देशभक्ति की एक कसौटी होती है कि जब कोई आफत खुद पर आन पड़ती है उस समय आप देश की सुरक्षा और सेना के बारे में क्या बयान देते हैं और क्या राय रखते हैं। अगर इस कसौटी पर परखा जाए तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह भी उन अलगाववादियों की कतार में नजर आएंगे जो सेना की खिलाफत करते रहे हैं। ऐसे में लगता है कि शायद कश्मीरियत के खून में ही सेना का विरोध बह रहा है। जैसे ही सेना ने नगरोटा स्थित सेना के आयुध भंडार के पास बन रहे घर को अवैध बताया वैसे ही निर्मल सिंह ने सेना पर हमलावर हो गए। उन्होंने सेना पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। मालूम हो कि अलगाववादी भी तो यही आरोप लगाते रहे हैं। तो क्या निर्मल सिंह अलगाववादियों की भाषा नहीं बोलने लगे हैं? इससे सेना की सेहत पर शायद हो कोई असर पड़े लेकिन निर्मल सिंह की सेना के प्रति धारणा सबके सामने जरूर आ गई है।
मुख्य बिंदु
* आखिर निर्मल सिंह ने इससे पहले क्यों नहीं लगाया सेना पर लोगों के उत्पीड़न का आरोप
* नगरोटा स्थित आयुध भंडार की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए सेना ने उनके घर को बताया था अवैध
मालूम हो कि इस मामले में वर्तमान उप मुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया है कि वहां उनकी जमीन है, लेकिन उन्होंने किसी भी प्रकार का कोई निर्माण कार्य होने से इनकार किया है। उनसे जब पूछा गया कि उस जमीन पर घर बनाने को लेकर सेना को आपत्ति है तो उन्होंने फिर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया।
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