उत्तर प्रदेश में कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जुर्म की दुनिया से राजनीति में कदम रखा लेकिन अपनी माफिया छवि से बाहर नहीं निकल पाए। इनमें से एक ऐसे ही नेता है, अतीक अहमद, जो अपनी छवि मुस्लिम डॉन की बनाए रखने में अपनी शान समझता था। कांग्रेस कार्यकाल से लेकर मुलायम, मायावती और अखिलेश यादव के शासन काल में तो इसका दबदबा चलता था लेकिन वर्तमान योगी सरकार ने इस पर पूरी तरह से नकेल कस दिया है। अतीक अहमद और इसके गैंग से जुड़े अन्य सदस्यों के 100 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त या नष्ट की जा चुकी है।
योगी सरकार माफिया डॉन अतीक अहमद गैंग पर नकेल कसने के लिए उसके अवैध संपत्तियों को नेस्तनाबूद करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। यही वजह हैै कि एक तरफ उप्र पुलिस उसकेेे गैंग के अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है तो दूसरी तरफ उनकी अवैध संपत्तियों को गैंगस्टर एक्ट 14 (1)के तहत जब्त किया जा रहा है। इसके अलावा इस माफिया डॉन की अवैध निर्माण पर लगातार बुलडोजर चलाकर जमींदोज किया जा रहा है।
बताया जाता है अतीक अहमद के खिलाफ 85 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। वर्तमान में अतीक अहमद अहमदाबाद जेल में बंद है है। पुलिस सूत्र बताते हैं कि इस माफिया डॉन का पूरा परिवार ही अपराध मेंं लिप्त है। उसके खिलाफ 10 मुकदमें तो प्रयागराज में लंबित हैं। जबकि कई ऐसे मामले हैं जिनमें अभी तक पुलिस आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाई है।
अतीक अहमद का छोटा भाई पूर्व विधायक अशरफ जो कि करीब तीन साल से फरार था, पिछले महीने क्राइम ब्रांच ने इस एक लाख इनामी अशरफ को धूमनगंज से गिरफ्तार किया था। अतीक के बड़े बेटे उमर को सीबीआई ने देवरिया जेल कांड में वांटेड किया है। मोहम्मद उमर पर दो लाख रुपये का इनाम घोषित है। अतीक का साढू इमरान देवरिया जेलकांड में फरार है और उस पर 25000 का इनाम रखा गया है।
अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को श्रावस्ती जनपद में हुआ था। पढ़ाई लिखाई में अतीक अहमद की कोई रूचि नहीं थी, इसलिये स्कूल में फेल हो जाने के बाद पढ़ाई छोड़ कर अपराध की दुनिया में आ गया। वैसे भी वह जिस समुदाय से आता है, वहां किसी पढ़े-लिखे डॉक्टर-इंजीनियर से अधिक डॉन-गुंडे-माफिया को इज्जत मिलती है और इसी ने अतीक को अपराध की ओर खींचा। महज 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर कत्ल का इल्जाम लगा और उसके बाद अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अतीक के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि उसके खिलाफ लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट, इलाहाबाद के अलावा कई अन्य राज्यों में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के मामले दर्ज हैं। अतीक के खिलाफ सबसे ज्यादा मामले इलाहाबाद जिले में दर्ज किए गए हैं।
गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद योगी सरकार पर यह आरोप लगने लगा कि वह गैंगस्टर के खिलाफ जाति देख कर कार्रवाई कर रही है लेकिन सच्चाई इससे अलग था। चाहे अतीक अहमद हो या मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश सरकार इन माफियाओं पर नकेल कसने के लिए कार्रवाई पहले से चल रही है।
पुलिस सूत्र बताते हैं कि 15 अगस्त 2020 के बाद से अतीक अहमद के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस और प्रशासन ने कार्रवाई तेज कर दी है। इसके तहत उसके अवैध साम्राज्य को नेस्तनाबूद करने के लिए पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट 14 (1) के तहत उसकी अवैध संपत्तियों का पता लगाकर सीज करने की कार्रवाई शुरू की है। 27 अगस्त 2020 को प्रयागराज पुलिस ने अतीक अहमद की अवैध संपत्तियों को गैंगस्टर एक्ट के तहत सीज किया। पुलिस का दावा है कि 100 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है जबकि अन्य संपत्तियों को कुर्क करने की कार्रवाई लंबित है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ- साथ प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने भी सरकारी जमीनों पर अवैध निर्माण करके लाखों रुपए कमाने वाले अतीक अहमद और उसके गैंग के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। 5 सितंबर 2020 को शहर के पॉश इलाके सिविल लाइंस में अतीक अहमद के साढू इमरान की अवैध इमारत पर विकास प्राधिकरण ने बुलडोजर चलवा कर जमींदोज कर दिया। दो दिन बाद फिर बुलडोजर चला और एक रेस्टोरेंट्स के लिए बनाया गया गोदाम तोड़ा गया। अतीक अहमद ने उसे लाखों रुपए किराए पर दे रखा था। 12 सितंबर को भी पुलिस ने अतीक अहमद की एक अवैध इमारत को सिविल लाइंस में ढहा दिया। इससे पहले 11 सितंबर को प्रशासन ने सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण करने वाले अतीक के रिश्तेदार हमजा के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चलवाया था।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश प्रशासन झूंसी स्थित अतीक अहमद के एक कोल्ड स्टोरेज को भी खाली करा रहा है ताकि उस पर भी कार्रवाई की जा सके। माफिया डॉन पर नकेल कसते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने अतीक अहमद और उसके परिजनों के नाम से बने करीब नौ लाइसेंसी असलहों की रिपोर्ट डीएम को भेजकर लाइसेंस निरस्त कराया है। अब तक पुलिस अतीक अहमद गैंग के सदस्यों की तीन दर्जन से अधिक असलहों का लाइसेंस निरस्त करा कर असलहा थानों में जमा करा चुकी है।
अपराध की दुनिया में नाम कमा चुके अतीक अहमद का राजनीति से भी वास्ता रहा है। साल 1989 में पहली बार इलाहाबाद (पश्चिमी) विधानसभा सीट से विधायक बने अतीक अहमद ने 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लड़ा और जीता भी। साल 1996 में इसी सीट पर अतीक को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया और वह फिर चुनाव जीता। अतीक अहमद ने साल 1999 में अपना दल का दामन थाम लिया और प्रतापगढ़ से चुनाव लड़कर हारा लेकिन 2002 में इसी पार्टी से वह फिर विधायक बना। 2003 में जब उत्तर प्रदेश में सपा सरकार बनी तो अतीक अहमद ने फिर से मुलायम सिंह का हाथ पकड़ लिया। 2004 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को फूलपुर संसदीय क्षेत्र से टिकट दिया और वह सांसद बन कर दिल्ली पहुंच गया। अतीक अहमद के सांसद बन जाने पर इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट खाली हो गई थी। बाद में इस सीट पर उपचुनाव हुआ, सपा ने अतीक के छोटे भाई अशरफ को टिकट दिया था। लेकिन उनका दाहिना हाथ कहे जाने वाले राजू पाल को बसपा ने खड़ा किया और राजू ने अशरफ को हरा दिया। इस हार के खुन्नस में 25 जनवरी, 2005 को राजू पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई । इस हत्याकांड में सीधे तौर पर सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को आरोपी बनाया गया।
उत्तर प्रदेश में मायावती के सत्ता में आने के बाद अतीक अहमद की कुछ हद तक उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। इसके कई अवैध निर्माण ढाह दिए गए थे। उसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हुए। राजू पाल की हत्या के बाद भी अतीक अहमद कई चुनावों में खड़ा हुआ लेकिन निष्पक्ष चुनाव के कारण वह जीत नहीं सका। फिर वह फरार हो गया। एक सांसद, जो इनामी अपराधी था, उसे फरार घोषित कर पूरे देश में अलर्ट जारी कर दिया गया लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस माफिया डॉन को गिरफ्तार कर उत्तर प्रदेश पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद उसे सलाखोंं के पीछे भेज दिया गया।
साल 2012 मे अतीक अहमद जेल में था और उसने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपना दल से पर्चा भरा इस बीच जेल से बाहर आने के लिए अतीक अहमद ने अदालत से जमानत देने की मांग की जिस पर हाईकोर्ट के 10 जजों ने केस की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया। बाद में 11वें जज सुनवाई के लिए राजी हुए और अतीक को जमानत दे दी।फरवरी 2017 में अतीक को गिरफ्तार किया गया और हाईकोर्ट ने सारे मामलों में उसकी जमानत रद कर दी। इसके बाद से अब तक अतीक अहमद जेल में बंद है।