श्वेता पुरोहित-
जप्यश्च परमो गुह्यः श्रूयतां मे नृपात्मज ।
यं सप्तरात्रं प्रपठन् पुमान् पश्यति खेचरान् ॥
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” ।
मन्त्रेणानेन देवस्य कुर्याद् द्रव्यमयीं बुधः ।
सपर्यां विविधैर्द्रव्यैर्देशकालविभागवित् ॥
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देवर्षि नारदजी बालक ध्रुव से कहते हैं – राजकुमार ! ध्यान के साथ जिस परम गुह्य मन्त्र का जप करना चाहिये, वह बतलाता हूँसुन। इसका सात रात जप करने से मनुष्य आकाश में विचरनेवाले सिद्धों का दर्शन कर सकता है ।
वह मन्त्र है — ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’।
किस देश और किस काल में कौन वस्तु उपयोगी है – इसका विचार करके बुद्धिमान् पुरुष को इस मन्त्र के द्वारा तरह-तरह की सामग्रियों से भगवान् की द्रव्यमयी पूजा करनी चाहिये।