अर्चना कुमारी। दिल्ली दंगे के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा पर दोष मढ़ने की कोशिश की गई थी लेकिन पुलिस ने जांच में पाया है कि दंगे से पहले ही इसकी साजिश रच ली गई थी । दिल्ली हिंसा के लिए जिम्मेदार माने गए और फिलहाल जेल में बंद उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने साफ किया है कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भाषण के पहले हो चुकी थी दंगे की तैयारी।
जबकि इससे संबंधित साक्ष्य कोर्ट में दिखाई गई। चांद बाग की सीसीटीवी कैमरे के फुटेज के आधार पर पुलिस की तरफ से दावा किया गया कि दंगों की बड़ी तैयारी की गई थी। इतना ही नहीं जहां दंगे होने थे ,वहां सोची समझी रणनीति के तहत पहले ही कैमरे बंद किये गए और कपड़ों से ढक दिए गए थे। जबकि दंगे में इस्तेमाल की जाने के लिए लाठियां , पत्थर , तेजाब इकट्ठे किए गए। पुलिस ने अदालत को बताया कि उमर खालिद के व्हाट्सएप्प ग्रुप में दंगों से पहले इसकी साजिश को लेकर साफ लिखा गया था। अदालत में पुलिस ने इससे संबंधित कई सबूत पेश किए।
दिल्ली पुलिस का यह दावा है कि दंगे से पहले पूर्व नियोजित हिंसा के बारे में जब पुलिस को मुखबिर द्वारा जानकारी मिली तब उमर खालिद से लिखित में अनुरोध किया गया था कि वह प्रोटेस्ट को रद्द कर दें लेकिन उमर खालिद नहीं माना , जिसके बाद भीषण दंगे हुए और कुल 53 लोग मारे गए थे। दरअसल, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद और छह अन्य की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में 2020 के दंगों के दौरान हिंसा भड़काने और पुलिस अधिकारियों पर हमले करने की साजिश रची थी।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि मामले के मुख्य साजिशकर्ताओं ने भीम आर्मी और भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा पर दोष मढ़ने की कोशिश की थी।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत को अभियोजन पक्ष ने पूर्वोत्तर दिल्ली के चांद बाग इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद फुटेज और एक व्हाट्सएप ग्रुप दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) में आरोपियों की चैट भी दिखाई। इसी चैट में जिक्र है की भीम आर्मी के (भारत बंद) के आह्वान के बाद तनाव बढ़ गया।
फिर कपिल मिश्रा के खिलाफ शिकायत की गई। यह खालिद सैफी का एक संदेश है। जिसे पुलिस ने कोर्ट में प्रस्तुत किया। सबूत में बताया गया कि दंगे का दोष मढ़ने के लिए पहला मोर्चा भीम आर्मी और दूसरा मोर्चा कपिल मिश्रा के खिलाफ खोला गया जबकि पुलिस के तरफ से कहा गया मैंने आपको दिखाया है कि इसमें कोई स्थानीय भागीदारी नहीं थी। जब कोई स्थानीय महिला वहां नहीं थी, तो कहीं और से उन्हें लाने का क्या मतलब है? अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि आरोपी तेजाब, लाठी और लाल मिर्च आदि एकत्रित कर रहे थे और हिंसा उत्पन्न करने के लिए लाठियां बांटी थीं।
पुलिस की तरफ से अदालत में पेश हुए स्पेशल पब्लिक प्रोसेक्यूटर अमित प्रसाद ने हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष और कई अहम सबूत पेश किए। पुलिस ने इसमें मुख्य तौर पर 15 और 16 जनवरी 2020 को चाँदबाग में हुई एक बैठक पर चर्चा करते हुए अपने तर्क दिए जिसमें कहा गया है विरोध प्रदर्शन के लिए डंडे, पत्थर, लाल मिर्च और तेजाब इकट्ठे किए गए। आखिर विरोध के लिए इन चीजों को इकट्ठा करने का क्या उद्देश्य था, जिसे उमर खालिद जैसे आरोपी ने शांतिपूर्ण करार दिया था। उन्होंने आगे कहा कि गवाह ने यह भी खुलासा किया था कि साजिशकर्ताओं ने महिलाओं और पुरुषों को एकत्रित कर उन्हें लाठी, पत्थर इत्यादि सौंपे थे।
पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा कि आखिरकार लाठी, डंडे और लाल मिर्च के साथ किया गया विरोध प्रदर्शन किस प्रकार से शांतिपूर्ण हो सकता है। इस दावे की पुष्टि करने के लिए कि उमर खालिद ने सांप्रदायिक दंगों की एक बड़ी साजिश रची थी। इसके सबूत के तौर पर एक चश्मदीद के बयान को अदालत में पढ़ा गया। इसमें पुलिस के तरफ से दावा किया गया है कि उमर खालिद ने बैठक में कहा था कि सरकार मुसलमानों के खिलाफ है, भाषण से काम नहीं चलेगा, हमें खून बहाना होगा। अदालत के समक्ष दंगों के लेकर उमर खालिद की भूमिका और साजिश की परतें खोलने के लिए कई वॉट्सऐप चैट, गवाहों के बयान और सीसीटीवी फुटेज भी पेश किए गए।