वर्तमान भारत सरकार , क्यों राष्ट्र- विरोधी हो गयी ?
ऐसा कौन सा लालच है ? क्यों न्याय -विरोधी हो गयी ?
ऐसे कौन से पाप किये हैं ? क्यों धर्म -विरोधी हो गयी ?
क्या इतनी गंदी शिक्षा है ? क्यों राष्ट्र-नीति को भूल गयी ?
भारत की समृद्ध संस्कृति , क्योंकर इससे दूर हुयी ?
कौन सा घुन है लगा नींवपर?क्यों नींव खोखली हो गयी ?
विश्व गुरु जो कभी था भारत , दीन – हीन क्यों हो गया ?
परम – प्रतापी पूर्वज जिनके , क्योंकर कायर हो गया ?
ऋषि – परम्परा सदा हमारी , क्योंकर भोग में लीन हुये ?
राज्य को ठोकर हमने मारी , क्योंकर राष्ट्र ही लील गये ?
राष्ट्रधर्म कितना पवित्र है ? जिसको क्योंकर भूल गये ?
भोग विलास में इतना फंस कर ,क्यों जनता को भूल गये ?
राज्य सदा तृणवत होता है , राष्ट्र सदा सबसे ऊपर है ;
सत्ता हुयी इतनी पाखंडी , कहीं – नहीं अब राष्ट्र है ।
धर्म- सनातन सर्वश्रेष्ठ है , जबसे उससे दूर हुये ;
भोग – वासना में सब फंसकर , राष्ट्र – धर्म से दूर हुये ।
धर्म को जो भी बिसराता है , पूर्ण नष्ट हो जाता है ;
लोक – परलोक दोनों ही जाते , कुछ भी हाथ न आता है ।
क्षण भर की अय्याशी होती , सब कुछ स्वाहा हो जाता है ;
सारे अच्छे गुण जाते हैं , चरित्र नष्ट हो जाता है ।
चरित्र सर्वोच्च सद्गुण होता है , ये होना अत्यावश्यक है ;
चरित्रहीन जितनी सरकारें, उनका मिटना आवश्यक है ।
राष्ट्रधर्म से हीन जो शासन , कायर व कमजोर है ;
शाहीन – बाग से ये ही डरता , इतना ये कमजोर है ।
रोड – जाम से इतना डरते , कानून को वापस लेते हैं ;
शासन करना इन्हें न आता , संसद में रोते रहते हैं ।
गुंडों के गिरोह से डरते , भले – लोग मरते रहते हैं ;
कश्मीर ,पूर्वोत्तर ,बंगाल व केरल , गुंडागर्दी में जलते हैं ।
बहुमत की सरकार निरर्थक , निर्बल से भी निर्बल है ;
रोड – जाम खुलवा न पाते , जाने कितनी दुर्बल है ?
हाईजैक हो चुके नेता , गुंडे ब्लैकमेल करते हैं ;
इसीलिये इस देश के स्वामी , हिंदू मरते रहते हैं ।
अब सारे हिंदू होश में आओ , हिंदूवादी सत्ता लाओ ;
अन्याय के युग को विदा करो व देश को हिंदू राष्ट्र बनाओ ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता: ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”