नामी ब्रांडेड कंपनियों के डिसटीब्यूटरशिप दिलवाने के नाम पर देशभर के सैकड़ों लोगों से ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया गया । पुलिस ने गिरोह के चार आरोपियों को पकड़ा है और आरोपियों की पहचान मास्टर माइंड विकास मिस्त्री (24), निजी डिजीटल कंपनी के सीईओ विनय विक्रम सिंह (37), विनोद कुमार (27) और संतोष कुमार (32) के रूप में हुई है।
पुलिस का दावा है कि विनय विक्रम फर्जी वेबसाइट बनाकर आरोपियों को देता था। इसकी मदद से आरोपी नामी आउटलेट और स्टोर की फ्रेंचाइजी दिलवाने का झांसा देकर लोगों से मोटी रकम हड़प लेते थे। पुलिस ने आरोपियों के पास से 17 बैंक अकाउंट व अन्य दस्तावेज बरामद किए । पुलिस का दावा है कि आरोपी गैंग देशभर के 500 से अधिक लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं।
दरअसल एक महिला ने पुलिस में इस तरह की ठगी की शिकायत की थी । उसका कहना था कि वह हल्दीराम का आउटलेट खोलना चाहती थीं। उसने गूगल पर एक वेबसाइट देखी। वेबसाइट पर दावा किया गया था कि वह हल्दीराम की फ्रेंचाइजी दिलवाने के अलावा डीलर शिप भी दिलवा देंगे। इसके बाद महिला ने वेबसाइट पर दिए गए नंबर से संपर्क किया।
बताया जाता है कि फोन करने पर आरोपी ने पीड़िता को फ्रेंचाइजी लेने के लिए अलग-अलग मदों (एप्लीकेशन फार्म, डोकोमेंट वेरीफिकेशन, सिक्योरिटी डिपोजिट, ब्रांडनेम यूज, हार्डवेयर एडवांस, साइट इंस्पेक्शन फी) में पैसों की मांग की। इस तरह पीड़िता ने आरोपियों के जाल में फंसकर 11.74 लाख रुपये इनके खातों में ट्रांसफर कर दिए। लेकिन इसके बाद भी डिस्ट्रीब्यूटरशिप नहीं मिला तो महिला ने इसकी शिकायत पुलिस से कर दी ।
पुलिस का कहना है कि पुलिस को पता चला कि हल्दीराम, अमूल, पतांजलि समेत अन्य स्टोर की फ्रेंचाइजी के नाम पर ढेरों फर्जी वेबसाइट चल रही हैं। इनमें कुछ haldiramsfranchise.in, haldiram-franchise.com, haldiramdeal.com थीं। पुलिस ने इसके बाद जानकारी नालंदा, बिहार, फरीदाबाद, हरियाणा, लधियाना, पंजाब और दिल्ली के अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी की। इसके बाद चारों को पकड़ा गया । विनय विक्रम सिंह एमबीए है। वह गुरुग्राम में अपनी खुद की एक निजी कंपनी चलाता है। वहीं मुख्य आरोपी विकास मिस्त्री ग्रेजुएट है। विकास को सहयोग देने वाला विनोद बीसीए है।