साभार: एक गुजराती शिक्षक
सच्चे इतिहास को छुपाना, कॉस्मेटिक मेकअप वाला इतिहास पढ़ाना, राष्ट्र और उस के नागरिकों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है। इसके लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन गुजरात में 30 वर्षों से और मध्य प्रदेश में 20 वर्षों से भाजपा का सतत शासन है, जिस में राज्य सरकारें राज्य के नियंत्रण में स्कूलों और विश्वविद्यालयों का पाठ्यक्रम तय करती हैं, इसके अलावा केंद्र में 10 वर्षों तक पूर्ण बहुमत की मोदी सरकार रही है, तो सच्चा इतिहास स्कूलों कॉलेजों के अभ्यास क्रम में क्यो नही लाया गया । 10, 20 और 30 वर्ष के शासन में पाठ्यक्रम कौनसा मैकोले बना रहा था ! इन वर्षों के शासन में स्कूल कॉलेजों को उद्योग बनाने, सरकारी नोकरियो में फर्जीवाड़े पेपरलिक की खबरों के अलावा शायद ही कोई उपलब्धि दर्ज की जा सकती है ।
दरअसल, सेक्युलरिजम के बेनर तले सत्ता बरकरार रखने के लिए कांग्रेस ने जो कुछ भी किया वही सब कुछ भाजपा (यानी संघ परिवार) ने अन्य बेनर तले किया है ।
भावनात्मक या लाभान्वित स्वभाव की कमजोरी को दरकिनार कर के शुद्ध बुद्धि और तर्क से नीति विषयक और वास्तविक विश्लेषण किया जाए तो सत्ता प्राप्ति के लिए हिंदु धर्म के नाम पर वही कार्य किए गए जो कोंग्रेस करती थी बल्कि कोंग्रेस, सपा का कुल तुस्टीकरण भी भाजपा के तृप्तिकरण के आगे 4 कदम पीछे ही रह गया पाएंगे ।
भारत मे बहुत सारी मुस्लिम और ईसाई ओरिएंटेशन पार्टीज़ है किन्तु वह कभी व्यक्तिगत स्तर पर या पार्टी स्तर पर एकदूसरे को राजनैतिक तौर पर समाप्त करने के काम करते हुए नही पाए गए किन्तु हिन्दू महासभा, एकम सनातन भारत दल और शिवसेना जो प्रखर हो कर हिन्दू हित की बात उठाते थे उनको समाप्त करने में भाजपा की भूमिका रही है जब कि भाजपा चुनाव के दो महीने को छोड़ दे तो पूर्णतः चौगुणी सेक्युलर ही रहती है ये बात ओर है कि हिन्दुओ की वोटबैंक को संजोकर रखने के लिए वे बीच बीच मे एकाद सनसनीखेज बयानबाजी कर देते है ।
जैसे गांधी नहेरु के मुरीद कुछ भी होता रहा गांधी नहेरु को जस्टिफाई करते रहे, वैसे ही मोदी के मुरीद भी हिन्दुओ के साथ कुछ भी होता रहे वे मोदी कि नीतिओ को ही जस्टिफाई करते रहे हूं आगे भी करते रहेंगे । नेतृत्व की कमजोरी को ढकने के लिए सारा दोष कभी मैकोले, कभी संविधान, कभी नोकरशाही, कभी टूटे फूटे विपक्ष, कभी निरीह हिंदू जो जैसे तैसे घर चला रहा है, जिस की क्षमता में न तो पुलिस न प्रशासन उसके प्रभाव में है, ना ही कोई उसकी सुनता है, पर डालकर भोले भाले हिन्दुओ को भ्रमित किया जाता है ।
मुस्लिम जिस भी पार्टी को वोट देते है वह पार्टी उनके हितों की अनदेखी नही कर सकती । पश्चिम बंगाल में मुस्लिम मतदाता पहले कोंग्रेस उसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी और अब TMC के साथ है । उनको राजनीति की अच्छी समझ है, वो राजनीतिक पार्टी से अपने हितों की रक्षा करवाना जानते है क्योकि उन ने किसी भी पार्टी को वोट की मोनोपॉली नही दी । इस का कारण है मुस्लिम आलिम उलेमा और नेता अपनी कॉम के प्रति खुद भी सजग हैं और अपने अनुयायिओं को भी सतत सजग रखते है ।
हिन्दुओ को धर्म, संस्कृति और राष्ट्र की विभावना को चैतन्य रखना है तो किसी नेता, पार्टी को चमत्कारिक गुणों से युक्त मानने की विभ्रम और भोलेपन की अवस्था मे से निकलकर बुद्धिमत्ता से अपनी सुरक्षा और अधिकारों की परिपाटी पर परखना चाहिए ।