“भविष्य-मालिका” भविष्य का दर्शन व मनुस्मृति राह दिखाती
इन दोनों को पढ़ना-सुनना , निश्चित ही मंजिल मिल जाती ।
अभी तो हिंदू ! तुम भटके हो , गंदे-नेताओं में अटके हो ;
अब्बासी-हिंदू को नेतृत्व सौंपकर, तुम फांसी पर लटके हो ।
जो भी अपना-धर्म छोड़ता , कहीं का भी नहीं रह जाता ;
जो न घर का नहीं घाट का , धोबी का कुत्ता बन जाता ।
सारे सरकारी-हिंदू ऐसे हैं , टुकड़ा पाकर पूॅंछ हिलाते ;
अब्बासी-हिंदू परमदुष्ट हैं , जो पौराणिक-मंदिर तुड़वाते ।
नूह की थ्योरी मानने वाले , अब्राहमिक कहलाते हैं ;
इनका उद्देश्य कयामत लाना , हिंदू – धर्म मिटाते हैं ।
यही तो इनका एजेंडा है , अब्राहमिक ग्लोबल एजेण्डा ;
अब्बासी-हिंदू को फांस रखा है, जो बढ़ा रहा इनका एजेण्डा ।
चरित्रहीन जितने नेता हैं , उन सबको फांसा जाता है ;
विषकन्या का चारा फेंककर , ब्लैकमेल किया जाता है ।
ऐसे ही कठपुतली नेता , भारत भर में छाये हैं ;
ये विनष्ट कर देंगे भारत , इसीलिये तो आये हैं ।
सर्वप्रमुख अब्बासी-हिंदू , हिंदू ने हृदय-सम्राट बनाया ;
इतिहास का सबसे बड़ा ये धोखा , हिंदू ! तूने ये खाया ।
हिंदू कुछ-कुछ समझ रहा है,पर हाथ से मौका निकल चुका है
अब्बासी-हिंदू भारत-वर्ष को , मौत के मुॅंह में ठेल चुका है ।
अब तो केवल “विष्णु-कृपा” ही , हिंदू ! तुझे बचा पायेगी ;
हिंदू ! फौरन धर्म में लौटो , कृपा तभी ही मिल पायेगी ।
रामायण , गीता , महाभारत , भविष्य – मालिका , मनुस्मृति ;
इनका आश्रय लेना होगा , प्रारम्भ करो पढ़ना सम्प्रति ।
ये पांचो ग्रंथ रखो हर घर में , खुद भी पढ़ो बच्चों को सुनाओ ;
चाहे कुछ भी हो जाये पर , अब अच्छी-सरकार बनाओ ।
“विष्णु-कृपा” से सब कुछ संभव है, उसके योग्य बनना होगा ;
स्वार्थ, लोभ ,भय, लालच छोड़ो , भ्रष्टाचार त्यागना होगा ।
हालांकि बात बहुत बिगड़ी है,पर बात अभीभी बन सकती है ;
हिंदू-जनता बस ये सोचे ,क्या धर्म-मार्ग में आ सकती है ?
सर्वश्रेष्ठ है धर्म-सनातन , हर हिंदू को चलना होगा ;
चलने वाला ही बच पायेगा , शेष को असमय मरना होगा ।
ये मौत न होगी ऐसी-वैसी , बहुत बुरी निश्चित मानो ;
गैंगरेप मां ,बहन ,बेटी संग , गर्दन कटते समय ही जानो ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , धर्म – सनातन में आओ ;
“विष्णु-कृपा” को पा सकते हो, बस धर्म-मार्ग में आ जाओ ।