बहुत बड़ा वो राष्ट्र का बेटा , नाथूराम गोडसे था ;
बचा खुचा जो राष्ट्र का गौरव, वो तो केवल उसी से था ।
हिंदू शौर्य जगाया उसने , सदियों से जो सोया पड़ा था ;
सबसे बड़ा राष्ट्र का दुश्मन , उसने ही तो पछाड़ा था ।
राष्ट्र बचाने की खातिर, उसने अपना बलिदान कर दिया;
पर हम सब इतने कृतध्न हैं, उसका नाम ही भुला दिया ।
बलिदानी को राष्ट्र भूलता, नीचे गर्त में गिर जाता ;
धूलधूसरित होता गौरव, राष्ट्र कभी न उठ पाता ।
फौरन जगो जगाने वालो, सोने का अब काम नहीं ;
राष्ट्र अभी भी सोता रहा तो, जीवन का फिर नाम नहीं ।
मौत से बदतर जीवन होगा, कोई सम्मान कहीं न होगा ;
गंदी दौलत जरूर बढ़ेगी, राष्ट्र धर्म का नाम न होगा ।
अब सब अपनी निद्रा त्यागो, सच्चे राष्ट्रभक्त पहचानो ;
गांधी जैसे चोर को जानो, भ्रष्टाचारी नेता जानो ।
राजनीति में घुसे हुये हैं, गुंडे, डाकू, चोर , उचक्के ;
सारे राष्ट्रभक्त जग जायें और छुड़ायें उनके छक्के ।
भारत जैसी पवित्र धरा पर, कहां से इतने पापी आये ;
पाप के सारे स्रोत बंद हों, सही राह पर पापी आयें ।
भारत से सारे पाप मिटा दो, भ्रष्टाचार अब बच न पाये ;
घर-घर नाथूराम हों पैदा, ऐसा समय जल्द ही आये ।
राष्ट्र के जितने प्रेमी हैं सब, इसी दिशा में काम करें ;
एक ध्वजा के नीचे आकर, राष्ट्र का अब उद्धार करें ।
सारा भ्रष्टाचार मिटाओ , अत्याचार भी मिट जायेगा ;
कानून का शासन आ जायेगा , सारा गुंडा पिट जायेगा ।
न कोई अपराधी होगा , न्याय की गंगा निर्मल होगी ;
सब का पालन पोषण होगा , भारत मां न निर्बल होगी ।
कायर ,कुटिल ,कपूत हैं जितने , सही राह पर आ जायेंगे ;
बलिदान सफल हो नाथूराम का, हिंदू राष्ट्र बनायेंगे ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचनाकार :ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”