बत्तीस – साल से छिपा रही थीं , जिसे देश की सरकारें ;
आखिर में मुंह की खाई है , चित्त हो गई सरकारें ।
कश्मीर की फाइल लेकर आये , विवेक रंजन अग्निहोत्री ;
हिंदू – संहार की खोली सच्चाई , अमर हो गये अग्निहोत्री ।
बॉलीवुड की काली- दुनिया , कैसे कौंधी ये बिजली ?
पर्दाफाश कर दिया सारा , ऐसी चमकी ये बिजली ।
इसकी चमक से अंधे हो गये , भारत के सारे गद्दार ;
मची खलबली सरकारों में , जिनमें भरे हुये मक्कार ।
सच्चाई का दावानल है , झूठ का जंगल जल जायेगा ;
वामी ,कामी, जिम्मी ,सेक्युलर , कोई भी न बच पायेगा ।
बड़ों -बड़ों के चेहरे काले , उनके मुंह पर कालिख है ;
गांधी – नेहरू के जितने चेले , मानवता पर कालिख हैं ।
बड़ों – बड़ों का चीर हरण है , ऐसी कश्मीर की फाइल है ;
हर दोषी को सजा मिलेगी , सबकी खुलेगी फाइल है ।
अब तो आर – पार ही होगा , इससे कमतर कुछ न होगा ;
अभी तो ये शुरुआत हुई है , आगे-आगे सब कुछ होगा ।
सरकारों की मिली-भगत थी , इस हिंदू- संहार में ;
इसी से कातिल अब तलक बचे हैं , इस हिंदू – संहार में ।
जब तलक रहेंगी ये सरकारें , हिंदू को न न्याय मिलेगा ;
तुष्टीकरण बढ़ाने वाले , उनके रहते क्या न्याय मिलेगा ?
हिंदू के संहार चल रहे , पिछले हजार सालों में ;
देश-विभाजन आदि को देखो, कई लाख हैं मरने वालों में ।
अभी भी ये सब नहीं रुका है , बंगाल व केरल को देखो ;
अल्पसंख्यकवाद बढ़ाने वालो, अब तो अपने भीतर देखो ।
बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा , हिंदू – धर्म मिटाने का ;
अब तो सारे हिंदू जागो , कोई नहीं है बचने का ।
बचने का बस एक मार्ग है , सारे हिंदू शौर्य जगाओ ;
परम – साहसी नेता लाकर , देश को हिंदू – राष्ट्र बनाओ ।
लगता है शुरुआत हो चुकी , सोया हिंदू जाग रहा है ;
कश्मीर की फाइल जिसको लायी , वो तूफान उठ रहा है ।
सरकारों में जितने हिंदू , सब अपनी कायरता छोड़ें ;
राष्ट्रप्रेम की उठे सुनामी , कातिल की गर्दन को मोड़ें ।
राष्ट्र का सोया शौर्य जगेगा , कोई कातिल नहीं बचेगा ;
न्याय की गंगा लाने वाला भागीरथ , ये विवेक बनेगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”