संदीप देव को समर्पित एक और कविता ।
कट्टर – हिंदू , साहसी , निर्भय , चरित्रवान ;
राष्ट्रभक्त हो , बुद्धिमान हो , ऐसा वीर सुजान ।
पड़ी जरूरत आज राष्ट्र को , ऐसे हिंदू हीरो की ;
कभी न अपनी पीठ दिखायें , ऐसे निर्भय वीरों की ।
रणभेरी में देर नहीं है , सारे हिंदू जग जायें ;
आपस के सब भेद मिटाकर,एक साथ सब आ जायें।
हिंदू राष्ट्र बनेगा भारत , सबका ये संकल्प हो ;
सारे एक ध्वजा के नीचे , दूजा न विकल्प हो ।
एक जगह सब वोट करें और मर्दों की सरकार हो ;
राजनीति से करो सफाया , जितने भी बेकार हों ।
केवल राष्ट्रभक्त ही जीतें , उनकी ही जय कार हो ;
राष्ट्रभक्त सत्ता पर काबिज , गुंडों पर यलगार हो ।
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाकर ,केसरिया ध्वज फहराओ ;
राष्ट्रगान को फौरन बदलो,केवल वंदे मातरम गाओ ।
भारत मां की करे बंदगी , वो ही हिंदुस्तानी है ;
इससे जो परहेज कर रहा , वो तो पाकिस्तानी है ।
गद्दारों को देश निकाला , बाकी सब का स्वागत है ;
हिंदू राष्ट्र की ताकत ऐसी , कोई नहीं बगावत है।
भारत के जितने दुश्मन हैं , मिट्टी में सब मिल जायेंगे ;
जितने भी भूभाग अलग हैं ,फिर सारे मिल जायेंगे ।
चीन पाक की ऐसी तैसी ,इनका न नाम निशान रहेगा ;
कहीं नहीं आतंकी होगा ,बस केवल इंसान रहेगा ।
हिंदू -राष्ट्र की महिमा न्यारी , राम-राज्य आ जायेगा ;
राष्ट्र करे हर ओर तरक्की , दुनिया पे छा जायेगा ।
“वंदे मातरम- जय हिंद”
रचनाकार :ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”