विपुल रेगे। मुंबई स्थित प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने भारत सरकार से विशेष पैकेज की मांग की है। संस्था के अनुसार कोविड के दो वर्षों में हिन्दी फिल्म उद्योग को अस्सी प्रतिशत तक की आर्थिक क्षति हुई है। बॉलीवुड के अनुसार उसे 2020-2021 में लगभग 21000 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। इस क्षतिपूर्ति के लिए हिन्दी फिल्म उद्योग सरकार से आर्थिक सहायता चाहता है। उल्लेखनीय है कि किसी और भाषाई सिनेमा उद्योग ने अब तक ऐसी मांग नहीं उठाई है। प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया स्वयं को भारत की संस्था बताता है किन्तु कार्य केवल हिन्दी फिल्मों की बेहतरी के लिए करता है।
सन 2019 के अंतिम माह में कोविड के कारण सिनेमाघर बंद होने की शुरुआत हो चुकी थी। अपितु उस वर्ष हिन्दी फिल्मों ने अच्छा व्यवसाय किया था। इसके बाद के दो वर्ष हिन्दी फिल्मों को भयंकर आर्थिक झटका दे गए। हालाँकि ये आर्थिक झटका कितना वास्तविक है और कितना बनाया हुआ, ये देखना आवश्यक होगा। हिन्दी फिल्म उद्योग कहता है कि उसे वर्ष 2020 में आठ हज़ार करोड़ की क्षति हुई है।
ये आठ हज़ार करोड़ का नुकसान विचारणीय है। बड़े सितारों को करोड़ों देकर फिल्म को ओवरबजट करना। कोरोना के चलते थियेटर में ही फिल्म को रिलीज करने के हठ में फिल्म को अटकाए रखना और उस पर ब्याज का मीटर चलने देना। यदि आप अक्षय कुमार को एक दिन का एक करोड़ भुगतान करते हैं और फिर इस बात के लिए रोते हैं कि आठ हज़ार करोड़ का फटका लग गया तो आपका रुदन नैतिक नहीं कहा जा सकता।
प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने दो वर्ष का आर्थिक नुकसान तो बता दिया लेकिन ये नहीं बताया कि विगत दो वर्ष में बॉलीवुड ने ओटीटी से जो आय प्राप्त की है, उसका क्या हुआ ? क्या बॉलीवुड ने पिछले दो वर्षों में टीवी पर फ़िल्में नहीं चलाई ? क्या उन्होंने अपने संगीत अधिकार अन्य कंपनियों को नहीं बेचे ? यदि आप अपने मुख्य अभिनेता/अभिनेत्री को फिल्म के बजट का चौथाई भुगतान एक्टिंग फ़ीस के रुप में कर देते हैं तो इसका भुगतान सरकार को विशेष पैकेज देकर क्यों करना चाहिए।
केंद्र सरकार ने देश के फिल्म उद्योग को सच में उद्योग का दर्जा सन 2021 में ही प्रदान कर दिया था। आज बॉलीवुड में सबसे अधिक सहायता की आवश्यकता कम बजट में फ़िल्में बना रहे फिल्मकारों को है। करण जौहर कैम्प, सलमान कैम्प, राकेश रोशन, यशराज फिल्म्स जैसे धनवान घरानों को आर्थिक सहायता सरकार क्यों देगी ? प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ़ इंडिया जीएसटी कट का रोना रो रहे हैं।
उनसे प्रश्न होना चाहिए कि दक्षिण भारतीय सिनेमा को भी सारे कर देने की बाध्यता है, फिर उनका रेवेन्यू बढ़ता कैसे गया ? एक वायरस आपको आर्थिक क्षति पहुंचा गया लेकिन उसने टॉलीवुड को बख्श दिया, क्या मज़ाक चल रहा है। प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया उस सत्याग्रह को कैसे भूल गया, जो भारत के दर्शकों ने बॉलीवुड के विरुद्ध खड़ा किया था। सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध हत्या और उसके बाद बॉलीवुड में बड़े पैमाने पर ड्रग्स के कारोबार का पता चलना क्या इस आर्थिक नुकसान का कारण नहीं माना जाएगा ? उनको अपनी अय्याशी की क्षतिपूर्ति सरकार से चाहिए।
हिंदी फिल्म उद्योग को तो बिलकुल भी आर्थिक लाभ नहीं देना चाहिए। अगर भारत सरकार किसी प्रकार से तैयार भी हो जाती है तो फिर भारत सरकार को चाहिए कि वह यह भी देखे कि जब भारत की जनता मुसीबत में होती है तो फिल्म उद्योग सहायता करने के लिए कितना आगे आता है। जितने भी अदाकार है वो सहायता राशि जुटाने के लिए स्टेज शो करते है और भारत के लोगों से पैसे के उगाही करके सरकार को देते है। हिंदी फिल्म उद्योग उस दो मुहें सांप की तरह है जो ना सिर्फ जनता को ठगता है बल्कि बेचारा बनकर सरकार को भी मुर्ख बनाता है। सरकार में बैठे कुछ लम्पट मंत्री इनको पीछे से सपोर्ट करते है। अभी कितनी ही घटनाएं हुई है जो राजनीति और फ़िल्मी अभिनेत्रियों के परदे के पीछे की ज़िन्दगी की हैक़ीक़त उजागर करती है। यह एक भर्मजाल है और आम भारतीयों को चाहिए कि इस भर्मजाल को समझे और इस तरह की मांगों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवाएं।
बॉलीवुड फिल्म उद्योग एक घिनौना रूप है,ये तब कहां थे जब वर्षो तक हजारों करोड़ रुपए कमाए और इनकम टैक्स के नाम पर 80C की रिबेट ढूंढी।दस बीस साल से हजारों करोड़ कमा डाले और मात्र दो साल में इन्हे सरकार से मुफ्त का चाहिए।सरकार गरीबों के लिए कुछ करे या फिर इन बनावटी चरसी बॉलीवुडियो के लिए करे।ये जिन्हे टुकड़े टुकड़े गैंग को सपोर्ट करते हैं उनसे कुछ भीख मांग लें।हमारे टैक्स के पैसे से इन चरसी लोगों को छूट देना गरीबों का हक मारना कहलाएगा।।
Government को पैसा नही देना चाहिए। जब कोरोना काल चल रहा था तो क्या अपने कही सुना की करण जौहर कैम्प, सलमान कैम्प, राकेश रोशन, यशराज फिल्म्स जैसे धनवान घरानों ने गवर्मेंट को आर्थिक सहायता की हो ?? नही ना । और वैसे भी Bollywood में तो कुछ एक्टर्स को छोड़कर सारे के सारे चरसी है और तो और सारा Bollywood इस्लाम का रंडीखाना बन के बैठा है। तो उन लोगो को तो Goverment की जगह Pakistan या कोई आतंकी संगठन से सहायता की मांग करनी चाहिए।
हमेशा जब देश विरोधि कोई गतिविधियां होती है तो Bollywood का पूरा सैलाब उतर जाता है उसे Support करने के लिए। तो फिर ये लोग बेचारे कैसे हो गए??
Bollywood से अस्छी तो South Industries हैं।
Goverment से मेरी विनती है की ऐसे रंडीबाजो को मदद करने से अच्छा होगा की अपने Indian Army को मज़बूत बनाए।
#Jay Hind