नाथूराम था देव तुल्य, जन्मा असुरों से लड़ने को ;
धर्म सनातन का रखवाला , न छोड़ा हिंदू मरने को ।
हिंदू धर्म बचाया उसने ,पाप की जड़ को नोंच दिया ;
सारा जहर पिया शंकर सा , व भारत को बचा लिया।
गांधी के चेले- चांटों ने , कुछ ऐसा दुष्चक्र चलाया ;
सच्चाई को छिपा दिया व बलिदानी को बिसराया ।
बदनसीब है हिंदू इतना,अब तक सत्य न जान सका ;
षडयंत्रों की अंधियारी में ,ठीक से कुछ न देख सका ।
पर सत्य कभी छिपता न हमेशा,उसको ऊपरआना है;
ज्ञान के सूरज के प्रकाश में , सत्य सामने आना है ।
आवाहन है समस्त राष्ट्रका,बलिदानी को ठीकसे जानो;
अंतिम बयान को सारे पढ़ना , सच्चाई को पूरा जानो ।
उसने त्याग किया जीवन का , हिंदू धर्म बचाने को ;
हर हिंदू की अब है बारी , धर्म के मार्ग पर चलने को ।
सारे हिंदू सत्य को जानें , पहचाने राष्ट्र के दुश्मन को ;
घर-घर चित्र लगे नाथू का , मार भगाओ दुश्मन को ।
ज्यादातर हिंदू नेता हैं, धिम्मी, कायर, सेक्युलरिस्ट ;
इनसे खुद को मुक्त करो अब, नेता ढूंढो नेशनलिस्ट ।
परम साहसी, चरित्रवान हो, सबसे पहले राष्ट्र हो ;
नाथूराम का सपना सच हो, भारत हिंदू-राष्ट्र हो ।
जितने भी भूभाग छिन गये , सारे मिलकर एक हों ;
अखंड भारत की होगी रचना , बस सारे हिंदू एक हों ।
नाथूराम गोडसे वाला , सपना पूरा सच होगा ;
अखंड हिंदू-राष्ट्र हो भारत , ये जल्दी ही सच होगा ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”