संदीप देव
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अलावा जनसंघ के संस्थापकों में एक नाम बलराज मधोक का था।जनसंघ का घोषणा पत्र उन्हीं ने बनाया था। बाद में वह जनसंघ के अध्यक्ष भी बने। दीन दयाल उपाध्याय जी इनके बाद ही अध्यक्ष बने थे।
उन्होंने तीन खंडों में अपनी जीवनी लिखी थी- ‘जिंदगी का सफर’! यह जीवनी एक राजनीतिक थ्रिलर है, खासकर जनसंघ के उस इतिहास को लेकर जो अभी तक दबाया हुआ है।
जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस का भी काला चेहरा इस जीवनी में प्रकट हुआ है। साथ ही संघ-जनसंघ के उन बड़े नेताओं का काला चेहरा भी सामने आया है, जिनके बारे में बहुत कुछ मनगढ़ंत कहानी बना कर उनका महिमामंडन किया गया है!
दीन दयाल उपाध्याय की हत्या में जिन तीन बड़े चेहरों का नाम सामने आया था, वह भी इसमें तथ्य के साथ लिखा गया है। अल्पसंख्यक आयोग जनसंघ-मोरारजी की सरकार में पहली बार बनी थी, इसकी जानकारी मुझे इसी पुस्तक से प्राप्त हुई थी।
यह इतिहास की एक अनमोल पुस्तक है,जो अब नहीं छपती है। संघ ने बलराम मधोक को सच लिखने के कारण तिल-तिल मरने के लिए छोड़ दिया था। जब वह मरे तो उनकी बेटी के अलावा कोई उनके पास नहीं था। कांग्रेस के विरुद्ध तब की सबसे बड़ी पार्टी के संस्थापकों में से एक की मौत बेहद गुमनाम हुई और दर्दनाक हुई!
काफी दिनों से यह पुस्तक मुझे नहीं मिल रही थी। मुझे अपने ही पुस्तकालय की सफाई में यह पुनः मिल गई है। पोस्ट लिखकर इसमें दी गई कुछ सच्चाई से आप लोगों को अवगत कराता रहूंगा। चूंकि अब प्रकाशक इसे छापने से मना करता है, तो यह सचमुच मेरे लिए अनमोल और सहेज कर रखने लायक पुस्तक है।
धन्यवाद।