अर्चना कुमारी। चुनाव बाद हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है । इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट ने तो हलचल बढ़ा दी है। पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने हाईकोर्ट में अपनी 50 पन्नों की रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में कानून का राज नहीं है बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी का आतंक है।
इसमें बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल नेताओं और मंत्रियों को भी नामजद किया गया है और उन्हें कुख्यात अपराधी बताया गया है। इसे लेकर सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में जंग छिड़ी हुई है और दोनों राजनीतिक दल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं। एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र की भाजपा सरकार के इशारे पर बंगाल को बदनाम करने की कोशिश हो रही है।
उन्होंने एनएचआरसी की रिपोर्ट को भाजपा के दबाव में बनाई गई रिपोर्ट करार दिया। अब भाजपा इसे जमीनी हकीकत बता रही है, रिपोर्ट को लेकर भारतीय जनता पार्टी बेहद आक्रमक हो गई लगती है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा कि एनएचआरसी ने हाईकोर्ट में जो रिपोर्ट दी है वह बंगाल की जमीनी हकीकत है और इसे नकारा नहीं जा सकता।
पश्चिम बंगाल में रहने वाले लोग यहां डरे सहमे हुए हैं। उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है और पुलिस प्रशासन इन्हें रोकने के बजाय अपराधों में सहायक बना हुआ है। कुल मिलाकर परिस्थिति जंगलराज की तरह है। आजादी के बाद से देश भर में इतनी कलंकित लोकतांत्रिक व्यवस्था कभी नहीं रही। हाईकोर्ट के आदेश पर मानवाधिकार आयोग ने रिपोर्ट दी है।
इस पर सवाल नहीं खड़ा किया जाना चाहिए। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट आंख खोलने वाली है। ममता बनर्जी का कभी भी कोर्ट या संवैधानिक प्रक्रिया में भरोसा नहीं रहा है इसलिए वह हर चीज पर सवाल उठाती हैं। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तनिक भी जिम्मेवारी समझतीं और अपनी नैतिकता को समझतीं तो मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट का संज्ञान लेती और प्रशासन को चुस्त करतीं।
इसके अलावा कोर्ट में ममता सरकार को कहना चाहिए था कि अब तक जो हुई वह गलती थी। इसे हम सुधारेंगे लेकिन बेशर्मी से कोर्ट और रिपोर्ट पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता मानव जायसवाल ने कहा कि पूरी दुनिया कह रही है कि भारतीय जनता पार्टी बाहुबल के जरिए बंगाल को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
इसके लिए उन्होंने भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कहा विधानसभा चुनाव से पहले भी इसी तरह से किया गया था ,जिसकी सजा राज्य की जनता ने दे दी है। मानव ने कहा कि मानवाधिकार आयोग का इस्तेमाल निजी फायदे के लिए केंद्र की सरकार कर रही है जो शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार और मानवाधिकार आयोग की टीम को पक्षपात नहीं करना चाहिए।
लेकिन स्थिति बिल्कुल विपरीत है। बंगाल में जबसे ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी हैं उसके बाद से हिंसा की सभी घटनाओं पर लगाम कस दिया गया है। लेकिन केवल राजनीतिक लाभ के लिए गलत रिपोर्ट पेश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोर्ट में जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें कहा है कि बंगाल में वास्तविक परिस्थिति के आकलन के लिए सेवानिवृत्त जज की निगरानी में एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए। इसके अलावा जांच प्रक्रिया की निगरानी हाईकोर्ट से कराने की अनुशंसा भी मानव अधिकार आयोग की टीम ने की है।