
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले !
अर्चना कुमारी। धर्मांतरण को लेकर आखिरकार दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम को इस्तीफा देना पड़ गया। उनसे केजरीवाल भी बेहद नाराज बताए जाते थे जबकि भाजपा ने केजरीवाल को हिंदू विरोधी करार देते हुए लगातार हमलावर थी। मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राजेंद्र पाल गौतम ने इसे स्वेच्छा से दिया इस्तीफा करार दिया और कहा है अब मेरा दूसरा जन्म हुआ है। दशहरा के दिन दिल्ली में हुए सामूहिक धर्मांतरण समारोह में शामिल होकर सुर्खियों में आए मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने रविवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को दो पेज का अपना इस्तीफा भेजा।


पत्र में कहा गया है कि दलित को आज भी छुआछूत के नजरिए से देखा जाता है और अब वह और अधिक मजबूती से समाज पर होने वाले अत्याचारों व अधिकारों की लड़ाई को बिना किसी बंधन के जारी रखूंगा। उनका कहना था कि जिस वायरल वीडियो को लेकर आप और मेरे मुख्यमंत्री पर टिप्पणी की जा रही है, वो गलत है। मैं इससे बहुत आहत हूं जबकि कार्यक्रम में बतौर सदस्य शामिल हुआ था, इससे मेरी पार्टी और मुख्यमंत्री का कुछ भी लेना देना नहीं । उन्होंने दावा किया कि केजरीवाल ने मुझ पर भरोसा जताया लेकिन सच्चाई यह है कि मुख्यमंत्री का उन पर इस्तीफा देने का दबाव था।
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राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि मैं अपने समाज और उनके अधिकार के लिए लड़ता रहूंगा, इसके लिए चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए। वैसे वह तभी विवादित हो गए थे जब उन्होंने हिंदू देवी देवताओं की पूजा न करने की शपथ दिलाई गई थी और सामूहिक धर्मांतरण की वीडियो के वायरल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी लगातार मंत्री से इस्तीफे की मांग कर रही थी। इतना ही नहीं गुजरात में.केजरीवाल के खिलाफ पोस्टर भी लगाया गया था, जिसमें उनको हिन्दू विरोधी बताया गया इसके अलावा भाजपा ने गौतम के खिलाफ संसद मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई थी ।
गौरतलब राजेंद्र पाल गौतम दिल्ली के सीमापुरी से विधायक हैं और पहले वह वकालत करते थे। दावा किया गया है कि धर्मांतरण की यह शुरू से पैरवी करते रहे हैं और वह अक्टूबर 2020 में गाजियाबाद में धर्मांतरण के एक मामले पर इन्होंने कहा था कि यह धर्म परिवर्तन नहीं, घर वापसी है। गाजियाबाद में उस समय वाल्मीकि समाज के लोगों का बौद्ध धर्म अपनाया था
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