दिल्ली दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस ने फरार दंगाइयों का सुराग देने वाले को इनाम देने की घोषणा की है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि उत्तर- पूर्वी दिल्ली में फरवरी महीने में हुए दंगों के दौरान 53 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और दिल्ली हिंसा में करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।
इस पूरे मामले में 750 से भी ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे लेकिन इनमें कई ऐसे मामले हैं जिसमें अभी आरोपियों को पकड़ा नहीं जा सका है। ऐसे ही मामलों में फरार चल रहे दंगाइयों की सूचना देने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार दिल्ली दंगा को लेकर आम जनों से अपील करता हुआ एक पोस्टर भी जारी किया गया है, जिसमें दंगाइयों के बारे में पुलिस को सूचना देने वाले को इनाम देने की घोषणा की गई है।
पोस्टर में आम लोगों से अपील की गई है कि ऐसे दंगाइयों की सूचना दिल्ली पुलिस को दें और इसके बदले उन्हें 10 हजार रुपये की इनाम राशि दी जाएगी। आम लोगों से कहा गया है कि वह दंगाइयों की सूचना अपने नजदीकी थाने के एसएचओ या इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर को दें और दिल्ली पुलिस यह वादा करती है कि इस तरह की सूचना देने वालों की पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाएगी।
दिल्ली पुलिस की तरफ से जारी पोस्टर में लिखा गया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े 750 से भी अधिक आपराधिक मामलों की जांच चल रही है। इस वजह से आम जनता से अनुरोध किया जाता है कि इन दंगों की गतिविधियों में लिप्त अपराधियों की पहचान करने में दिल्ली पुलिस की हर संभव सहायता प्रदान करें।
गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा से जुड़े बड़े मामले की जांच क्राइम ब्रांच की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम कर रही है जबकि अन्य मामलों की जांच भजनपुरा, जाफराबाद और दयालपुर समेत उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ अन्य थानों में की जा रही है जहां दंगों को लेकर मामला दर्ज किया गया था। ऐसा नहीं है कि दंगों को लेकर पहली बार इनाम की कोई घोषणा की गई है।
इससे पहले भी जब दंगों में लिप्त दंगाइयों का सुराग नहीं मिलता था तब पुलिस इस बारे में सुराग देने वाले को उचित ईनाम देने की घोषणा करती रही है।
इसके अलावा खूंखार आतंकवादियों तथा जटिल केसों में भी कोई सुराग पुलिस तक पहुंचाने वाले को इनामी राशि देने की घोषणा होती रही है । पुलिस सूत्रों की मानें तो दिल्ली दंगा को लेकर करीब 1200 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है, इनमें दिल्ली दंगे के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले तथा आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा और जेएनयू के पूर्व छात्र सरजील इमाम आदि शामिल है।
वैसे भी देश की राजधानी दिल्ली में हुए दंगे शर्मसार करने वाली साबित हुई क्योंकि यह दंगा महज एक कानून के बनाए जाने को लेकर विरोध में किया गया जबकि इस देश में रह रहे मुस्लिम समाज से नए कानून का कोई लेना-देना नहीं था। इस तरह की दंगों से देश की छवि खराब होती है। दिल्ली दंगा उस समय एक सुनियोजित तरीके से किया गया, जिस समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दिल्ली के दौरे पर आए हुए थे।
सनद रहे इससे पहले यूपी के मुजफ्फरनगर में हुए दंगों में 62 से ज्यादा जान गई थी जबकि साल 2017 में राम रहीम पर कोर्ट के फैसले के बाद हरियाणा-पंजाब में हुए दंगों में 41 से ज्यादा मौतें हुईं थी। इससे पहले 2002 में हुए गुजरात दंगों में 1000 से ज्यादा लोगों की जान गई। आंकड़ा बताता है कि साल 2014 से 2017 तक देश में 2920 दंगे हुए जिसमें 389 मौतें हुईं जबकि 8,890 लोग घायल हुए। यह चौंकाने वाला है कि 2004 से 2017 के बीच देश में 10399 दंगे हुए और 1605 लोगों की जान गई।
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