अर्चना कुमारी। ऑनलाइन तरीके से यदि आपको कभी सरकारी काम कराना हो तो जरा सावधान हो जाए । जैसे यदि आप ऑन लाइन वोटर आईकार्ड, एचएसआईपी, डीएल, फास्ट टैग जैसे सुविधाओं के लिए आवेदन करने की सोच रहे हैं तो जरा संभलकर कार्य को अंजाम दे । क्योंकि जालसाज ठगों की जमात ऑन लाइन हेराफेरी करने के लिए साइबर प्लेटफार्म पर उपलब्ध है और वह आपको कभी भी ठगी का शिकार बना सकता है।
पुलिस का दावा है आरोपी सरकारी वेबसाइट से मिलती-जुलती कई तरह के वेबसाइट बनाकर भोले-भाले लोगों से धोखाधड़ी कर रहे हैं और केंद्र तथा राज्य सरकार मूकदर्शक बनी हुई है है । दरअसल दिल्ली के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट पुलिस के साइबर थाना पुलिस ने एक ऐसे ही गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस गिरोह के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया ।
पकड़े गए आरोपियों की पहचान गांव खट्टा, रजबपुर, अमरोहा, यूपी निवसी अंकित कुमार (26) और कुशलपुर, बसंत विहार, मुरादाबाद यूपी निवासी मनमोहन सिंह उर्फ टीटू (22) के रूप में हुई है। पुलिस का दावा है इन लोगों ने गैंग लीडर कनव कपूर की मदद से वोटर आईकार्ड बनवाने के लिए फर्जी वेबसाइट ‘voteridcard.ebharatseva.in’ बनाई थी।
छानबीन में पता चला वोटर आईकार्ड बनवाने या उसमें सुधार या संशोधन के नाम पर आरोपी पीड़ितों से महज 650 रुपये लेते थे। जिसके चलते कम रुपए ठगे जाने पर कोई शिकायत भी नहीं करता था जबकि आशंका है इन लोगों ने देशभर के लाखों लोगों से ठगी की है। फिलहाल आधिकारिक तौर पर महज तीन माह के दौरान 10 हजार से ज्यादा लोगों से ठगी का पता चला है और इसकी संख्या लाखों में हो सकती है। पुलिस का कहना है 10 नवंबर 2021 को रंजीत नगर थाने में एक युवक ने इस तरह की ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी।
उस समय पुलिस भी कम रुपए की शिकायत को लेकर उलझन में थी लेकिन पुलिस को दी अपनी शिकायत में पीड़ित ने बताया कि उसे अपने वोटरआईडी में कुछ करेक्शन करवाना था। इसके लिए उसने ऑन लाइन सर्च करना शुरू किया। जिसके बाद गूगल पर उसे सबसे पहले voteridcard.ebharat.in के नाम से वेबसाइट मिली। उसने वेबसाइट को खोला तो उसमें करेक्शन के लिए 650 रुपये की डिमांड की गई। इसके बाद पीड़ित ने ऑन लाइन की पेमेंट कर दी।
इसके बाद दो अलग-अलग ईमेल आया। उसे बताया गया कि जल्द ही कस्टमर केयर प्रतिनिधि उससे संपर्क करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हआ। उसे धोखाधड़ी का एहसास हुआ और उसे ठगी का पता चला। जिसके बाद उसने मामले की सूचना पुलिस को दी। पुलिस का कहना है कि जांच साइबर पुलिस थाने को सौंप दी गई। छानबीन के दौरान टीम को पता चला ठगी के की रकम रोजर पेमेंट गेटवे के जरिये ‘टीटू साइबर कैफे’ मुरादाबाद में ट्रांसफर हुए थे।
पता चला कि कैफे का मालिक मनमोहन सिंह उर्फ टीटू था। इस जानकारी के बाद मनमोहन को पकड़ा गया। उसने बताया कि वह अमरोहा के रहने वाले अंकित कुमार की मदद से इस तरह की ठगी कर रहा था। इस जानकारी पर पुलिस ने अंकित को भी अमरोहा से दबोच लिया। पूछताछ के दौरान अंकित ने बताया कि गैंग सरगना कनव कपूर है। उसका कहना था कि कुछ समय पूर्व उसकी नोएडा सेक्टर-58 में इसकी कनव से मुलाकात हुई थी।
शातिर दिमाग का धनी कनव ने सरकारी वेबसाइट से मिलती जुलती फर्जी कई वेबसाइट बना ली। इसके बाद मनमोहन के गेटवे से रुपये मंगाकर आपस में धोखाधड़ी की रकम आपस में बांटने लगे । इस बीच अंकित और मनमोहन की गिरफ्तारी की भनक लगते ही आरोपी कनव कूपर पंचकुला स्थित अपने घर से फरार हो गया। पुलिस की कई टीमें उसकी तलाश कर रही हैं।
पुलिस का दावा है इनके खातों की जांच से पता चला है कि महज तीन माह के दौरान ही इन लोगों ने 10 हजार लोगों से ठगी है। आरोपी पिछले काफी समय से ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे। छानबीन में पता चला है अंकित अमरोहा के कॉलेज से डिप्लोमा किए हुए है। एक कॉल सेंटर में उसकी मुलाकात कनव से हुई थी। इसके बाद कनव के कहने पर उसने ठगी की वारदात शुरू की।
कनव ने ही सरकारी वेबसाइट से मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट बनाई थी।आरोपी अंकित ने खुलासा किया है कि वोटर आईकार्ड के नाम पर उनका एक अलग मॉड्यूल ठगी कर रहेे था। ऐसे कई और मॉड्यूल हैं जो देश भर में ठगी कर रहे हैं। आरोपी कनव ने एचएसआरपी (हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट), ड्राइविंग लाइसेंस, फूड लाइसेंस और फास्ट टैग के लिए भी अलग-अलग फर्जी वेबसाइट बनाई हुई है।
उसके लिए अलग-अलग मॉड्यूल काम करता है। अंकित ने खुलासा किया है कि कनव ने वोटर आईकार्ड बनवाने या उसमें करेक्शन के लिए 650 रुपये की फीस रखी हुई थी और इस तरह अन्य जगह भी फीस कम रखा गया है। ठगी के शिकार हुए लोग आसानी से इस रकम को दे देते थे। इसके बाद जब वह ठगी का शिकार होते थे तो पुलिस के चक्कर में नहीं पड़ने के लिए वह शिकायत भी नहीं करते थे।
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