सर्वश्रेष्ठ दो ही रास्ते हैं, किसी एक पर तुम बढ़ जाओ ;
या तो भ्रष्टाचार हटाकर , कानून का शासन लेकर आओ ।
याफिर तुष्टीकरण हटाकर देश से,अल्पसंख्यकवाद मिटाओ
कुछ भी तुमसे हो न सके, तो फौरन गद्दी से हट जाओ ।
कोई योग्य पुरुष आने दो , अब तुम अपना बोझ हटाओ ;
राष्ट्र की बाधा काहे बनते ? अब सारा अवरोध हटाओ ।
बीस साल सत्ता सुख भोगा , खूब किया है तुमने फैशन ;
बहुत कष्ट में राष्ट्र हमारा , पर तुम देते रहते टेंशन ।
तुमने जीवन का उद्देश्य भुलाया , हर कीमत में पाना है ;
सत्ता – सुख उद्देश्य नहीं है , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
स्वर्णाक्षर में अंकित होजा , जो भी इतिहास हमारा है ;
वरना गांधीवाद में फंसकर , सत्यानाश तुम्हारा है ।
एक हाथ में श्रेय है तेरे , एक हाथ में प्रेय ;
श्रेय सदा ही सर्वश्रेष्ठ है , निकृष्ट सदा ही प्रेय ।
हिंदू – राष्ट्र को श्रेय बनाओ , सत्ता सुख है प्रेय ;
अब इस गूढ बात को समझो , पा जाओगे श्रेय ।
हिंदू – राष्ट्र को जीवन दोगे , तुम भी जीवन पा जाओगे ;
जीते – जी कल्याण तुम्हारा , मोक्ष मार्ग भी पा जाओगे ।
राष्ट्र का ही कल्याण नहीं है , ये है पूरे विश्व का ;
केवल हिंदू – धर्म ही ऐसा , गारंटी है विश्व का ।
शांति , सुरक्षा , सहअस्तित्व , केवल इसी से संभव है ;
दुनिया हरदम बची रहेगी , हिंदू से ही संभव है ।
नोबेल प्राइज की क्या हस्ती? सबसे बढ़कर धर्म की मस्ती ;
इस मस्ती को पा जाओ तुम , सदा रहेगी तेरी हस्ती ।
तुझे तजुर्बा राजनीति का , अब तुम राष्ट्रनीति का ले लो ;
राजनीति हरदम दुख देती , सच्चा आनंद धर्म से ले लो ।
दोनों मार्ग हैं तेरे आगे , किस पर चलना तेरी मर्जी ;
सबका कल्याण है धर्म मार्ग में, राजनीति पक्की खुदगर्जी ।
स्वार्थी कभी नहीं सुख पाता , उसको सदा नर्क मिलना है ;
पहले राष्ट्र को नर्क बनाता , बाद में उसमें ही जलना है ।
आज दशहरे में प्रण ले लो, अधर्म का ही रावण जलना है ;
हजार बरस की राष्ट्र की लानत , उसको ही अब हटना है ।
सारे हिंदू जाग गये हैं , अब तो ये ही होना है ;
और नहीं है दूजा – रास्ता , हिंदू – राष्ट्र ही होना है ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”