अर्चना कुमारी। दिल्ली पुलिस की लापरवाही जांच का नमूना तब पेश आया जब कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगो के मामले में आरोपी शाहरुख पठान को पिस्तौल बेचने के आरोपी बाबू वसीम को संदेह का लाभ देते हुए आरोप मुक्त कर दिया। बताया जाता है कि शाहरूख 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के दौरान एक पुलिसकर्मी पर हथियार तानने के बाद फरार हो गया था।
उस समय एक निजी न्यूज़ चैनल में हिंदू नाम से संबोधित कर शाहरुख को हिंदू आक्रमणकारी बताने की हर संभव कोशिश की गई थी लेकिन पकड़े जाने पर पता चला कि वह मुस्लिम दंगाई है। वह जब कुछ दिनों के लिए पैरोल पर रिहा हुआ था तब भी उसका स्वागत इस कदर किया गया जैसे कोई वह स्वतंत्रता सेनानी हो।
लेकिन इस बीच जो शाहरुख को पिस्टल दिया वह आरोपी बाबू वसीम के खिलाफ ठोस साक्ष्य पुलिस जुटा नहीं पाई और आरोपी बाबू वसीम को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया। इसके बाद वह बड़े आराम से रिहा हो जाएगा।
अदालत का कहना था कि आरोपी शाहरूख पठान का इकबालियां बयान कानून के तहत स्वीकार्य नहीं है और यह साबित नहीं हुआ कि आरोपी बाबू वसीम ने उसे पिस्टल दिया था। पुलिस के अनुसार पठान ने कथित तौर पर 24 फरवरी, 2020 को दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल दीपक दहिया को मारने के इरादे से पिस्तौल तान दी थी। इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पठान फरार हो गया और उसे 3 मार्च, 2020 को उत्तर प्रदेश के शामली जिले के एक बस स्टैंड से गिरफ्तार किया गया था।