यवसाय और राजनीति को लेकर आपने जो कुछ किया है उस पर सनातन धर्म के आधार स्तंभ, प्रातःस्मरणीय गोवर्धन पीठ (पुरी ) के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी के विचार तो आप जानते ही हैं ?
आरएसएस व बीजेपी के राजनैतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये ये जो संन्यास दीक्षा का नया प्रपंच आपने खड़ा किया है ये किसी भी सनातनधर्मी के गले नहीं उतर रहा। संन्यास लेना और देना हमारी सनातन परंपरा का एक अति पवित्र और सर्वोच्च अनुष्ठान है।
विज्ञापन निकाल कर, आवेदन मंगा कर व जीवन भर की आर्थिक सुरक्षा की गारंटी देकर इस महान परंपरा का जो व्यवसायीकरण आपने किया है ये सनातन धर्म की जड़ों में मट्ठा डालने का काम करेगा। क्योंकि ये सब कृत्य संन्यास की मूल भावना व सदियों से चली आ रही परंपरा के विपरीत है।
आपसे मुझे आत्मीय स्नेह है और शायद आपको भी, जो आप अनेक बार सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं, इसलिये बहुत पीड़ा हुई आपका ये कृत्य देखकर।जब आप सत्ता के इशारे पर ही ‘आध्यात्मिक निर्णय’ ले रहे हैं तो आप मेरे जैसे लोगों की भावना की क्यों परवाह करेंगे ? इसलिये इस पीड़ा को सार्वजनिक कर रहा हूँ ताकि देश भर के धर्माचार्य और सभी सनातनधर्मी इस पर विचार करें कि आपका ये कृत्य धर्म सम्मत है या धर्मविरुद्ध ?
अगर उनका निर्णय मेरी भावना के विपरीत होगा तो मैं आपसे क्षमा माँग लूँगा और अगर अनुकूल हुआ तो आप इस पर गंभीरता से विचार कीजियेगा कि आप किस दिशा में बढ़ रहे हैं ।