अर्चना कुमारी । सुनने में अजीब लगता है लेकिन यह सच है कि मुस्लिम हिंदू नाम से हवाई जहाज में सफर किया और पकड़े गए तो पता चला कि सारे मुस्लिम थे। लगभग डेढ़ किलो सोने के साथ तीन तस्करों को पटना एयरपोर्ट पर गिरफ़्तार किया गया था , यह मामला अब टेरर फंडिंग से जुड़ता नज़र आ रहा है। तस्करी के आरोप में जिन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, उनकी वास्तविक पहचान अब सामने आई है और इससे सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ गए हैं।
कस्टम विभाग ने इस मामले में हितेश जैन, अरुण और मोहम्मद आरिफ को गिरफ़्तार किया था। पूछताछ के दौरान हितेश जैन की सही पहचान मोहम्मद अफसर अरुण की सही पहचान मोहम्मद रिजवान जबकि तीसरे मोहम्मद आरिफ का नाम तो सही है, लेकिन उसका वास्तविक पता सामने आया है। जांच एजेंसियों का कहना है कि 10 नवंबर को अहमदाबाद से इंडिगो की फ्लाइट संख्या 6E 921 से तीन लोग पटना पहुँचते हैं। खुफिया जानकारी पर कस्टम विभाग की टीम फ्लाइट से बाहर आ रहे लोगों में से इन्हें अलग करती है और जाँच शुरु कर देती है।
तलाशी के दौरान तीनों के पास से दुबई के होलोग्राम वाला 1 किलोग्राम का एक और बाकी चार अन्य बिस्कुट मिले। सोने की कीमत लगभग 77 लाख रुपए आँकी गई। कस्टम विभाग ने सोना को जब्त करते हुए तीनों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम हितेश जैन, अरुण और मोहम्मद आरिफ के रुप में सामने आए। लेकिन बाद में इनका असली पहचान दूसरे रूप में की गई।
तीनों तस्कर फर्जी वोटर कार्ड पर यात्रा कर रहे थे और अपनी वास्तविक पहचान छिपा रखी थी। तीन तस्करों में 2 दिल्ली में और तीसरा अहमदाबाद में रह रहा था। हितेश जैन नका असली नाम मोहम्मद अफसर सामने आया और उसके पिता का असली नाम अताउल्लाह है। अरुण नाम का शख़्स ‘रिजवान निकला। अरुण ने पहले अपने पिता का नाम शिव कुमार और पता खेड़ा कॉलोनी, स्वरूप नगर, दिल्ली बताया था। पूछताछ के दौरान उसने अपना नाम रिजवान और पिता का नाम खुर्शीद बताया। वह दिल्ली के सीलमपुर के घड़ी मंडी का रहने वाला है।
तीसरे ने अपना नाम आरिफ तो सही बताया था, लेकिन अपने पिता के नाम के साथ पता बदल दिया था। मोहम्मद आरिफ ने पहले अपना पता नैथला हसनपुर जूनियर हाई स्कूल, बुलंदशहर बताया था। बरामद किए गए फर्ज़ी वोटर आईडी कार्ड पर उसके पिता का नाम सुबराती लिखा है। जाँच में पता चला कि आरिफ बापू नगर अहमदाबाद का रहने वाला है। जाँच में पता चला है कि तीनों शातिर जिस वोटर आईकार्ड का इस्तेमाल कर रहे थे, वह चुनाव आयोग की साइट से छेड़छाड़ कर बनाया गया था।
अब तक की जांच में साफ नहीं हो पाया है कि सोने का बिस्कुट आखिर है किसका और इस गिरोह का सरगना कौन है। पूछताछ के दौरान तीनों की भाषा और बोली से अधिकारियों को शक हुआ।
ये कुछ वैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे, जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बोली जाती हैं। जांच एजेंसियों के लिए यह जानना जरूरी है कि अफसर और रिजवान ने अपनी पहचान छिपाने के लिए हिंदू नामों को ही क्यों चुना? क्या सोने का टेरर फंडिंग से लेना-देना है? कस्टम विभाग का भी मानना है कि मामला बेहद संवेदनशील है।