ब्रजेश सिंह सेंगर
शायद हिंदू न जागेगा , सोता ही रह जायेगा ;
लगता होनी नहीं टलेगी , रक्त का सागर बह जायेगा ।
“भविष्य-मालिका” स्पष्ट कह रही,भीषण हिंसा होने वाली ;
जो सोवत है सो खोवत है , चरितार्थ उक्ति होने वाली ।
पर जितने भी जागरूक हैं , वे सारे हिंदू सूचित हों ;
कृष्ण-नीति का पालन करना , धर्मध्वजा आच्छादित हों ।
राजनीति की करो सफाई , धर्मनीति को लाना है ;
सत्यनिष्ठ नेता को लाकर , अच्छी – सरकार बनाना है ।
धर्म की रक्षा करनी होगी , तब धर्म करेगा तुम्हें सुरक्षित ;
घर-परिवार की पूरी रक्षा , बच्चे भी होंगे धर्म से रक्षित ।
धर्महीन जितने भी हिंदू , जीवन – रेखा घटती जाती ;
सरकारी प्रोत्साहन पाकर , म्लेच्छ-शक्ति बढ़ती जाती ।
राक्षसराज चल रहा पूरा , सत्ता में कालनेमि छाये ;
हिंदू-हित की झूठी बातें , असल में हिंदू को भरमाये ।
अज्ञान, स्वार्थ ,भय ,भ्रष्टाचार में , हिंदू इसी में बौराया है ;
धर्म-सनातन छोड़ दिया है , चकाचौंध में पगलाया है ।
आफत की घड़ी आ चुकी सर पर,बचने की तैयारी कर लो ;
शस्त्र – शास्त्र में पारंगत हो , लड़ने की तैयारी कर लो ।
अच्छा रणकौशल ही हिंदू को , युद्ध में जीत दिलायेगा ;
वरना अब्बासी-हिंदू नेता , धोखे से हिंदू को हरवायेगा ।
केवल नाम के हिंदू हैं ये , मन से पूरे म्लेच्छ हैं ;
मंदिर-प्रसाद में गौ-मांस की चर्बी, लड्डू बनवाते म्लेच्छ हैं ।
मंदिर-प्रबंधन में म्लेच्छ घुसाये, सबका सब सरकारी खेल ;
अज्ञान की पट्टी हिंदू ! खोलो , वरना हारोगे पूरा खेल ।
ओलम्पिक में भी इनका खेला,सौ ग्राम से मेडल छिनवाया ;
देश के हित से कुछ न मतलब , हिंदू को सदा ही भरमाया ।
हार का मुख इतना देखा है , जीत की आशा छोड़ चुका है ;
अपने पूर्वज भूला है हिंदू,स्वर्णिम इतिहास भी भूल चुका है।
अब्बासी-हिंदू नेता भारत का , अब्राहमिकों का मोहरा है ;
कोई निर्णय नहीं है इसका , एकदम गूंगा – बहरा है ।
शर्मनाक है प्रेस-मीडिया , खुद को ये नीलाम कर चुके ;
केवल नेता का प्रोपेगेण्डा , चौथे स्तंभ को ध्वस्त कर चुके ।
ऐसी हालत हुयी देश की , चारों ओर अंधेरा है ;
अंधेर-नगरी चौपट-राजा , म्लेच्छों का वारा-न्यारा है ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो, यदि खुद को मिटने से बचाना है ;
धर्म – सनातन की शिक्षा से , अच्छी – सरकार बनाना है ।
“जय सनातन-भारत”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”
