हिंसक – समाज से ही डरते , क्या नेता ? क्या मीडिया ?
इन्हीं से अफसरशाही डरती , गुंडों की है दुनिया ।
सीधे का मुंह कुत्ता चाटे , चाहे जो भी ठोकर मारे ;
सरकारें भी जिन्हें लूटती , हिंदू ऐसे ही बेचारे ।
केवल इन्हीके मंदिर लुटते , सरकारें भी लूट रहीं ;
धर्म-प्रचार का इन्हें न अवसर , संस्कृति इनकी टूट रही ।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , फिर भी ये अपमान सह रहा ;
अपराधी , बर्बर जो मजहब , दोनों हाथों लूट रहा ।
स्वार्थ, लोभ, भय ,भ्रष्टाचार में , हिंदू-नेता फंसे पड़े हैं ;
डीएनए को मिला मिलाकर,सब के विश्वास में यही पड़े हैं।
सरकारें बन चुकी नपुंसक ,राष्ट्र के हित का दमन कर रहीं ;
हजार बरस में जो हो न पाया , ये सरकारें वही कर रहीं ।
मुगल भी हारे, अंग्रेज भी हारे , धर्म- सनातन तोड़ न पाये ;
पर अब कायर हिंदू- नेता , इसको करने आगे आये ।
सौ में नब्बे हिंदू – नेता , कायर व कमजोर हैं ;
यही हैं वामी , कामी , जिम्मी , सेक्युलर व चोर हैं ।
तथाकथित ये हिंदू – नेता , आधा राष्ट्र तो तोड़ चुके हैं ;
अभी भी हिंदू न जागा तो , समझो दुनिया छोड़ चुके हैं ।
अब गांधी को उठाके फेंको , उसकी सत्य -अहिंसा छोड़ो ;
हिंसा ,हिंसा से ही थमती, शस्त्र- शास्त्र को कसके पकड़ो ।
हिंदू – नेता ऐसे बहरे , केवल तेज – धमाका सुनते ;
एक साथ सब मिलकर बोलो , कैसे नहीं ये नेता सुनते ?
शाहीन बाग भी तुमको करना, रोड जाम भी तुमको करना ;
पारंगत हो शस्त्र – शास्त्र में , अपने हक को लेकर लड़ना ।
कायर हिंदू – नेता डरकर , सही – राह पर आ जायेंगे ;
चौहत्तर साल में जो भी छिना है, सब कुछ हिंदू पा जायेंगे ।
मां भी उसको दूध पिलाती , जो बच्चा चिल्लाता है ;
पर बदनसीब हिंदू बेचारा , अपना सब- कुछ लुटवाता है ।
सबसे ज्यादा टैक्स उसी पर , गुंडा तो एकदम नंगा है ;
कानून तो केवल हिंदू पर है , जेहादी हरदम चंगा है ।
सर्वश्रेष्ठ है शक्ति की भाषा , कमजोरों की कोई न सुनता ;
हिंदू सब कमजोरी त्यागें , फिर देखो हर नेता सुनता ।
धर्म – सनातन को अपनाकर , शक्तिपुंज सारे बन जाओ ;
शक्तिपुंज सारे मिलकरके , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
“जय-हिंदूराष्ट्र”संयोजक
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर”विधिज्ञ”