दिल्ली हाई कोर्ट ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) मामले में सुनवाई करते हुए आज राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ ही एजेएल को करारा झटका दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली एजेएल की याचिका को खारिज करते हुए हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया है। हेराल्ड हाउस खाली करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने एजेएल को दो सप्ताह का समय दिया है। मालूम हो कि कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने एजेएल को नोटिस जारी कर दिल्ली के आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा था। लेकिन एजेएल ने केंद्र सरकार के इस नोटिस को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने हेराल्ड हाउस को खाली करने के अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि नेशनल हेराल्ड न्यूजपेपर के प्रकाशक एजेएल ने लीज की शर्तों का उल्लंघन किया है।
#Delhi High Court order against #Congress -controlled #NationalHerald indirectly indicts #RahulGandhi & #SoniaGandhi as majority shareholders & directors of Young Indian Co. HC says modus operandi & acquisition are. 'questionable'. pic.twitter.com/vqbCIwb95n
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) December 21, 2018
कांग्रेस नियंत्रित हेराल्ड हाउस के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश पराकांतर रुप से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ आदेश है। क्योंकि यही दोनों इसके सबसे बड़े शेयरधारक हैं। राहुल गांधी तो अवैध रूप से एजेएल को अपने नित्रंत्रण में लेने वाली यंग इंडियन कंपनी के निदेशक भी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जिस प्रकार से एजेएल को अधिग्रहित किया गया है उ वह वाकई में संदिग्ध दिखता है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान एजेएल का पक्ष रखते हुए कांग्रेस के नेता और वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र सरकार पर दुर्भावना के तहत हेराल्ड हाउस खाली करवाना चाहती है। उन्होंने केंद्र सरकार पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का भी आरोप लगाया। जबकि केंद्र सरकार ने एक जांच रिपोर्ट के आधार पर हेराल्ड हाउस की लीज कैंसिल करने के बाद उसे खाली कराने का नोटिस जारी किया था।
मालूम हो कि सरकारी संपत्ति हड़पने के लिए सोनिया गांधी के इशारे पर किस प्रकार यूपीए सरकार ने कानून का दुरुपयोग किया था इसका जीता जागता उदाहरण बन गया नेशनल हेराल्ड घोटाले का मामला। सोनिया गांधी नियंत्रित यूपीए-2 की सरकार ने हेराल्ड हाउस की संपत्ति को गांधी परिवार की जागीर बनाने के लिए आवंटित पट्टा में भी हेरफर किया था । यह खुलासा शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस से हुआ है। जिस प्रकार नेशनल हेराल्ड घोटाले का मामला गहराता जा रहा है उससे साफ है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार गांधी परिवार को भ्रष्टाचार करने की पूरी छूट दे रखी थी, बल्कि यूं कहें कि भ्रष्टाचार में पूरी सरकार शामिल थी। तभी तो उसने जनवरी 2013 में हेराल्ड हाउस को आवंटित पट्टे में हेरफेर कर दिया था। ध्यान रहे कि यूपीए-2 की सरकार ने यह काम भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमनियन स्वामी द्वारा उठाए गए मामले के दो महीने बाद किया था।
गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार ने नेशनल हेराल्ड अखबार निकालने के लिए 1962 में आईटीओ स्थित प्रेस इन्क्लेव जैसे महत्वपूर्ण लोकेशन में करीब आधा एकड़ जमीन महज 50 हजार रुपये में लीज पर आवंटित की थी। 1967 में अखबार निकालने तथा प्रकाशन संबंधी कार्य के सुचारूप से संचालन तथा हेराल्ड हाउस के भूतल और पहली मंजिल के रखरखाव के लिए अखबार को अन्य मंजिल को किराए पर देने की भी मंजूरी दी थी। हालांकि सरकार ने इस बिल्डिंग में होटल, रेस्टोरेंट तथा सिनेमा हॉल नहीं खोलने की शर्त लगा दी थी। लेकिन बाद में इस संपत्ति पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कब्जा जमा लिया।
बाद में सुब्रमनियन स्वामी ने मार्च 2018 में मोदी सरकार से एजेएल से हेराल्ड हाउस वापस लेने का अनुरोध किया था। उन्होंने सरकार को बताया कि एजेएल को जिन शर्तों के साथ जमीन का आवंटन किया गया था उसका सरासर उल्लंघन किया जा रहा है। स्वामी के अनुरोध पर ही शहरी विकास मंत्रालय ने आवास एंव शहरी मामला मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा इनकी जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई थी। कमेटी ने 9 अप्रैल 2018 को हेराल्ड हाउस की जांच की तो पाया कि वहां पर अखबार का कोई काम हो ही नहीं रहा था। पूरे हेराल्ड हाउस में कहीं भी प्रकाशित अखबार का स्टॉक नहीं दिखा। जबकि एजेएल ने अपने बयान में कहा है कि अखबार और प्रेस से संबंधित कार्यालय चौथी मंजिल पर है।
एजेएल ने बताया था कि उसका एक साप्ताहिक इंडियन एक्सप्रेस प्रेस से प्रकाशित होता है जो नोएडा सेक्टर चार में है। जांच कमेटी को जो अखबार उपलब्ध कराया गया वह 24 सितंबर 2017 का था। कमेटी ने जब पूछा कि उससे पहले का अखबार कहां है तो बताया गया कि आर्थिक तंगी के कारण अखबार को बंद कर दिया गया था और उसके कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। जांच कमेटी का कहना है कि पूरे हेराल्ड हाउस में कहीं भी प्रकाशन का काम नहीं चल रहा था। इससे साफ है कि जिस उद्देश्य के लिए यह जमीन आवंटित की गई थी उसका सरेआम उल्लंघन किया जा रहा था। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हेराल्ड हाउस में प्रेस चलाने तथा लीज समझौते के नियमों और शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है।
जो नेशनल हेराल्ड अखबार अप्रैल 2008 तक दैनिक के रूप में प्रकाशित हो रहा था उसका अचानक बंद हो जाना और फिर अचनानक 2017 में साप्ताहिक अखबार के रूप में प्रकट हो जाना यह दिखाता है कि यह भ्रष्टाचार का कितना बड़ा मामला है? इससे यह भी साफ हो जाता है कि किस प्रकार सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अपनी नई कंपनी यंग इंडिया के माध्यम से हेराल्ड हाउस पर अपना कब्जा जमााय है? मालूम हो कि सरकार ने नेशनल अखबार के सुचारू रूप से प्रकाशन के लिए ही हेराल्ड हाउस के अन्य तलों को रेंट पर देने की अनुमति दी थी, ताकि अखबार के प्रकाशन और संचालन में कभी कोई बाधा न आए।
प्वाइंट वाइज समझिए
एजेएल के हेराल्ड हाउस पर चला कोर्ट का हथौड़ा
* दिल्ली हाईकोर्ट ने एजेएल को दो सप्ताह में हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा
* हेराल्ड हाउस खाली करने को कोर्ट ने एजेएल को दिया दो सप्ताह का समय
* एजेएल का यंग इंडिया कंपनी द्वारा अधिग्रहण पर भी कोर्ट ने उठाया सवाला
* केंद्र सरकार ने लीज की शर्त की अवमानना की शिकायत पर कराई थी जांच
* जांच में एजेएल और गांधी परिवार के कई भ्रष्टाचार आए सामने
* इस मामले को सबसे पहले डॉ सुब्रमनियन स्वामी ने ही लाया था सामने
* केंद्र सरकार ने जांच के बाद एजेएल की लीज रद्द कर दी थी
* लीज रद्द करने के बाद केंद्र सरकरा ने हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा था
* शहरी विकास मंत्रालय ने हेराल्ड हाउस खाली करने के लिए जारी किया नोटिस
* केंद्र सरकार के नोटिस को एजेएल और गांधी परिवार ने कोर्ट में दी थी चुनौती
* दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद हेराल्ड हाउस खाली करने का दिया आदेश
URL : big jolt to Gandhi family, Delhi HC orders to vacate herald house!
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