“भविष्य-मालिका” भविष्य का दर्शन (भाग-3)
सिस्टम पूरी तरह फ्लॉप है , सरकारें सब पाप हैं ;
अब्बासी-हिंदू भारत का नेता , हर पापों का बाप है ।
महाकुम्भ बरबाद कर दिया , अच्छी नहीं व्यवस्था है ;
वीआईपी नाटक – नौटंकी , पापों की चरम – अवस्था है ।
हिंदू – धर्म के ये हैं दुश्मन , भ्रष्टाचार के पुतले हैं ;
वास्तव में नौकर जनता के , पर मालिक बनकर निकले हैं ।
लगता हिंदू ! भूल चुका है , कि वो इनका स्वामी है ;
सदियों सही गुलामी इतनी , लगता है अब भी जिम्मी हैं ।
हिंदू ! अपना जिम्मीपन त्यागो, अपना साहस-शौर्य जगाओ ;
जितने पापी-भ्रष्टाचारी हैं , उन सबसे अब मुक्ति पाओ ।
महाकुम्भ से श्री गणेश हो , सौभाग्य से शंकराचार्य यहीं हैं ;
हिंदू ! अपनी ताकत पहचानो , वरना तेरी कुशल नहीं है ।
तेरा भारत छिनेगा तुझसे , अब्बासी – हिंदू का एजेंडा ;
हिंदू ! इसका मतलब जानो ,अब्राहमिक-ग्लोबल-एजेंडा ।
महाकुम्भ को बनाओ अवसर , सारे हिंदू ! मिल जाओ ;
कायर, कमजोर, नपुंसक नेता ,इन सबकी सरकार हटाओ ।
यही कुम्भ की सच्ची-डुबकी , दृढ़ निश्चय कर लो मन में ;
भ्रष्टाचारी नेता व अफसर , हटा दो इनको हर हालत में ।
सबसे बड़े म्लेच्छ ये ही हैं , यही हैं तेरे असली दुश्मन ;
हर-चुनाव में धूल चटाओ , पक्का कर लो अपना मन ।
सावधान ! हिंदू-मतदाता , इन म्लेच्छों को वोट न देना ;
जहाॅं सभी ऐसे प्रत्याशी , सारे हिंदू ! नोटा कर लेना ।
अच्छी-सरकार बनानी होगी ,भारत की शान बचानी होगी ;
जो भी पापी नेता व अफसर , इनकी शामत लानी होगी ।
अपना स्वार्थ,लोभ,भय,लालच, हिंदू ! तुम्हें छोड़ना होगा ;
वरना मौत का ताण्डव होगा , सौ-करोड़ को मरना होगा ।
संख्या ज्यादा हो सकती है , कम होना नामुमकिन है ;
“भविष्यमालिका” भविष्य का दर्शन,ये अनहोनी मुमकिन है ।
क्योंकि पापी नेता व अफसर , भ्रष्टाचार न छोडेंगे ;
मरते – मरते मर जायेंगे , पर कभी नहीं ये सुधरेंगे ।
क्योंकि राजनीति इतनी गंदी है , धर्म से एकदम दूर है ;
वेश्या की तरह बन चुकी पूरी , पापी को जन्नत की हूर है ।
राजनीति को वेश्या करके , नेता बन गये हैं भड़वे ;
मीठे – फल म्लेच्छों को देते , हिंदू ! पाते हैं कड़वे ।
एकमात्र उपचार यही है , धर्म-सनातन जाग्रत कर लो ;
शंकराचार्य सब एक साथ हैं , कुम्भ का लाभ उठा लो ।